चंडीगढ़ः पंजाब में सात मुख्य संसदीय सचिवों (सी.पी.एस.) की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट से सरकार भंग करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं, शिक्षकों पर लाठियां बरस रही हैं और चहेतों को सी.पी.एस. बनाकर लाभ पहुंचाते हुए सरकार लग्जरी किटी मना रही है।
एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने यह याचिका दायर की है और अगले कुछ दिनों में इस पर सुनवाई संभव है। याचिका में कहा है कि संविधान के अनुसार 117 सीटों वाली पंजाब सभा में 13 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। तय मंत्रीमंडल का फार्मूला सभी राज्यों पर लागू होता है
उधर एक संशोधन में मुख्य संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों को मंत्री समान रुतबा और सुविधाएं देने का प्रावधान पंजाब सरकार ने बनाया था। ऐसे में केवल मंत्रीमंडल सदस्यों की संख्या तय संख्या से अधिक नहीं हो सकती, लेकिन सरकार ने पहले ही कई सी.पी.एस. बना रखे हैं और अब नए सात सी.पी.एस. शामिल करने के साथ इनकी संख्या 25 तक पहुंच गई है।
कहा है कि सी.पी.एस. को सुविधाएं देने में सरकार का खर्च होता है और सरकारी पैसा आम व्यक्ति का पैसा है। दायरे से बाहर जाकर सी.पी.एस. बनाना सरकारी खजाने का दुरुपयोग है। दलील दी गई है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तय संख्या से अधिक मंत्रीमंडल बनाने को खारिज कर दिया था।
इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन सरकार ने एसएलपी वापस ले ली। अभी तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर कोई रोक भी नहीं है, लेकिन पंजाब में पहले भी तय संख्या से सीपीएस बना दिए गए थे। हाईकोर्ट को याचिका में बताया है कि पहले बनाए सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित है।
याचिका में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सात सीपीएस गुरतेज सिंह घुनियाना, मनजीत सिंह मीयांविंड, दर्शन सिंह शिवालिक, गुरप्रताप सिंह वडाला, प्रगट सिंह, सुखजीत कौर साही और सीमा कुमारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में जहां सीपीएस की नियुक्ति रद्द करने और सुनवाई तक शपथ पर रोक की मांग की गई है, वहीं सरकार को भंग करने की मांग भी की गई है। आरोप है कि वित्तीय स्थिति की वजह से मौजूदा सरकार प्रदेश वासियों को सही राज नहीं दे सकी है, उधर चहेतों को एडजस्ट करने के लिए सरकारी खजाने पर बोझ डाला जा रहा है। इस याचिका पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने यह याचिका दायर की है और अगले कुछ दिनों में इस पर सुनवाई संभव है। याचिका में कहा है कि संविधान के अनुसार 117 सीटों वाली पंजाब सभा में 13 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। तय मंत्रीमंडल का फार्मूला सभी राज्यों पर लागू होता है
उधर एक संशोधन में मुख्य संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों को मंत्री समान रुतबा और सुविधाएं देने का प्रावधान पंजाब सरकार ने बनाया था। ऐसे में केवल मंत्रीमंडल सदस्यों की संख्या तय संख्या से अधिक नहीं हो सकती, लेकिन सरकार ने पहले ही कई सी.पी.एस. बना रखे हैं और अब नए सात सी.पी.एस. शामिल करने के साथ इनकी संख्या 25 तक पहुंच गई है।
कहा है कि सी.पी.एस. को सुविधाएं देने में सरकार का खर्च होता है और सरकारी पैसा आम व्यक्ति का पैसा है। दायरे से बाहर जाकर सी.पी.एस. बनाना सरकारी खजाने का दुरुपयोग है। दलील दी गई है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तय संख्या से अधिक मंत्रीमंडल बनाने को खारिज कर दिया था।
इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन सरकार ने एसएलपी वापस ले ली। अभी तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर कोई रोक भी नहीं है, लेकिन पंजाब में पहले भी तय संख्या से सीपीएस बना दिए गए थे। हाईकोर्ट को याचिका में बताया है कि पहले बनाए सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित है।
याचिका में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सात सीपीएस गुरतेज सिंह घुनियाना, मनजीत सिंह मीयांविंड, दर्शन सिंह शिवालिक, गुरप्रताप सिंह वडाला, प्रगट सिंह, सुखजीत कौर साही और सीमा कुमारी को भी प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में जहां सीपीएस की नियुक्ति रद्द करने और सुनवाई तक शपथ पर रोक की मांग की गई है, वहीं सरकार को भंग करने की मांग भी की गई है। आरोप है कि वित्तीय स्थिति की वजह से मौजूदा सरकार प्रदेश वासियों को सही राज नहीं दे सकी है, उधर चहेतों को एडजस्ट करने के लिए सरकारी खजाने पर बोझ डाला जा रहा है। इस याचिका पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है।
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