जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल शिक्षक
महासंघ के महासचिव डॉ. प्रेम शर्मा व सलाहकार गुरुदत्त शर्मा ने प्रदेश के
सरकारी स्कूलों में कार्यरत 1400 कंप्यूटर शिक्षकों के लिए स्थायी नीति
बनाए जाने की मांग की है।
महासंघ के अनुसार अभी तक किसी भी सरकार ने उक्त शिक्षकों के लिए कोई नीति नहीं बनाई है।
जिस कारण भविष्य को लेकर शिक्षक असमंजस में है। हर बार सरकार झूठे आश्वासनों का लालीपॉप देकर काम चला रही है। वर्तमान में नाईलिफ्ट कंपनी के माध्यम से शिक्षकों को आउटसोर्स कर दिया गया है। प्रदेश में ऐसे सैकड़ों शिक्षक है जो 45 वर्ष की आयु भी पूरी कर चुके हैं। जबकि इन्हें वेतन मात्र 5500 रुपये दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अध्यापकों को सात हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। यही नहीं कंपनी की ओर से छह माह से किसी भी शिक्षक को वेतन नहीं दिया गया है। प्रदेश में शिक्षकों के साथ ऐसा अन्याय आज तक कभी नहीं हुआ है। अब तो सूरते हाल ऐसा हो गया है कि शिक्षकों को परिवार चलाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं हर माह प्रत्येक बच्चे से 110 रुपये फीस के तौर पर लिए जाते हैं और यह राशि शिक्षा विभाग के खाते में जमा होती है। शिक्षक महासंघ ने कहा है कि कंप्यूटर अध्यापक पढ़ाने के अतिरिक्त परीक्षा संचालन, पेपर मूल्यांकन और परीक्षा परिणाम बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन इनके साथ हो रहे अन्याय के कारण इन्हें परिवार चलाने में दिक्कतें आ रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने नीति बनाने का भरोसा दिया था। मगर शिक्षा विभाग नीति बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। लिहाजा शिक्षकों का शोषण हो रहा है। संघ ने मांग की है कि शिक्षकों के लिए जल्द से जल्द कोई नीति बनाई जाए।
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महासंघ के अनुसार अभी तक किसी भी सरकार ने उक्त शिक्षकों के लिए कोई नीति नहीं बनाई है।
जिस कारण भविष्य को लेकर शिक्षक असमंजस में है। हर बार सरकार झूठे आश्वासनों का लालीपॉप देकर काम चला रही है। वर्तमान में नाईलिफ्ट कंपनी के माध्यम से शिक्षकों को आउटसोर्स कर दिया गया है। प्रदेश में ऐसे सैकड़ों शिक्षक है जो 45 वर्ष की आयु भी पूरी कर चुके हैं। जबकि इन्हें वेतन मात्र 5500 रुपये दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अध्यापकों को सात हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। यही नहीं कंपनी की ओर से छह माह से किसी भी शिक्षक को वेतन नहीं दिया गया है। प्रदेश में शिक्षकों के साथ ऐसा अन्याय आज तक कभी नहीं हुआ है। अब तो सूरते हाल ऐसा हो गया है कि शिक्षकों को परिवार चलाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं हर माह प्रत्येक बच्चे से 110 रुपये फीस के तौर पर लिए जाते हैं और यह राशि शिक्षा विभाग के खाते में जमा होती है। शिक्षक महासंघ ने कहा है कि कंप्यूटर अध्यापक पढ़ाने के अतिरिक्त परीक्षा संचालन, पेपर मूल्यांकन और परीक्षा परिणाम बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन इनके साथ हो रहे अन्याय के कारण इन्हें परिवार चलाने में दिक्कतें आ रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने नीति बनाने का भरोसा दिया था। मगर शिक्षा विभाग नीति बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। लिहाजा शिक्षकों का शोषण हो रहा है। संघ ने मांग की है कि शिक्षकों के लिए जल्द से जल्द कोई नीति बनाई जाए।