राज्य ब्यूरो, शिमला : सरकारी स्कूलों में फैशनेबल कपड़े पहनने पर रोक
लगने के शिक्षा निदेशालय के आदेश से महिला शिक्षकों में रोष है। इस आदेश से
शिक्षक संघ भी भड़क गए हैं। स्कूल प्रवक्ता संघ हो या शिक्षक महासंघ,
अधिकांश शिक्षकों ने इस आदेश को शिक्षकों की स्वतंत्रता का हनन बताया है।
हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष एसएस रांटा ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों की तौहीन है। शिक्षक छात्रों का आदर्श होते हैं जो जानते हैं कि स्कूल में किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए और किस तरह के नहीं। मोबाइल फोन भी कोई शिक्षक कक्षा में लेकर नहीं जाता है। स्टाफ रूम में ही फोन सुने जाते है मगर कैंपस में फोन सुनने पर रोक लगाना सही नहीं है। स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष अश्वनी ने कहा कि इस तरह का आदेश जारी करना शिक्षकों की स्वतंत्रता का हनन है। मोबाइल फोन का हम भी विरोध करते हैं मगर कैंपस में तो फोन सुने जा सकते हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूलों में ड्रेस कोड निर्धारित किया जाए। चिकित्सकों व अधिवक्ताओं की तरह शिक्षकों के लिए भी एप्रिन या गाउन तय किया जाए। फिर चाहे शिक्षक जैसे कपड़े पहनें, उस पर घुटनों तक गाउन या एप्रिन पहनकर कक्षा में प्रवेश करेंगे। कई बड़े निजी स्कूलों में इस तरह किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में भी इसे नियम को लागू किया जा सकता है लेकिन कपड़े अच्छे नहीं पहने हैं, यह कहना उचित नहीं है।
कई अध्यापिकाओं की आई थी शिकायत
शिक्षा निदेशालय में हमीरपुर व अन्य जिलों से कई अध्यापिकाओं की शिकायत आई थी कि वे जींस पेंट पहन कर स्कूल आती है। जींस पेंट में उनका स्कूल आना कई अभिभावकों को पसंद नहीं आया और शिकायत कर दी। इसके अतिरिक्त शिक्षक टी-शर्ट पहन कर स्कूल आते थे जो अब ऐसे कपड़े पहन कर नहीं आ पाएंगे। अधिकांश स्कूलों में देखने में आया है कि वाई-फाई की सुविधा मुफ्त मिल रही है और शिक्षक मोबाइल फोन लेकर सोशल मीडिया में अधिक व्यस्त रहने लगे हैं। इस कारण मोबाइल फोन का उपयोग स्टाफ रूम के अलावा कक्षा व कैंपस में करने पर रोक लगाई गई है।
ड्रेस कोड पर होगा विचार
शिक्षक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें लेकिन कक्षा में जाने से पहले इसे स्विच ऑफ कर दें। स्कूलों में कोई ऐसा स्थान चिह्नित किया जाए जहां कक्षा खत्म होने के बाद फोन पर बातचीत की जा सके। कक्षा में किसी तरह की कोताही सहन नहीं की जाएगी। शिक्षण संस्थानों में कपड़े भी शालीन पहने जाने चाहिए। स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड पर विचार किया जाएगा।
- बीएल बिंटा, निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय
हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष एसएस रांटा ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों की तौहीन है। शिक्षक छात्रों का आदर्श होते हैं जो जानते हैं कि स्कूल में किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए और किस तरह के नहीं। मोबाइल फोन भी कोई शिक्षक कक्षा में लेकर नहीं जाता है। स्टाफ रूम में ही फोन सुने जाते है मगर कैंपस में फोन सुनने पर रोक लगाना सही नहीं है। स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष अश्वनी ने कहा कि इस तरह का आदेश जारी करना शिक्षकों की स्वतंत्रता का हनन है। मोबाइल फोन का हम भी विरोध करते हैं मगर कैंपस में तो फोन सुने जा सकते हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूलों में ड्रेस कोड निर्धारित किया जाए। चिकित्सकों व अधिवक्ताओं की तरह शिक्षकों के लिए भी एप्रिन या गाउन तय किया जाए। फिर चाहे शिक्षक जैसे कपड़े पहनें, उस पर घुटनों तक गाउन या एप्रिन पहनकर कक्षा में प्रवेश करेंगे। कई बड़े निजी स्कूलों में इस तरह किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में भी इसे नियम को लागू किया जा सकता है लेकिन कपड़े अच्छे नहीं पहने हैं, यह कहना उचित नहीं है।
कई अध्यापिकाओं की आई थी शिकायत
शिक्षा निदेशालय में हमीरपुर व अन्य जिलों से कई अध्यापिकाओं की शिकायत आई थी कि वे जींस पेंट पहन कर स्कूल आती है। जींस पेंट में उनका स्कूल आना कई अभिभावकों को पसंद नहीं आया और शिकायत कर दी। इसके अतिरिक्त शिक्षक टी-शर्ट पहन कर स्कूल आते थे जो अब ऐसे कपड़े पहन कर नहीं आ पाएंगे। अधिकांश स्कूलों में देखने में आया है कि वाई-फाई की सुविधा मुफ्त मिल रही है और शिक्षक मोबाइल फोन लेकर सोशल मीडिया में अधिक व्यस्त रहने लगे हैं। इस कारण मोबाइल फोन का उपयोग स्टाफ रूम के अलावा कक्षा व कैंपस में करने पर रोक लगाई गई है।
ड्रेस कोड पर होगा विचार
शिक्षक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें लेकिन कक्षा में जाने से पहले इसे स्विच ऑफ कर दें। स्कूलों में कोई ऐसा स्थान चिह्नित किया जाए जहां कक्षा खत्म होने के बाद फोन पर बातचीत की जा सके। कक्षा में किसी तरह की कोताही सहन नहीं की जाएगी। शिक्षण संस्थानों में कपड़े भी शालीन पहने जाने चाहिए। स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड पर विचार किया जाएगा।
- बीएल बिंटा, निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय