शिमला: सरकारी स्कूलों में 25 % से कम परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों पर शीघ्र कार्रवाई हो सकती है, साथ ही ऐसे शिक्षकों की पहचान भी की जा रही है, जो कोचिंग सैंटर चलाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार बीते दिन मंत्रिमंडल की बैठक में सरकारी स्कूलों में खराब शिक्षा परिणाम को लेकर चर्चा हुई, इसमें खराब शिक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों पर दंड स्वरूप तबादले करने का निर्णय लिया गया।
मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि कई स्कूलों का परीक्षा परिणाम शून्य है, लिहाजा ऐसे में कार्रवाई करना जरूरी है, ताकि भविष्य में संतोषजनक परीक्षा परिणाम सामने आए। उल्लेखनीय है कि राज्य के 125 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिनका परीक्षा परिणाम 25 फीसदी से कम रहा है। इसी तरह 19 स्कूलों का परीक्षा परिणाम शून्य रहा है। इसमें 16 हाई और 3 सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में परीक्षा परिणाम शून्य रहा है। सरकार को यह भी शिकायतें मिली हैं कि कई सरकारी स्कूलों के शिक्षक कोचिंग सैंटर चला रहे हैं, ऐसे शिक्षकों की पहचान करके उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल बैठक में जलवाहकों की नियुक्ति में पारदर्शिता बरते जाने के लिए एस.डी.एम. के माध्यम से भर्ती करने का निर्णय लिया गया।
निदेशालय व डाईट में अभी भी डटे हैं चहेते शिक्षक मंत्रिमंडल की बैठक में भले ही खराब परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करने पर सहमति बनी हो लेकिन सरकार के कई चहेते शिक्षक अभी भी शिक्षा निदेशालय, शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय और डाईट में डटे हुए हैं। प्रदेश में पहले भाजपा और अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी चहेते शिक्षकों को तैनाती दी गई है। इसमें कई शिक्षकों की पैठ दोनों दलों में इतनी अच्छी है कि वे दोनों सरकारों के समय यहीं समय गुजार रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे शिक्षक निदेशालय से उपनिदेशक या फिर डाईट की तरफ शिफ्ट हो गए हैं, ऐसे में सरकार जहां स्कूलों में सेवाएं देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई को तैयार है लेकिन उन शिक्षकों जो निदेशालय, उपनिदेशक कार्यालय व डाईट में बेवजह तैनात हैं, उन्हें स्कूलों में भेजने को तैयार नहीं है।
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मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि कई स्कूलों का परीक्षा परिणाम शून्य है, लिहाजा ऐसे में कार्रवाई करना जरूरी है, ताकि भविष्य में संतोषजनक परीक्षा परिणाम सामने आए। उल्लेखनीय है कि राज्य के 125 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिनका परीक्षा परिणाम 25 फीसदी से कम रहा है। इसी तरह 19 स्कूलों का परीक्षा परिणाम शून्य रहा है। इसमें 16 हाई और 3 सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में परीक्षा परिणाम शून्य रहा है। सरकार को यह भी शिकायतें मिली हैं कि कई सरकारी स्कूलों के शिक्षक कोचिंग सैंटर चला रहे हैं, ऐसे शिक्षकों की पहचान करके उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल बैठक में जलवाहकों की नियुक्ति में पारदर्शिता बरते जाने के लिए एस.डी.एम. के माध्यम से भर्ती करने का निर्णय लिया गया।
निदेशालय व डाईट में अभी भी डटे हैं चहेते शिक्षक मंत्रिमंडल की बैठक में भले ही खराब परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करने पर सहमति बनी हो लेकिन सरकार के कई चहेते शिक्षक अभी भी शिक्षा निदेशालय, शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय और डाईट में डटे हुए हैं। प्रदेश में पहले भाजपा और अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी चहेते शिक्षकों को तैनाती दी गई है। इसमें कई शिक्षकों की पैठ दोनों दलों में इतनी अच्छी है कि वे दोनों सरकारों के समय यहीं समय गुजार रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे शिक्षक निदेशालय से उपनिदेशक या फिर डाईट की तरफ शिफ्ट हो गए हैं, ऐसे में सरकार जहां स्कूलों में सेवाएं देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई को तैयार है लेकिन उन शिक्षकों जो निदेशालय, उपनिदेशक कार्यालय व डाईट में बेवजह तैनात हैं, उन्हें स्कूलों में भेजने को तैयार नहीं है।
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