शिमला -अब टीचर ऐप के माध्यम से सरकारी स्कूलों में बच्चों के शैक्षणिक
स्तर को सुधारा जाएगा। विशेषकर प्राथमिक स्कूलों में इस ऐप की मदद से नौनिहालों
का आधार मजबूत किया जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। आधुनिकता के दौर में पठन पाठन के तौर तरीके में बदल रहे हैं। पहले उच्च स्तर की शिक्षा के
लिए आधुनिक तकनीक को प्रयोग में लाया गया है। अब प्रारंभिक शिक्षा में भी आधुनिक तकनीक से पढ़ाई होगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने टीचर ऐप लांच की
है। हालांकि ऐप काफी समय पहले लांच की गई है, लेकिन स्कूलों में पढ़ाई के लिए इसे ज्यादा प्रयोग में नहीं लाया गया। इस शैक्षणिक सत्र से शिक्षकों को इस ऐप के
अनुसार ही पढ़ाई करवानी होगी। इसके लिए हर महीने ऐप में शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। शिक्षकों को पहले स्वयं शिक्षण सामग्री का अध्ययन
करना पड़ेगा और फिर बच्चों को उसी के अनुरूप पढ़ाना होगा। यही नहीं, महीने बाद विभाग को फीडबैक भी देनी पड़ेगी। इसमें उन्हें बताना पड़ेगा कि एप से पढ़ाई के बाद शिक्षा में कितना सुधार हुआ। 60 फीसद से कम रिजल्ट आने पर दोबारा
वही कोर्स करवाना पड़ेगा। अगर रिजल्ट 60 फीसद से अधिक रहता है, तो अगले महीने नया कोर्स करने को दिया जाएगा। इस तरह यह प्रक्रिया पूरा साल भर
चलती रहेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा।
उधर, बलवीर भारद्वाज, जिला परियोजना अधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान का कहना है कि टीचर एप से अध्यापकों को शैक्षणिक गतिविधियां करवाने में मदद मिलेगी। वहीं बच्चों को आधुनिक तकनीक से पढ़ाई की सुविधा मिलेगी। इससे स्कूलों में शैक्षणिक स्तर भी बढ़ेगा।
टीचर ऐप में शिक्षण सामग्री के वीडियो व ऑडियो उपलब्ध करवाए जाएंगे। हर महीने विषय विशेष पर वीडियो तैयार किए जाएंगे और इस ऐप में डाले जाएंगे। इन वीडियो में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक के बारे में बताया जाएगा। शिक्षक अपने स्मार्ट फोन पर वीडियो डाउनलोड कर उसके मुताबिक कक्षा में पढ़ाएंगे। इसके लिए क्लास में कम्प्यूटर या मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
का आधार मजबूत किया जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। आधुनिकता के दौर में पठन पाठन के तौर तरीके में बदल रहे हैं। पहले उच्च स्तर की शिक्षा के
लिए आधुनिक तकनीक को प्रयोग में लाया गया है। अब प्रारंभिक शिक्षा में भी आधुनिक तकनीक से पढ़ाई होगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने टीचर ऐप लांच की
है। हालांकि ऐप काफी समय पहले लांच की गई है, लेकिन स्कूलों में पढ़ाई के लिए इसे ज्यादा प्रयोग में नहीं लाया गया। इस शैक्षणिक सत्र से शिक्षकों को इस ऐप के
अनुसार ही पढ़ाई करवानी होगी। इसके लिए हर महीने ऐप में शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। शिक्षकों को पहले स्वयं शिक्षण सामग्री का अध्ययन
करना पड़ेगा और फिर बच्चों को उसी के अनुरूप पढ़ाना होगा। यही नहीं, महीने बाद विभाग को फीडबैक भी देनी पड़ेगी। इसमें उन्हें बताना पड़ेगा कि एप से पढ़ाई के बाद शिक्षा में कितना सुधार हुआ। 60 फीसद से कम रिजल्ट आने पर दोबारा
वही कोर्स करवाना पड़ेगा। अगर रिजल्ट 60 फीसद से अधिक रहता है, तो अगले महीने नया कोर्स करने को दिया जाएगा। इस तरह यह प्रक्रिया पूरा साल भर
चलती रहेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा।
उधर, बलवीर भारद्वाज, जिला परियोजना अधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान का कहना है कि टीचर एप से अध्यापकों को शैक्षणिक गतिविधियां करवाने में मदद मिलेगी। वहीं बच्चों को आधुनिक तकनीक से पढ़ाई की सुविधा मिलेगी। इससे स्कूलों में शैक्षणिक स्तर भी बढ़ेगा।
टीचर ऐप में शिक्षण सामग्री के वीडियो व ऑडियो उपलब्ध करवाए जाएंगे। हर महीने विषय विशेष पर वीडियो तैयार किए जाएंगे और इस ऐप में डाले जाएंगे। इन वीडियो में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक के बारे में बताया जाएगा। शिक्षक अपने स्मार्ट फोन पर वीडियो डाउनलोड कर उसके मुताबिक कक्षा में पढ़ाएंगे। इसके लिए क्लास में कम्प्यूटर या मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा सकता है।