हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
प्रदेश में शिक्षकों को ड्रेस कोड पहनाने का प्लान फ्लॉप साबित हुआ है। जानकारी के मुताबिक पहली अगस्त से टीचर्स डे्रस कोड में दिखने थे, लेकिन शिक्षक संघों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है।
बताया जा रहा है कि शिक्षकों को ड्रेस कोड पहनने के मसले पर एक कमेटी बनाई गई थी। उसने शिक्षक संघों से इस विषय पर उनकी राय मांगी थी, जिसमें अधिकतर संघ ने स्कूल में ड्रेस कोड पहनने से इंकार कर दिया। बताया जा रहा है कि इसमें सबसे ज्यादा पहली से दसवीं कक्षा को पढ़ा रहे शिक्षकों ने आपत्ति जताई है।
हालांकि इसे लेकर शिक्षा विभाग ने लगभग पूरी तैयारी कर दी थी। ड्रेस कोड में नीला या काला कोट शिक्षकों को पहनाने के अलावा गाउन पहनने पर भी विचार किया जा रहा था। इस मसले पर राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष विरेंद्र चौहान का कहना है कि प्रदेश के शिक्षक यह जानते हैं कि कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के लिए किस तरह की ड्रेस पहन कर आना चाहिए।
संघ के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी कुमार ने कहा है कि एजुकेशन कोड में यह लिखा गया है कि शिक्षक का शरीर अस्सी फीसदी कपड़ों से ढका होना चाहिए। अध्यक्ष का कहना है कि अब एजुकेशन सिस्टम में स्मार्ट वर्किंग होनी चाहिए। इसके लिए यह बेहतर होता यदि शिक्षकों को ड्रेस कोड दिया जाता। इसकी सिफारिश उच्च शिक्षा निदेशक से की गई थी।
अभी टीचर्ज के लिए ड्रेस कोड का कोई कार्यक्रम नहीं है। कई शिक्षक और शिक्षक संघों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। सभी शिक्षकों की रजामंदी से ही शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड तय किया जाएगा। -डॉ. बीएल विंटा उच्च शिक्षा निदेशक
प्रदेश में शिक्षकों को ड्रेस कोड पहनाने का प्लान फ्लॉप साबित हुआ है। जानकारी के मुताबिक पहली अगस्त से टीचर्स डे्रस कोड में दिखने थे, लेकिन शिक्षक संघों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है।
बताया जा रहा है कि शिक्षकों को ड्रेस कोड पहनने के मसले पर एक कमेटी बनाई गई थी। उसने शिक्षक संघों से इस विषय पर उनकी राय मांगी थी, जिसमें अधिकतर संघ ने स्कूल में ड्रेस कोड पहनने से इंकार कर दिया। बताया जा रहा है कि इसमें सबसे ज्यादा पहली से दसवीं कक्षा को पढ़ा रहे शिक्षकों ने आपत्ति जताई है।
हालांकि इसे लेकर शिक्षा विभाग ने लगभग पूरी तैयारी कर दी थी। ड्रेस कोड में नीला या काला कोट शिक्षकों को पहनाने के अलावा गाउन पहनने पर भी विचार किया जा रहा था। इस मसले पर राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष विरेंद्र चौहान का कहना है कि प्रदेश के शिक्षक यह जानते हैं कि कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के लिए किस तरह की ड्रेस पहन कर आना चाहिए।
एजुकेशन सिस्टम में स्मार्ट वर्किंग होनी चाहिए
प्रदेश में महिला और पुरुष शिक्षक द्वारा कक्षा में पहनी जा रही ड्रेस अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे बेहतर रहती है। ऐसे में इन पर ड्रेस कोड थोंपना गलत है। उधर, स्कूल प्रवक्ता संघ ने शिक्षकों को ड्रेस कोड पहनाने पर अपनी सहमति जताई थी।संघ के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी कुमार ने कहा है कि एजुकेशन कोड में यह लिखा गया है कि शिक्षक का शरीर अस्सी फीसदी कपड़ों से ढका होना चाहिए। अध्यक्ष का कहना है कि अब एजुकेशन सिस्टम में स्मार्ट वर्किंग होनी चाहिए। इसके लिए यह बेहतर होता यदि शिक्षकों को ड्रेस कोड दिया जाता। इसकी सिफारिश उच्च शिक्षा निदेशक से की गई थी।
अभी टीचर्ज के लिए ड्रेस कोड का कोई कार्यक्रम नहीं है। कई शिक्षक और शिक्षक संघों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। सभी शिक्षकों की रजामंदी से ही शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड तय किया जाएगा। -डॉ. बीएल विंटा उच्च शिक्षा निदेशक