शिमला: प्रदेश सरकार ने
भाषा एवं शास्त्री शिक्षकों को डी.एल.एड. में छूट दिलाने के लिए केंद्र
सरकार को पत्र भेजा है। इसमें सरकार ने उक्त वर्गों के लिए डी.एल.एड. में
रियायत देने की मांग की है।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
ने खुद दिल्ली दौरे के दौरान यह पत्र केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को सौंपा
था। इस दौरान उन्होंने स्कूलों में कार्यरत भाषा एवं शास्त्री शिक्षकों को
डी.एल.एड. की बजाय बी.एड. की डिग्री करवाने की बात कही है। आर.टी.ई. एक्ट
में भी उक्त शिक्षकों के लिए बी.एड. अनिवार्य है, लेकिन केंद्र के
निर्देशों के मुताबिक उन्हें डी.एल.एड. करवाई जा रही है, जिसका शिक्षक
विरोध कर रहे हैं। इस समय प्रदेश में लगभग 6500 भाषा एवं शास्त्री शिक्षक
हैं, जो स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्ति
भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत हुई थी।ग्रामीण विद्या उपासकों को सरकार दे चुकी है छूट
सरकार ने शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग 1400 ग्रामीण विद्या उपासकों को डी.एल.एड. में छूट दी है। अब ये शिक्षक उक्त डिप्लोमा नहीं करेंगे। इन शिक्षकों को हाल ही में एक स्पैशल कोर्स करवाया था, जिसे सरकार ने डी.एल.एड. के समकक्ष माना है। सरकार ने इन शिक्षकों के डी.एल.एड. प्रशिक्षण के आदेश निरस्त कर दिए हैं। भाषा एवं शास्त्री अध्यापक भी सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें भी इस शर्त से छूट दिलाई जाए। शिक्षकों का कहना है कि एन.सी.आर.टी.ई. के नियमों व आर.टी.ई. एक्ट में उक्त शिक्षकों के लिए डी.एल.एड. कोर्स कहीं भी अनिवार्य नहीं है।