शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Teachers Association, राजकीय अध्यापक संघ ने 27 नवंबर को होने वाली संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा
कि प्रदेश में ढाई लाख कर्मचारी हैं। इसमें 90 हजार शिक्षक हैं। जेसीसी की बैठक में शिक्षक शामिल नहीं होंगे। सबसे बड़ा वर्ग ही जब जेसीसी की बैठक में नहीं होगा तो फिर इसका क्या औचित्य। उन्होंने शिमला में पत्रकारों से कहा कि भाजपा सरकार शिक्षकों की मांगों की अनदेखी कर रही है। आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग के सचिव व निदेशक शिक्षकों की मांगों को लेकर सही तथ्य सरकार के समक्ष नहीं रख रहे हैं। जेबीटी से लेकर प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नतियों की फाइलें जानबूझकर लटका दी गई हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ चाटूकार शिक्षक नेता भी इसमें निदेशालय का साथ दे रहे हैं।वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों की मांगों को सुलझाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। यह कमेटी महज नाम की है। अभी तक इसकी बैठक ही नहीं हुई है। शिक्षकों के लिए सरकार अलग से जेसीसी की बैठक बुलाए। वीरेंद्र चौहान ने कहा कि शिक्षक और छात्रों की मांगों को उठाया तो निदेशक उच्चतर शिक्षा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दे दिया। उनके खिलाफ कई तरह की जांच शुरू की गई। यह विभाग की तानाशाही को दर्शाता है।
राजकीय अध्यापक संघ ने स्कूलों को एचडीएफसी बैंक में खाते खुलवाने के आदेश पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस बैंक की हिमाचल में काफी कम शाखाएं है। फिर क्यों विभाग इस बैंक पर मेहरबानी दिखा रहा है। सरकार इस मामले की जांच करवाए कि इसमें किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार तो नहीं हो रहा है।