पूर्व मुख्यमंत्री और
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थों के चलते
कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में शिक्षा प्रणाली का मटियामेट कर दिया है।
शिक्षा की गुणात्मक यहां तक पहुंच गई है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड
परीक्षाओं में 19 विद्यालयों का परिणाम जीरो प्रतिशत रहा।
लगभग 126 स्कूलों का परिणाम 20 फीसदी से कम है।
इसमें सबसे शर्मनाक और गैर जिम्मेदाराना पहलू यह है कि इस मामले में कोई भी
जवाबदेही लेने के लिए तैयार नहीं है। राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस
सरकार ने धड़ाधड़ स्कूल खोल दिए।
लेकिन सरकार इन स्कूलों में न्यूनतम व मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रही। राजनीतिक फायदों के लिए शिक्षा के साथ खिलवाड़ करना एक जघन्य अपराध है। बिना स्टाफ, बिना मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा किए शिक्षण संस्थानों के खोलने की घोषणाओं से क्षणिक वाहवाही तो जरूर मिल जाती है लेकिन विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक रहा है।
बहुत जगहें ऐसी हैं जहां पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है और एक अध्यापक पर पूरे स्कूल की जिम्मेदारी है। ऐसे में बच्चों को गुणात्मक और प्रभावी शिक्षा कैसे मिलेगी, इसका उत्तर किसी के पास नहीं है। करसोग जैसी जगह में शेड के तले बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं। धूमल ने कहा कि 10वीं और 12वीं में जिन शिक्षण संस्थानों में बहुत खराब परिणाम आए हैं, उनको चिन्ह्ति करके कारणों की समीक्षा की जानी अति आवश्यक है।
लेकिन सरकार इन स्कूलों में न्यूनतम व मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रही। राजनीतिक फायदों के लिए शिक्षा के साथ खिलवाड़ करना एक जघन्य अपराध है। बिना स्टाफ, बिना मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा किए शिक्षण संस्थानों के खोलने की घोषणाओं से क्षणिक वाहवाही तो जरूर मिल जाती है लेकिन विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक रहा है।
बहुत जगहें ऐसी हैं जहां पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है और एक अध्यापक पर पूरे स्कूल की जिम्मेदारी है। ऐसे में बच्चों को गुणात्मक और प्रभावी शिक्षा कैसे मिलेगी, इसका उत्तर किसी के पास नहीं है। करसोग जैसी जगह में शेड के तले बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं। धूमल ने कहा कि 10वीं और 12वीं में जिन शिक्षण संस्थानों में बहुत खराब परिणाम आए हैं, उनको चिन्ह्ति करके कारणों की समीक्षा की जानी अति आवश्यक है।