आउटसोर्स कम्प्यूटर शिक्षक संघ हमीरपुर के प्रधान अशोक रांगड़ा ने कहा कि लगभग 20 वर्षों से हिमाचल के सरकारी स्कूलों में 1341 कम्प्यूटर अध्यापक सत्यनिष्ठा से बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन उनके लिए प्रदेश सरकार कोई भी पॉलिसी नहीं बना पाई है। पिछली सरकार ने सितंबर, 2017 में पीजीटी के 1191 पदों पर विज्ञप्ति निकाली थी। कुछ लोगों की डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस पूरी हो चुकी थी और जो बेरोजगार लोग आर एंड पी रूल्स पूरे नहीं कर पा रहे थे उन्होंने सितंबर, 2017 में ही ट्रिब्यूनल से स्टे ले लिया, जो कि अभी भी केस स्टे हाई कोर्ट शिमला में लगभग चार सालों से लंबित है। आज तक न सरकार से राहत मिली है न हाई कोर्ट शिमला से राहत मिली है। उन्होंने कहा कि दस से 12000 रुपए में कैसे गुजारा करेंगे। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं करवा पा रहे हैं।
बड़ी मानसिक प्रताडऩा से शिक्षकों को गुजरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 से कम्प्यूटर शिक्षक स्कूलों में लगे हुए हैं। वर्ष 1998 में सेलरी 2500 रुपए थी और 20 सालों में 10 से 12000 रुपए तक पहुंची हैं। पहले भी हाईकोर्ट शिमला सलाह दे चुका है कि कम्प्यूटर अध्यापकों की नौकरी पक्की करने की संभावना तलाशी जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐसा नहीं है कि आउटसोर्स कम्प्यूटर अध्यापकों के लिए ही पॉलिसी बनाएगा। इससे पहले भी सरकार आईजीएमसी शिमला में जो आउटसोर्स कर्मचारी थे उनको तत्कालीन सरकार ने आरकेएस में ले रखा है, तो कम्प्यूटर अध्यापकों से सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है। कम्प्यूटर शिक्षकों ने हाईकोर्ट शिमला से आग्रह किया है कि कम्प्यूटर अध्यापकों को भी राहत प्रदान करे। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर शिक्षक के लगभग 80 प्रतिशत लोग 45 की उम्र पूरी कर चुके हैं अब उनके पास और कोई चारा नहीं है कि वह कोई और काम शुरू कर सकें। इस मौके पर कमलेश गौतम, कुलदीप कुमार, सुरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, ललित कुमार, अरुण कुमार इत्यादि भी उपस्थित रहे।
क्या कहते हैं संघ के प्रधान अशोक रांगड़ा
आउटसोर्स कम्प्यूटर शिक्षक संघ हमीरपुर के प्रधान अशोक रांगड़ा ने कहा कि
दस से 12000 रुपए में कैसे गुजारा करेंगे। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं करवा पा
रहे हैं। बड़ी मानसिक प्रताडऩा से शिक्षकों को गुजरना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 से कम्प्यूटर शिक्षक स्कूलों में लगे हुए हैं।
वर्ष 1998 में सेलरी 2500 रुपए थी और 20 सालों में 10 से 12000 रुपए तक
पहुंची हैं।