- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: नकल रोकने के लिए इस बार शिक्षा विभाग ने निकाला नायाब तरीका, संभल जाएं स्टूडेंट्स नकल रोकने के लिए इस बार शिक्षा विभाग ने निकाला नायाब तरीका, संभल जाएं स्टूडेंट्स

नकल रोकने के लिए इस बार शिक्षा विभाग ने निकाला नायाब तरीका, संभल जाएं स्टूडेंट्स

धर्मशाला: 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए बड़ा ही नायाब तरीका निकाला है, जो विद्यार्थियों पर भारी पड़ सकता है। इस बार 10वीं तथा 12वीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं के संचालन के लिए बोर्ड मुख्यालय में केंद्रीय निगरानी कक्ष की स्थापना की गई है।
इस निगरानी कक्ष में परीक्षाओं के दौरान परीक्षा केंद्रों में जो भी गतिविधियां चलेंगी, उन पर पूरी नजर रखी जाएगी। जिन परीक्षा केंद्रों में कैमरे लगाए गए हैं, उसकी सीधी मॉनीटरिंग इस कक्ष में की जाएगी, ताकि परीक्षाओं के दौरान यदि कोई अनियिमितताएं हो रही हों, उसके बारे संबंधित परीक्षा केंद्र के अधीक्षक को तुरंत जानकारी दी जा सके और परीक्षाओं को सुव्यवस्थित संचालन में उसकी मदद हो सके। 10वीं तथा 12वीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षा 3 मार्च से शुरू हो रही है। परिक्षाओं में बोर्ड के सचिव डा. विशाल शर्मा ने बताया कि यह निगरानी कक्ष 2 मार्च से काम करना शुरू कर देगा और परीक्षाओं की अंतिम तिथि तक काम करता रहेगा।

ऐसे कार्य करेगा निगरानी कक्ष
इस निगरानी कक्ष में परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग के लिए कम्प्यूटर के जरिए व्यवस्था की गई है, जिसका नियंत्रण उप सचिव संचालन के अधीन होगा, जिसमें कम से कम 15 मॉनीटर लगाए गए हैं। इन मॉनीटर के द्वारा परीक्षा केंद्रों पर लगातार नजर रखी जाएगी और किसी भी अनियमितता की तुरंत सूचना संबंध उपमंडल अधिकारी नागरिक/केंद्र समन्वयक तथा केंद्र अधीक्षक को दी जाएगी, जो उसका निपटारा करने के लिए तुरंत उचित कार्रवाई करेंगे और परीक्षाओं को सुव्यवस्थित तौर से संचालन करेंगे।

सभी क्षेत्रों में रखी जाएगी एक समान नजर
सभी परीक्षा केंद्रों के लिए उपमंडल स्तर पर उड़नदस्तों के गठन के लिए संबंध उपमंडलाधिकारी नागरिक से आग्रह किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिला में उपनिदेशक शिक्षा के स्तर पर भी उड़नदस्तों का गठन किया गया है, जिसके लिए आग्रह पत्र संबंधित शिक्षा उपनिदेशकों को भेजे जा चुके हैं। सभी उपमंडल के अंदर उड़नदस्तों की जो भी मूवमैंट होगी, उसका समन्वय करेंगे, ताकि ऐसा न हो कि किसी केंद्र में बहुत सारे उड़नदस्ते चले जाएं और किसी केंद्र में कोई भी उड़नदस्ता न जाए। उपमंडल अधिकारी नागरिक यह कार्य दिन-प्रतिदिन के आधार पर निर्धारण करेंगे। बोर्ड मुख्यालय स्तर पर भी विशेष उड़नदस्तों का गठन किया गया है, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर संवेदनशील केंद्रों में भेजा जाएगा या ऐसे केंद्रों में भेजा जाएगा, जहां से शिकायत प्राप्त हो रही होगी। 

बोर्ड परीक्षाओं में अव्यवस्था फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई
परीक्षाओं में अव्यवस्था फैलाने अथवा नकल कराने की मंशा से वहां पहुंचते वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अगर आवश्यक हुआ तो ऐसे तत्वों के खिलाफ परीक्षा केंद्र के अधीक्षक के अनुरोध पर उचित कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें आपराधिक मामलों को दर्ज करने इत्यादि के विषय भी शामिल होंगे। 

बोर्ड मुख्यालय में स्थापित होगा कंट्रोल रूम
परीक्षाओं के सुचारू संचालन के लिए बोर्ड मुख्यालय में परीक्षा संबंधी जानकारी एवं मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए अलग से कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जा रहा है, जो 2 मार्च प्रात: 8.00 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक पूरी परीक्षा की अवधि में काम करता रहेगा। किसी भी परीक्षार्थी, उसके अभिभावक या ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को किसी जानकारी या सहायता की आवश्यकता हो, तो वह उसे प्रदान की जाएगी, जिसके लिए अलग से दूरभाष नंबर अधिसूचित किए जाएंगे तथा ई-मेल एड्रैस भी अधिसूचित किया जाएगा। 


चुनिंदा स्कूलों में कैमरे लगाने पर भड़का संघ
उधर राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक अध्यापक संघ के प्रदेश प्रधान सुरेश पन्याली, महासचिव सुरेश कौशल, कोषाध्यक्ष संजय ठाकुर, मदन ठाकुर, महिला विंग प्रधान अंजुम जसरोटिया, शर्मिला ठाकुर, बिलासपुर प्रधान दिग्विजय, ऊना के प्रधान संजीव राजन, चम्बा के प्रधान नीरज, सिरमौर प्रधान सुभाष ठाकुर, कांगड़ा के प्रधान ओम प्रकाश, कुल्लू के शेर सिंह, सुमित नेगी अखिलेश, रूप लाल व देसराज सहित अन्य सैंकड़ों शिक्षकों ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए आरोप लगाया कि बोर्ड विद्यार्थियों की समस्याओं को हल करने में नाकाम रहा है। संघ ने कहा कि बिना शिक्षकों को विश्वास में लिए बोर्ड कुछ भी नहीं कर सकता और तो और कई अध्यापकों की ड्यूटी 50 किलोमीटर दूर लगा दी गई है और कइयों को मात्र 6 किलोमीटर के दायरे में ही रखा गया है। उन्होंने कहा कि संघ कैमरे की नजर में परीक्षाओं के हक में है, लेकिन कुछ चुनिंदा व बहुतायत संख्या वाली पाठशालाओं में ही कैमरे लगाने का विरोध करता है, क्योंकि जिन पाठशालाओं के अच्छे परिणाम रहे हैं या जिन पाठशालाओं में बच्चों की संख्या ज्यादा है वहीं पर ही कैमरे क्यों? क्या विभाग यह चाहता है कि स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम हो। 
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