- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: योजना बना रहे अफसर, बदनाम हो रहे टीचर , डाकिया बना दिए टीचर योजना बना रहे अफसर, बदनाम हो रहे टीचर , डाकिया बना दिए टीचर

योजना बना रहे अफसर, बदनाम हो रहे टीचर , डाकिया बना दिए टीचर

हिमाचलविज्ञानअध्यापक संघ ने एसएसए आरएमएसए के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर घनश्याम से हमीरपुर दौरे के दौरान मुलाकात कर समस्याओं और योजनाओं की विसंगतियों पर खुलकर मन की बात की।
संघ के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष मनोजपाल परिहार के नेतृत्व में पदाधिकारियों कई सवाल जवाब भी किए, ताकि व्यवस्था में सुधार हो और टीचरों की समाज में गरिमा बनी रहे।

पदाधिकारियों ने सीधा कहा कि प्रदेश में एसएसए और आरएमएसए अभियान में करोड़ों- अरबों खर्च करने की योजनाएं बड़े अधिकारी बना रहे हैं, मगर इन महत्वकांक्षी योजनाओं के चलते भी सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की घटती संख्या, शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट आना उनके क्रियान्वयन पर गंभीर प्रश्न उठाती है, मगर अफसोस की बात है कि प्लानिंग बड़े स्तर पर हो रही हैं, लेकिन धरातल पर नजर आने वाली खामियों पर अधिकारियों की बजाए टीचरों को बदनामी सहन करनी पड़ रही। अधिकारी भी अपनी प्लानिंग को दोष देने की बजाए उल्टा टीचरों की कार्यप्रणाली को कोस रहे है। जबकि इसमें उनका रती भर भी दोष नहीं है। इन आरोपों को संघ किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगा।

यहकिया जाए : संघके प्रधान मनोज परिहार, प्रदेश सलाहकार प्रवीण शर्मा, सचिव सुशील चौहान, मुकेश शर्मा, राकेश रानी, कमल स्वरूप, संजीव ठाकुर ने एसपीडी को सुझाव दिया है कि बजट का उपयोग गैर शिक्षण कामों, सेमिनारों और दूसरे आयोजनों पर खर्च करने की बजाए कक्षाओं, स्कूलों, टीचरों, स्टूडेंट्स, शिक्षण संबंधी तकनीकों जैसे कंप्यूटर से शिक्षा जैसे विषयों और तंत्र को मजबूत बनाने के लिए होना चाहिए।

साथ में पहली से ही दिखावटी की बजाए प्रभावी शिक्षा शुरू की जानी चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षित टीचर तैनात हों, कंप्यूटर के लिए 5 दिन की ट्रेनिंग आधारहीन ही बल्कि व्यर्थ है। परिहार ने बताया के एसपीडी ने ध्यान से उनकी बात सुनी और व्यवस्था में सुधार लाने को जरुरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

डाकिया बना दिए टीचर

संघने कहा कि इन योजनाओं की गतिविधियों ने टीचरों को डाकिया बनकर रख दिया है। क्योंकि प्रशिक्षित होने के बावजूद भी उन्हें ट्रेनिंग सहित रिकार्ड तैयार करके उसे अधिकारियों के टेबलों तक पहुंचाने का काम उन्हें करना पड़ रहा है। गैर शिक्षक कामों की वजह से वे क्लास में कम ही पढ़ा पाते हैं। उपर से जरूरत होने पर हर बार नए प्रयोग, शिक्षण कार्यों में नए नए निर्देश की बौछार कर टीचरों को भ्रमित किया जा रहा, उलझाए रखने काे दबाव बनाया जा रहा है। बीआरसी के पदों पर साइंस टीचरों को तैनात करने पर रोष जताया क्योंकि गणित और साइंस पढ़ाने वालों से भेदभाव ठीक नहीं।
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