राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के चार हजार स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी)
शिक्षकों को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने
एसएमसी शिक्षकों के लिए किसी प्रकार की नीति बनाने से साफ इन्कार कर दिया
है। वीरवार को एसएमसी संघ ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया।
इसके बाद संघ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए मिलने गए। इस दौरान एसएमसी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने अनुबंध पर लाने के लिए नीति बनाने की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में नीति बनाने से इन्कार कर दिया। ऐसे में एसएमसी शिक्षकों में रोष बढ़ने लगा है। संघ ने अब प्रदेश सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
एसएमसी शिक्षक संघ ने अंबेडकर चौक से लेकर विधानसभा तक रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। संघ के महासचिव मनोज ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नीति बनाने से साफ इन्कार कर दिया है। एसएमसी शिक्षकों ने कक्षाओं के बहिष्कार के साथ क्रमिक अनशन शुरू करने की चेतावनी दी है। संघ ने कहा कि जब कंप्यूटर शिक्षकों के लिए नीति बन सकती है तो एसएमसी शिक्षको के लिए भी नीति बनाई जानी चाहिए। जबकि एसएमसी शिक्षक प्रदेश के उन स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां पर अध्यापकों की कमी है या फिर अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि एसएमसी शिक्षक सभी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता पूरी करते हैं, लेकिन उन्हें नियमितीकरण का लाभ आखिर क्यों वंचित रखा जा रहा है। प्रदेश सरकार उन्हें महज एक वर्ष का सेवाकाल विस्तार लाभ देकर नीति बनाने का आश्वासन देती रही और आज नीति बनाने से साफ मना कर दिया। प्रदेश सरकार ने एसएमसी शिक्षकों के साथ धोखा किया है।
इसके बाद संघ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए मिलने गए। इस दौरान एसएमसी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने अनुबंध पर लाने के लिए नीति बनाने की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में नीति बनाने से इन्कार कर दिया। ऐसे में एसएमसी शिक्षकों में रोष बढ़ने लगा है। संघ ने अब प्रदेश सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
एसएमसी शिक्षक संघ ने अंबेडकर चौक से लेकर विधानसभा तक रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। संघ के महासचिव मनोज ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नीति बनाने से साफ इन्कार कर दिया है। एसएमसी शिक्षकों ने कक्षाओं के बहिष्कार के साथ क्रमिक अनशन शुरू करने की चेतावनी दी है। संघ ने कहा कि जब कंप्यूटर शिक्षकों के लिए नीति बन सकती है तो एसएमसी शिक्षको के लिए भी नीति बनाई जानी चाहिए। जबकि एसएमसी शिक्षक प्रदेश के उन स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां पर अध्यापकों की कमी है या फिर अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि एसएमसी शिक्षक सभी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता पूरी करते हैं, लेकिन उन्हें नियमितीकरण का लाभ आखिर क्यों वंचित रखा जा रहा है। प्रदेश सरकार उन्हें महज एक वर्ष का सेवाकाल विस्तार लाभ देकर नीति बनाने का आश्वासन देती रही और आज नीति बनाने से साफ मना कर दिया। प्रदेश सरकार ने एसएमसी शिक्षकों के साथ धोखा किया है।