प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में तैनात चार हजार से अधिक एसएमसी
शिक्षकों को बड़ा झटका दिया है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से इनके बारे में
पॉलिसी बनाने से इनकार कर दिया है. चुनावी साल में शिक्षकों को सरकार से
बड़ी उम्मीद थी, लेकिन अब इन्हें झटका लगा है.
वीरवार को विधानसभा के बाहर इन शिक्षकों ने आक्रोश रैली की थी. वीरवार दोपहर बाद शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की तो सीएम ने कहा कि फिलहाल पॉलिसी नहीं बनाई जाएगी.
इसके बाद इन शिक्षकों के संघ ने शनिवार को बैठक बुलाई है, जिसमें रणनीति बनाई जाएगी.इससे पहले शिक्षकों ने विधानसभा का घेराव कर नारेबाजी की. अनुबंध नीति बनाने की मांग पर शिक्षकों ने चौड़ा मैदान से विस तक आक्रोश रैली निकाली थी.
पीरियड बेसिस एसएमसी टीचर एसोसिएशन का कहना है कि बीते पांच साल से शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें एक अवकाश तक नहीं दिया जाता. अधिकतर एसएमसी शिक्षक प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में कार्यरत हैं।
बता दें कि बीते दिनों कैबिनेट बैठक में सरकार ने एसएमसी शिक्षकों के मानदेय में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. प्रति शिक्षक के मासिक मानदेय में 800 से 1500 रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला हुआ था.
वीरवार को विधानसभा के बाहर इन शिक्षकों ने आक्रोश रैली की थी. वीरवार दोपहर बाद शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की तो सीएम ने कहा कि फिलहाल पॉलिसी नहीं बनाई जाएगी.
इसके बाद इन शिक्षकों के संघ ने शनिवार को बैठक बुलाई है, जिसमें रणनीति बनाई जाएगी.इससे पहले शिक्षकों ने विधानसभा का घेराव कर नारेबाजी की. अनुबंध नीति बनाने की मांग पर शिक्षकों ने चौड़ा मैदान से विस तक आक्रोश रैली निकाली थी.
पीरियड बेसिस एसएमसी टीचर एसोसिएशन का कहना है कि बीते पांच साल से शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें एक अवकाश तक नहीं दिया जाता. अधिकतर एसएमसी शिक्षक प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में कार्यरत हैं।
बता दें कि बीते दिनों कैबिनेट बैठक में सरकार ने एसएमसी शिक्षकों के मानदेय में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. प्रति शिक्षक के मासिक मानदेय में 800 से 1500 रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला हुआ था.