- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: अध्यापकों पर हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई पर भड़का अध्यापक संघ अध्यापकों पर हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई पर भड़का अध्यापक संघ

अध्यापकों पर हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई पर भड़का अध्यापक संघ

 मंडी (रजनीश) : पंचायती संस्थानों के चुनाव में अच्छा कार्य करने के बावजूद चुनाव आयोग द्वारा कुछ शिक्षक कर्मियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर अपनी सेवा से सस्पेंड करने पर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने नाखुशी जाहिर की हैं। संघ ने शिक्षक कर्मचारियों को उनकी सेवाओं से बर्खास्त करने को गैर कानूनी करार दिया है। संघ ने आपात बैठक कर आयोग द्वारा इन कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई की निंदा की है।

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ जिला मंडी के जिला अध्यक्ष अश्वनी गुलेरिया, महासचिव देवराज शर्मा, वित्त सचिव राजकुमार, महिला विंग की अध्यक्ष भारती बहल, जिला उपाध्यक्ष दलीप ठाकुर व मुख्य सलाहकार नानक चंद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए पंचायती संस्थानों के चुनाव में अध्यापक वर्ग का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है और बिना अध्यापकों के कोई भी चुनावी कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि अध्यापक इस कार्य को निष्पक्षता से पूर्ण करने में अपना पूरा सहयोग चुनाव आयोग को देते हैं और इसके लिए उन अध्यापकों को लगातार 25 से 30 घंटे कार्य करना पड़ता है, जिसके कारण कहीं न कहीं कुछ कमी रह सकती है। ऐसी कमी न हो इसके लिए चुनाव आयोग को भी आगे से चुनावी प्रक्रिया को बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर के चुनावों में तो शिक्षक हजारों प्रत्याशियों के नाम भी 2 या 3 दिन के भीतर रात रात भर जाग कर बैलेट पेपर पर लिखते हैं। यही नहीं, बिना भोजन किए सुबह 6 बजे पोलिंग बूथ पर पहुंच कर दिन भर चुनाव संचालन कर रात को 1 या 2 बजे जाकर मतगणना करवाकर फ्री होते हैं। उन्होंने कहा कि सारा सामान खुद उठाकर कर्मचारी बूथों पर पहुंचते हैं। ऐसे में कई जगह छोटी मोटी अगर गलती हो जाती है तो चुनाव के लिए नियुक्त प्रभारी इसका सारा जिम्मा चुनावी टीम के सिर फोड़ देते हैं। ऐसे में चुनाव के समय प्रदत्त विशेष शक्तियों का दुरप्रयोग अधिकारियों द्वारा जम कर किया जाता है व चुनाव कार्यप्रणाली के बहाने इन अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने की भी कोशिश की जाती है। शिक्षकों को कार्रवाई के नाम पर बर्खास्त करना गलत बात है।
संघ के जिला अध्यक्ष अश्वनी गुलेरिया ने कहा कि विभाग को उन कारणों का पता लगाना चाहिए जिन कारणों से कर्मचारी से गलती होने का अंदेशा रहता है। जहां पर गलती होने का अंदेशा रहता है ऐसे कार्यों को चुनाव आयोग को बदल देना चाहिए और इनका निदान कर चुनाव में व्यस्त कर्मचारियों को राहत प्रदान करनी चाहिए, ताकि ये प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न की जा सके। अन्यथा कर्मचारी डरकर अपने ऊपर होने वाली कार्रवाई के कारण इस लाजमी ड्यूटी को करने से कतराते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनावी कर्मचारियों द्वारा मंडी जिलों से भी अपने उच्च अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे दुरव्यवहार की शिकायतें की गई थी, परंतु अधिकतर जिलाधीशों, एस.डी.एम. और विकास खंड अधिकारियों द्वारा कूड़े के ढेरों में ये शिकायतें डाल दी गईं, जबकि अपनी ओर से ईमानदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार चला दी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा संघों के सुझावों को भी हमेशा दरकिनार कर दिया जाता है अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में कोई भी शिक्षक चुनावी ड्यूटी नहीं देगा और संघ इन चुनावी ड्यूटी का बहिष्कार करेगा।

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