तपोवन (धर्मशाला): तपोवन में शीतकालीन विधानसभा सत्र के
दौरान प्रदेश भर के स्कूलों से आए लगभग 500 के करीब कम्प्यूटर शिक्षकों ने
कम्प्यूटर शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश कुमार की अगुवाई में शहरी विकास
मंत्री सुधीर शर्मा, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की मंत्री विद्या
स्टोक्स, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
मंत्री कौल सिंह ठाकुर को अपनी फरियाद सुनाते हुए कहा कि स्कूलों में इस बार आई.टी. की पढ़ाई नहीं हो पाई है जोकि प्रदेश सरकार की नीतियों का ही नतीजा है। कम्प्यूटर शिक्षकों को मांगें मनवाने लिए हड़ताल का मार्ग अपनाना पड़ा है तथा 6 माह से लगातार 48 घंटे भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है। जुलाई, 2016 से अपनी मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे प्रदेश के कम्प्यूटर शिक्षकों के साथ अन्याय किया जा रहा है।उक्त नेताओं ने कम्प्यूटर शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस फैसले पर जल्द ही अपना निर्णय सुनाएंगे।
90,000 विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार
अपनी समस्या को लेकर तपोवन पहुंचे कम्प्यूटर शिक्षक अश्विनी, नरेश पंडित, दिनेश शर्मा, कपिल, मनजीत व अन्य कम्प्यूटर शिक्षकों ने बताया कि प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते प्रदेश भर के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों को आई.टी. की पढ़ाई से वंचित रहना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार की गलत नीतियों का खमियाजा प्रदेश भर के 90,000 विद्यार्थियों को झेलना पड़ रहा है।हैरानी वाली बात है कि स्कूलों में शीतकालीन सत्र की परीक्षाएं भी हो चुकी हैं व 10 व जमा 2 की दूसरे सत्र की परीक्षाएं होने वाली हैं, जिसमें छात्र आई.टी. की परीक्षा नहीं दे सकेंगे। सरकार की गलत नीति के चलते विद्यार्थियों को मोटी रकम देकर बाहर से शिक्षा प्राप्त करने पर विवश होना पड़ेगा।
घर चलाने में आ रही दिक्कत
महंगाई के समय में कम्प्यूटर शिक्षकों को 6 हजार रुपए की सैलरी में अपना और अपने परिवार का पालन करना मुश्किल हो गया है। कम्प्यूटर शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि उन्हें महीने का 6 हजार दिया जाता है लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष कम्प्यूटर शिक्षकों ने अपनी मांग रखी है कि या तो कम्प्यूटर शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाई जाए या उन्हें नियमित किया जाए। जब तक प्रदेश सरकार नियमित करने की मांग को पूरा नहीं करेगी तब तक वे भूख हड़ताल पर रहेंगे और इस दौरान किसी भी कम्प्यूटर शिक्षक को जान-माल की हानि होती है तो इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
मंत्री कौल सिंह ठाकुर को अपनी फरियाद सुनाते हुए कहा कि स्कूलों में इस बार आई.टी. की पढ़ाई नहीं हो पाई है जोकि प्रदेश सरकार की नीतियों का ही नतीजा है। कम्प्यूटर शिक्षकों को मांगें मनवाने लिए हड़ताल का मार्ग अपनाना पड़ा है तथा 6 माह से लगातार 48 घंटे भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है। जुलाई, 2016 से अपनी मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे प्रदेश के कम्प्यूटर शिक्षकों के साथ अन्याय किया जा रहा है।उक्त नेताओं ने कम्प्यूटर शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस फैसले पर जल्द ही अपना निर्णय सुनाएंगे।
90,000 विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार
अपनी समस्या को लेकर तपोवन पहुंचे कम्प्यूटर शिक्षक अश्विनी, नरेश पंडित, दिनेश शर्मा, कपिल, मनजीत व अन्य कम्प्यूटर शिक्षकों ने बताया कि प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते प्रदेश भर के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों को आई.टी. की पढ़ाई से वंचित रहना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार की गलत नीतियों का खमियाजा प्रदेश भर के 90,000 विद्यार्थियों को झेलना पड़ रहा है।हैरानी वाली बात है कि स्कूलों में शीतकालीन सत्र की परीक्षाएं भी हो चुकी हैं व 10 व जमा 2 की दूसरे सत्र की परीक्षाएं होने वाली हैं, जिसमें छात्र आई.टी. की परीक्षा नहीं दे सकेंगे। सरकार की गलत नीति के चलते विद्यार्थियों को मोटी रकम देकर बाहर से शिक्षा प्राप्त करने पर विवश होना पड़ेगा।
घर चलाने में आ रही दिक्कत
महंगाई के समय में कम्प्यूटर शिक्षकों को 6 हजार रुपए की सैलरी में अपना और अपने परिवार का पालन करना मुश्किल हो गया है। कम्प्यूटर शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि उन्हें महीने का 6 हजार दिया जाता है लेकिन वह भी समय पर नहीं मिलता। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष कम्प्यूटर शिक्षकों ने अपनी मांग रखी है कि या तो कम्प्यूटर शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाई जाए या उन्हें नियमित किया जाए। जब तक प्रदेश सरकार नियमित करने की मांग को पूरा नहीं करेगी तब तक वे भूख हड़ताल पर रहेंगे और इस दौरान किसी भी कम्प्यूटर शिक्षक को जान-माल की हानि होती है तो इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।