राज्य ब्यूरो, शिमला : स्कूलों में बच्चों के पास पढ़ने के लिए किताबें
नहीं हैं। ऐसे में बच्चों की चिंता वाजिब है। शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन
अधिकांश स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद भी बच्चे परेशान हैं।
किताबों की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए अब तो दो जिलों शिमला व सोलन के
सरकारी स्कूलों के बच्चों ने निदेशक को ऑनलाइन शिकायत भेजी है।
हालात ये हैं कि बच्चे बाजार से भी किताबें खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि शिक्षक आश्वासन देते रहते हैं। इन दो जिलों के स्कूली बच्चों ने शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को किताबों से जुड़ी समस्या से अवगत करवा दिया है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आदेश थे कि सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को शैक्षणिक सत्र से पहले किताबें उपलब्ध करवाई जाएं। फरवरी में शीतकालीन सत्र के सभी स्कूल खुल गए हैं। बच्चे तो नियमानुसार रोजाना स्कूलों में पहुंच रहे हैं। लेकिन अगर कोई नहीं पहुंच रहा तो वे सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली टाइटल पुस्तकें। किताबें न मिलने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। सरकार के तय कार्यक्रम अनुसार फरवरी 2016 में स्कूलों में किताबें पहुंच जानी चाहिए थी। बावजूद इसके अभी तक किताबें वितरण केंद्रों में भी नहीं पहुंची हैं।
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उत्तर प्रदेश का प्रिंटर है जिम्मेदार.
किताबों की सप्लाई उत्तर प्रदेश के प्रिंटर को दी गई है। इतना समय बीतने के बाद भी सप्लाई सुनिश्चित नहीं हो पाई है। जिन टाइटल की किताबों के लिए स्कूली बच्चे इंतजार कर रहे हैं। उनमें 906 विज्ञान, 909 समकालीन भारत, 915 अर्थशास्त्र, मैट्रिक्स 1004, फुट प्रिंट्स 1005, गणित 1003, अंग्रेजी 1007, इतिहास 1008, भूगोल 1009, आर्थिक विकास की 1015 किताबें शामिल हैं। इसी तरह से किताबों के मामले में यही हाल ग्रीष्मकालीन स्कूलों का भी है।
शैक्षणिक सत्र शुरू हुए भी एक माह से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन किताबें अभी तक स्कूलों में नहीं पहुंच पाई है। इन स्कूलों में भी 905 गणित, 911 नैतिक शिक्षा, 912 इतिहास, 913 संस्कृत, 932 संस्कृत, 933 अंग्रेजी ग्रामर, 934 व्याकरण, 1002 हिंदी, 1003 अंग्रेजी, 1004 फुट प्रिंट्स, 1011 विज्ञान, 1009 आर्थिक विकास इत्यादि टाइटल नहीं पहुंचे हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
हालात ये हैं कि बच्चे बाजार से भी किताबें खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि शिक्षक आश्वासन देते रहते हैं। इन दो जिलों के स्कूली बच्चों ने शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को किताबों से जुड़ी समस्या से अवगत करवा दिया है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आदेश थे कि सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को शैक्षणिक सत्र से पहले किताबें उपलब्ध करवाई जाएं। फरवरी में शीतकालीन सत्र के सभी स्कूल खुल गए हैं। बच्चे तो नियमानुसार रोजाना स्कूलों में पहुंच रहे हैं। लेकिन अगर कोई नहीं पहुंच रहा तो वे सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली टाइटल पुस्तकें। किताबें न मिलने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। सरकार के तय कार्यक्रम अनुसार फरवरी 2016 में स्कूलों में किताबें पहुंच जानी चाहिए थी। बावजूद इसके अभी तक किताबें वितरण केंद्रों में भी नहीं पहुंची हैं।
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उत्तर प्रदेश का प्रिंटर है जिम्मेदार.
किताबों की सप्लाई उत्तर प्रदेश के प्रिंटर को दी गई है। इतना समय बीतने के बाद भी सप्लाई सुनिश्चित नहीं हो पाई है। जिन टाइटल की किताबों के लिए स्कूली बच्चे इंतजार कर रहे हैं। उनमें 906 विज्ञान, 909 समकालीन भारत, 915 अर्थशास्त्र, मैट्रिक्स 1004, फुट प्रिंट्स 1005, गणित 1003, अंग्रेजी 1007, इतिहास 1008, भूगोल 1009, आर्थिक विकास की 1015 किताबें शामिल हैं। इसी तरह से किताबों के मामले में यही हाल ग्रीष्मकालीन स्कूलों का भी है।
शैक्षणिक सत्र शुरू हुए भी एक माह से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन किताबें अभी तक स्कूलों में नहीं पहुंच पाई है। इन स्कूलों में भी 905 गणित, 911 नैतिक शिक्षा, 912 इतिहास, 913 संस्कृत, 932 संस्कृत, 933 अंग्रेजी ग्रामर, 934 व्याकरण, 1002 हिंदी, 1003 अंग्रेजी, 1004 फुट प्रिंट्स, 1011 विज्ञान, 1009 आर्थिक विकास इत्यादि टाइटल नहीं पहुंचे हैं।
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