प्रदेशमंे सबसे बड़े शिक्षा विभाग के शिक्षकों की मांगें अलग से जेसीसी होने
से दब रही हैं। प्रदेश में अगर तीन लाख के करीब सरकार के पास कर्मचारी हैं
तो इनमें से करीब डेढ़ लाख के करीब तो शिक्षा विभाग में ही कार्यरत हैं।
एनजीअो की जेसीसी में उनकी समस्याओं और मांगों को तरजीह नहीं मिलती है।
इससे शिक्षक वर्ग को अपनी-अपनी मांगें मनवाने के लिए अपने अलग संगठनों को गठन करने का मजबूर होना पड़ा है। बढ़ते संगठनों की संख्या भी उनकाे एक मंच नहीं दे पाई है।
इसके अलग शिक्षक संघ शिक्षा विभाग की अलग से जेसीसी करवाने की सरकार से मांग उठाने लगे हैं। टीजीटी आर्ट्स और साइंस टीजीटी, स्कूल प्रमोटी प्रवक्ता संघ और स्कूल प्रवक्ता संघ इसके पक्ष में अब खुलकर सामने गए हैं, लेकिन सरकार अभी भी इस बारे में मौन रवैया अपनाए हुए हैं। काबिलेगौर है कि अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (एनजीओ) की जेसीसी 29 दिसंबर को होना प्रस्तावित है। इससे शिक्षक वर्ग को अपनी समस्याओं के समाधान का कोई लाभ मिलेगा।
टीचरसंघों मंे कम बंटेंगे
शिक्षाविभाग की अलग से जेसीसी होने से एक बड़ा फायदा यह होगा कि टीचर अलग-अलग संघों में कम ही बंटेगे। इस समय तो हालात यह हो गए हैं कि अलग वर्गांे के टीचर करीब 16 संगठनों मंे बंट चुके हैं। एक ही वर्ग के दो से तीन संघ बन गए हैं। रेग्युलर, अनुबंध और अस्थाई पॉलीसी वाले इनमें शमिल हैं। इस बजह से सरकार भी परेशान है कि किस की बात मानें और किसकी मानें।
काबिलेगौर है कि अलग जेसीसी की यह मांग सबसे पहले हिमाचल टीजीटी आर्ट्स स्तानक शिक्षक संघ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश कानूनगो ने करीब 6 साल पहले उठाई थी। उसके बाद दूसरे संघ भी इस मांग के समर्थन में उतरे, लेकिन अलग-अलग मंच से बयानबाजी होने से यह मांग एक बुलंद आवाज नहीं बन सकी, मगर इस साल इस पर पूरा फोकस रहा।
अलग जेसीसी जरूरी
टीजीटीआर्ट्स के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पन्याली, प्रदेश महासचिव सुरेश कौशल, साइंस टीजीटी कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष मनोज परिहार और प्रमोटी प्रवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता केवल ठाकुर का कहना है कि शिक्षा विभाग की अलग से जेसीसी होना समय की मांग है। इसमंे कॉलेज कैडर भी जाएगा। अलग-अलग संघों के दबाव में सरकार भी कई बार सही फैसला नहीं ले पा ही है। उन्होंने किा कि मुख्यमंत्री जिनके पास शिक्षा विभाग भी है को अब यह फैसला लेने में देर नहीं करनी चाहिए। इससे शिक्षकों की मांगें समय रहते पूरी हो सकेंगी। एनजीओ की जेसीसी में प्रदेश के आधे कर्मचारियों (शिक्षक वर्ग) की अनदेखी ही होती रहती है।
इससे शिक्षक वर्ग को अपनी-अपनी मांगें मनवाने के लिए अपने अलग संगठनों को गठन करने का मजबूर होना पड़ा है। बढ़ते संगठनों की संख्या भी उनकाे एक मंच नहीं दे पाई है।
इसके अलग शिक्षक संघ शिक्षा विभाग की अलग से जेसीसी करवाने की सरकार से मांग उठाने लगे हैं। टीजीटी आर्ट्स और साइंस टीजीटी, स्कूल प्रमोटी प्रवक्ता संघ और स्कूल प्रवक्ता संघ इसके पक्ष में अब खुलकर सामने गए हैं, लेकिन सरकार अभी भी इस बारे में मौन रवैया अपनाए हुए हैं। काबिलेगौर है कि अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (एनजीओ) की जेसीसी 29 दिसंबर को होना प्रस्तावित है। इससे शिक्षक वर्ग को अपनी समस्याओं के समाधान का कोई लाभ मिलेगा।
टीचरसंघों मंे कम बंटेंगे
शिक्षाविभाग की अलग से जेसीसी होने से एक बड़ा फायदा यह होगा कि टीचर अलग-अलग संघों में कम ही बंटेगे। इस समय तो हालात यह हो गए हैं कि अलग वर्गांे के टीचर करीब 16 संगठनों मंे बंट चुके हैं। एक ही वर्ग के दो से तीन संघ बन गए हैं। रेग्युलर, अनुबंध और अस्थाई पॉलीसी वाले इनमें शमिल हैं। इस बजह से सरकार भी परेशान है कि किस की बात मानें और किसकी मानें।
काबिलेगौर है कि अलग जेसीसी की यह मांग सबसे पहले हिमाचल टीजीटी आर्ट्स स्तानक शिक्षक संघ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश कानूनगो ने करीब 6 साल पहले उठाई थी। उसके बाद दूसरे संघ भी इस मांग के समर्थन में उतरे, लेकिन अलग-अलग मंच से बयानबाजी होने से यह मांग एक बुलंद आवाज नहीं बन सकी, मगर इस साल इस पर पूरा फोकस रहा।
अलग जेसीसी जरूरी
टीजीटीआर्ट्स के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पन्याली, प्रदेश महासचिव सुरेश कौशल, साइंस टीजीटी कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष मनोज परिहार और प्रमोटी प्रवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता केवल ठाकुर का कहना है कि शिक्षा विभाग की अलग से जेसीसी होना समय की मांग है। इसमंे कॉलेज कैडर भी जाएगा। अलग-अलग संघों के दबाव में सरकार भी कई बार सही फैसला नहीं ले पा ही है। उन्होंने किा कि मुख्यमंत्री जिनके पास शिक्षा विभाग भी है को अब यह फैसला लेने में देर नहीं करनी चाहिए। इससे शिक्षकों की मांगें समय रहते पूरी हो सकेंगी। एनजीओ की जेसीसी में प्रदेश के आधे कर्मचारियों (शिक्षक वर्ग) की अनदेखी ही होती रहती है।