- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: अरे साहब ! नकल पकडऩे में भी मनमर्जी अरे साहब ! नकल पकडऩे में भी मनमर्जी

अरे साहब ! नकल पकडऩे में भी मनमर्जी

शिमला (सीमा कश्यप)ः प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से संचालित वार्षिक परीक्षाओं में नकल के मामले पकडऩे में भी मनमर्जी हो रही है। किसी स्कूल में तो दिन में चार व पांच बार फ्लाइंग टीम आ रही है। वहीं, किसी स्कूल में आखिरी पेपर में भी एक बार फ्लांइग टीम नहीं आई।

स्कूल शिक्षा बोर्ड ने निर्देश दिया था कि एक स्कूल में एक दिन में बार-बार फ्लाइंग टीमें नहीं जाएंगी। विशेष तौर पर दुर्गम क्षेत्रों के स्कूल बिल्कुल न छूटें। प्रदेश के पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित परीक्षा केंद्रों में भी निगरानी होती रहे। आलम यह है कि शनिवार को कंप्यूटर व कला विषय के पेपर के साथ दसवीं की परीक्षा समाप्त हो गई। दूरदराज क्षेत्रों के ऐसे स्कूल भी हैं जहां परीक्षा में एक बार भी फ्लाइंग टीम नहीं आई। ग्रामीण क्षेत्रों के जुनगा, डुबलु, पीरन आदि ऐसे कई स्कूल हैं जहां फ्लाइंग टीम नहीं पहुंची। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बोर्ड परीक्षा को लेकर शिक्षक कितने गंभीर हैं। शहर के स्कूलों में हर दिन चार से पांच बार फ्लाइंग टीम पहुंच रही है। दस-दस मिनट या आधे घंटे के अंतराल के बाद पहुंचने वाली ऐसी टीम से बच्चों के परीक्षा के तीन घंटे हड़बड़ाहट व घबराहट में बीत रहे हैं। अभी दस जमा दो कक्षा की 21, 22 व 28 मार्च को शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर व संस्कृत विषयों की परीक्षा शेष है।
बच्चों पर पड़ रहा मानसिक दबाव
लक्कड़ बाजार केंद्र में गुम्मा से आए परीक्षा अधीक्षक प्रवीण शर्मा ने बताया कि जबसे परीक्षा शुरू हुई है, हर दिन चार टीमें ये देखने पहुंच रही हैं कि नकल तो नहीं हो रही है। इससे बच्चों पर मानसिक दबाव पड़ता है और वे परीक्षा अच्छे से नहीं दे पाते हैं। फ्लाइंग स्कवायड को दूरदराज स्थित स्कूलों में भी जाना चाहिए। अपनी सहूलियत के हिसाब से बच्चों पर बेवजह का दबाव क्यों डाला जाए?
कई परीक्षा केंद्रों में नहीं हुई निगरानी
हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रवक्ता डॉ. मामराज पुंडीर ने कहा कि दुर्गम व ग्रामीण क्षेत्रों में तो एक भी बार फ्लाइंग टीम नहीं पहुंची। मशोबरा ब्लॉक के अंतर्गत भी कई ऐसे परीक्षा केंद्र हैं। रोहड़ू, रामपुर, दरकाली, डोडरा क्वार व जनजातीय क्षेत्रों में परीक्षा केंद्रों पर कभी निगरानी हुई ही नहीं।
200 से ज्यादा हैं फ्लाइंग स्कवायड
स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 200 से अधिक फ्लाइंग स्कवायड गठित किए हैं। शिमला, कांगड़ा व मंडी जैसे जिलों में शिक्षा उप निदेशकों के रखरखाव में चार-चार फ्लाइंग स्कवायड गठित हैं जबकि अन्य जिलों में दो-दो टीमें हैं। सब डिवीजन स्तर पर भी फ्लाइंग स्कवायड हैं और बोर्ड की तरफ से अलग प्रबंध किए गए हैं। हर टीम में कम से कम तीन शिक्षक शामिल हैं।
ड्रॉपिंग सेंटर मीलों दूर
प्रदेश में स्थापित परीक्षा केंद्रों से ड्रॉपिंग सेंटर यानी जहां परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाएं सील कर छोड़ी जाती हैं, वे कई किलोमीटर दूर स्थापित किए गए हैं। ऐसे केंद्रों तक पहुंचने के लिए कई जगह तो बसों के धक्के खाने पड़ रहे हैं। कहीं शिक्षक तो कहीं स्कूल के चपरासी सील बंद उत्तरपुस्तिकाएं शाम छह-छह बजे तक पहुंचा पा रहे हैं। शिमला स्थित राजकीय कन्या विद्यालय लक्कड़ बाजार की बात की जाए तो यहां कुफरी, मुंडाघाट, जुनगा, तक के परीक्षा केंद्रों से उत्तर पुस्तिकाएं ड्रॉप की जा रही हैं। इस वजह से ड्रॉपिंग के लिए तैनात कर्मचारी को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है। छोटा शिमला, खलीणी, कैथू, लालपानी, एसडी, संजय गांधी, आर्य समाज व पोर्टमोर का भी यही ड्रॉपिंग सेंटर है। उधर, ढली स्कूल के लिए लक्कड़ बाजार की बजाय विपरीत दिशा में बल्देयां ड्रॉपिंग सेंटर रखा गया है।
एसडीएम की है जवाबदेही
फ्लाइंग स्कवायड को विशेष आदेश है कि एक स्कूल में ही बार-बार न जाएं। इसके लिए संबंधित एसडीएम की जवाबदेही तय की गई है।
-विनय धीमान, सचिव, स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला।
सहन नहीं होगी कोताही
परीक्षा प्रणाली के हर पहलू को जिम्मेदाराना तरीके से निभाना होगा। कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
-पीसी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव (शिक्षा)

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