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नियोजित शिक्षकों के वेतन पर अब 12 जुलाई को होगी SC में अंतिम सुनवाई

दिल्ली/पटना: बिहार के तीन लाख सत्तर हजार नियोजित शिक्षकों के वेतन मामले पर अब 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी. 'समान काम, समान वेतन' मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार ने और वक्त मांगा है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो अन्य राज्यों के परिपेक्ष में इसे देख रही है, क्योंकि एक राज्य के शिक्षकों की सैलरी पर अगर विचार किया जाएगा तो अन्य राज्यों की ओर से भी मांग उठेगी.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि हम बिहार को आर्थिक तौर पर कितनी मदद कर सकते हैं ये हम कोर्ट को अवगत कराएंगे.

गौरतलब है कि बिहार के तीन लाख 70 हजार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर आज (मंगलवार को) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर पटना हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर विचार करने के लिए कहा था. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था.

राबड़ी देवी की सरकार में शुरू हुआ था नियोजन प्रक्रिया
बिहार में राबड़ी देवी सरकार में नियोजन की प्रक्रिया साल 2003 में शुरू हुई. उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था और इनकी सैलरी महज 1500 रुपये हुआ करती थी. एक जुलाई 2006 को नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सभी शिक्षामित्रों को पंचायत और प्रखंड शिक्षक के तौर पर समायोजित किया गया. इसके बाद ट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन पांच हजार, जबकि अनट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन चार हजार रुपए कर दिया गया. उसके बाद बिहार में लगातार नियोजित शिक्षकों की बहाली होती रही और अब इनकी संख्या तीन लाख 69 हजार के आसपास पहुंच चुकी है.


नियोजित शिक्षकों को 14 से 19 हजार तक मिलती है सैलरी
बिहार में क्लास एक से लेकर क्लास आठ तक नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालय अध्यक्षों को वर्तमान में 14 हजार से लेकर 19 हजार तक सैलरी मिलती है. इनमें ट्रेंड और अनट्रेंड शिक्षक शामिल हैं. समान काम के लिए समान वेतन का फैसला लागू होता होते ही इनका वेतन 37 हजार से 40 हजार तक पहुंच जाएगा.


बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. अगर सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट जैसा फैसला आता है तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढ़ाई गुना बढ़ जाएगा और इस तरह सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.

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