प्रदेश के सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों को भरने की मुहिम के तहत एसएमसी
से शिक्षक भर्ती करने जा रही जयराम सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
शिक्षा विभाग की एसएमसी को प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में चुनौती दे दी गई है।
मंगलवार को इस विवादित मामले की सुनवाई होगी।
प्रदेश के दुर्गम और कठिन क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों में शिक्षकों
की कमी दूर करने के लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) के माध्यम से
विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों के पद भरने की सरकार ने जून महीने की
मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी है।
इसके तहत एसएमसी के माध्यम से प्राथमिक और उच्च शिक्षा विभाग में जहां पर शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, वहां पर शिक्षकों के विभिन्न श्रेणियों के पद भरने का फैसला लिया गया है। सरकार के इस फैसले का प्रदेश में जोरदार विरोध हो रहा है।
शिक्षक संगठन इस भर्ती को बैकडोर भर्ती बताते हुए इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि एसएमसी से शिक्षक भर्ती को साल 2011 में धूमल सरकार ने शुरू किया था। वीरभद्र सरकार ने भी इस व्यवस्था को जारी रखते हुए सैकड़ों शिक्षकों की भर्ती की थी।
इसी कड़ी में अब जयराम सरकार ने भी एसएमसी से भर्तियां करने का फैसला लिया है। वर्तमान में 2600 से अधिक शिक्षक बीते कई सालों से उनके लिए नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन किसी भी सरकार ने इन शिक्षकों को अभी तक नियमित नहीं किया है।
इसके तहत एसएमसी के माध्यम से प्राथमिक और उच्च शिक्षा विभाग में जहां पर शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, वहां पर शिक्षकों के विभिन्न श्रेणियों के पद भरने का फैसला लिया गया है। सरकार के इस फैसले का प्रदेश में जोरदार विरोध हो रहा है।
शिक्षक संगठन इस भर्ती को बैकडोर भर्ती बताते हुए इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि एसएमसी से शिक्षक भर्ती को साल 2011 में धूमल सरकार ने शुरू किया था। वीरभद्र सरकार ने भी इस व्यवस्था को जारी रखते हुए सैकड़ों शिक्षकों की भर्ती की थी।
इसी कड़ी में अब जयराम सरकार ने भी एसएमसी से भर्तियां करने का फैसला लिया है। वर्तमान में 2600 से अधिक शिक्षक बीते कई सालों से उनके लिए नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन किसी भी सरकार ने इन शिक्षकों को अभी तक नियमित नहीं किया है।