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HP: राजस्थान की तर्ज़ पर हों नई शिक्षा नीति के सुधार, UG में पढ़े विषयों में ही प्रमोट हों शिक्षक

 हमीरपुर, 8 नवंबर : राजस्थान सरकार ने हाल ही में 50 साल पुरानी शिक्षा विभाग की पदोन्नति नियमावलियों में बड़े बदलाव किए हैं। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों की भर्ती पदोन्नति गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उक्त सुधारों की कवायद शुरू की गई है, जिसके तहत स्नातक स्तर पर पढ़े विषयों के आधार पर ही टीजीटी से पीजीटी /प्रवक्ता पदोन्नति होगी।

 नई व्यवस्था के तहत भर्ती में भी यही नियम लागू होगा जिसके चलते राजस्थान के लाखों बेरोज़गार और हजारों कार्यरत शिक्षक लाभान्वित होंगे। इस तरह जिन शिक्षकों ने बीए, एमए की है, वे ही आर्ट्स संकाय में उन विषयों के प्रवक्ता बन सकेंगे जो उन्होने स्नातक स्तर पर पढ़े हैं जबकि बीएससी, एमएससी डिग्री वाले शिक्षक विज्ञान संकाय में ही पदोन्नत होंगे।

पहले विज्ञान संकाय वाले शिक्षकों को एमए करने पर आर्ट्स संकाय प्रवक्ता पदोन्नति देने के सिस्टम को राजस्थान ने समाप्त कर दिया है । इस व्यवस्था के अनुरूप प्रदेश में भी नई शिक्षा नीति के तहत सुधार की मांग राजकीय टीजीटी कला संघ ने उठाई है। संघ के प्रदेश महासचिव विजय हीर ने कहा कि राजस्थान ने सभी उच्च विद्यालयों में वाईस प्रिंसिपल के पद सृजित कर दिए हैं, मगर प्रदेश में इस तरह के पदों के सृजन की प्रतीक्षा शिक्षक लंबे समय से कर रहे हैं, ताकि प्रमोशन हेतु लंबा इंतज़ार न करना पड़े। प्रदेश में शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया भी साल में दो करनी आपेक्षित है। अप्रैल और अक्तूबर माह में डीपीसी  की प्रक्रिया रिक्त पद प्रमोशन से भरने हेतु करना अनिवार्य बनाया जाए।

टीजीटी से प्रवक्ता, टीजीटी से हैड मास्टर और हेडमास्टर से प्रिंसिपल पदोन्नति की राह देख रहे प्रदेश के हजारों शिक्षकों के हितों की रक्षा हेतु सरकार से शीघ्र सकारात्मक कार्यवाही अपेक्षित है। टीजीटी से प्रवक्ता पदोन्नति सूची जारी करने की प्रक्रिया को संघ ने अविलंब शुरू करने की अपील की है, अन्यथा अनेकों शिक्षक बिना पदोन्नति ही मूल पद पर ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे ।

जिस दिन अनुबंध पूरा, उसी दिन से करें नियमित

अनुबंध सेवा को हर 6 माह बाद नियमित करने के सिस्टम को भी टीजीटी कला संघ ने बदलने की गुहार लगाई है । संघ के अनुसार जिस दिन कर्मचारी के अनुबंध पूर्ण हो, उसी माह उसका डीडीओ एसीआर ऑनलाइन वैरिफाई करे और मानव संपदा पोर्टल और हिमकोष पोर्टल पर उसकी सेवाएं नियमित करते हुए नियमित वेतन जारी किया जाए । अगर सरकार अनुबंध और आऊटसोर्स  प्रणाली ही समाप्त करे तो वह सबसे अच्छा कदम होगा।

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