सहयोगी, बग्गी : प्रदेश में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के तहत की जा रही
भर्तियां चहेतों को नौकरी देने का षड्यंत्र है। यह आरोप दयारगी में हुई
एससी, एसटी, ओबीसी बेरोजगार संघ की बैठक में कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश
कुमार ने लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार नियमों को तोड़ कर बेरोजगारों
के साथ धोखा कर रही है।
एसएमसी की तरह काम चलाऊ भर्तियां होती रही तो नौकरी के लिए उच्च डिग्रियां प्राप्त करना बेकार है। सरकार के इस तरह के निर्णय से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों में निराशा है। जब लाखों प्रशिक्षित बेरोजगार नौकरी के लिए प्रदेश के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हैं तो एसएमसी भर्तियों के लिए दुर्गम क्षेत्रों का हवाला देना हास्यास्पद है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एसएमसी भर्तियों के माध्यम से काम चलाऊ शिक्षक रखने की बात कहकर प्रदेश में शिक्षा व शिक्षक की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। प्रदेश में सभी वर्गो से जुड़े संगठनों के चौतरफा विरोध के बावजूद सरकार एसएमसी से शिक्षक भर्ती करने पर अड़ी हुई है। इससे साफ है कि सरकार नियमों को दरकिनार कर चहेतों को नौकरी देने की फिराक में है। उन्होंने बेरोजगारों की आवाज को दबाकर भर्तियां करना संविधान व लोकतंत्र की हत्या करार दिया। सरकार की ऐसे निर्णयों से प्रशिक्षित हजारों बेरोजगारों मेंअसुरक्षा है। इससे शिक्षा के स्तर में सुधार की बजाय और गिरावट आ जाएगी । उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका को काम चलाऊ के रूप में देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा मंत्री को एसएमसी भर्तियों की अधिसूचना रद कर शिक्षित बेरोजगारों से माफी मांगनी चाहिए। 2006 में पीटीए फिर पैरा व पैट के बाद 2013 में इसी तरह कामच लाऊ व्यवस्था का हवाला देकर तत्कालीन सरकार ने पिछले दरवाजे से हजारों सगे संबंधियों को नौकरियां बांटी। पहले बेरोजगारों को काम चलाऊ व्यवस्था का हवाला देकर ठगा गया, लेकिन सरकार अब आनन-फानन में नीति बनाकर उन्हें पक्का करने के दांवपेंच तलाश रही है। सरकार एसएमसी भर्तियों की अधिसूचना रद कर सभी भर्तियां बैचवाइज व कमीशन के आधार पर कर बेरोजगारों को न्याय दे। बैठक में प्रदेश प्रेस सचिव संजीव चौहान, हरेंद्र पाल, अजय कुमार, प्रकाश चंद, लक्ष्मी दत्त आदि मौजूद रहे।
एसएमसी की तरह काम चलाऊ भर्तियां होती रही तो नौकरी के लिए उच्च डिग्रियां प्राप्त करना बेकार है। सरकार के इस तरह के निर्णय से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों में निराशा है। जब लाखों प्रशिक्षित बेरोजगार नौकरी के लिए प्रदेश के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हैं तो एसएमसी भर्तियों के लिए दुर्गम क्षेत्रों का हवाला देना हास्यास्पद है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एसएमसी भर्तियों के माध्यम से काम चलाऊ शिक्षक रखने की बात कहकर प्रदेश में शिक्षा व शिक्षक की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। प्रदेश में सभी वर्गो से जुड़े संगठनों के चौतरफा विरोध के बावजूद सरकार एसएमसी से शिक्षक भर्ती करने पर अड़ी हुई है। इससे साफ है कि सरकार नियमों को दरकिनार कर चहेतों को नौकरी देने की फिराक में है। उन्होंने बेरोजगारों की आवाज को दबाकर भर्तियां करना संविधान व लोकतंत्र की हत्या करार दिया। सरकार की ऐसे निर्णयों से प्रशिक्षित हजारों बेरोजगारों मेंअसुरक्षा है। इससे शिक्षा के स्तर में सुधार की बजाय और गिरावट आ जाएगी । उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका को काम चलाऊ के रूप में देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षा मंत्री को एसएमसी भर्तियों की अधिसूचना रद कर शिक्षित बेरोजगारों से माफी मांगनी चाहिए। 2006 में पीटीए फिर पैरा व पैट के बाद 2013 में इसी तरह कामच लाऊ व्यवस्था का हवाला देकर तत्कालीन सरकार ने पिछले दरवाजे से हजारों सगे संबंधियों को नौकरियां बांटी। पहले बेरोजगारों को काम चलाऊ व्यवस्था का हवाला देकर ठगा गया, लेकिन सरकार अब आनन-फानन में नीति बनाकर उन्हें पक्का करने के दांवपेंच तलाश रही है। सरकार एसएमसी भर्तियों की अधिसूचना रद कर सभी भर्तियां बैचवाइज व कमीशन के आधार पर कर बेरोजगारों को न्याय दे। बैठक में प्रदेश प्रेस सचिव संजीव चौहान, हरेंद्र पाल, अजय कुमार, प्रकाश चंद, लक्ष्मी दत्त आदि मौजूद रहे।