वेतन आयोग की विसंगतियां दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं और इससे शिक्षक वर्ग खासा परेशान है। वेतन आयोग में वर्ष 2012 के पुन संशोधन के समय टीजीटी और प्रवक्ता का पे-बैंड 10300-34800 रुपए तय हुआ था।
टीजीटी की ग्रेड पे 5000 रुपए थी और प्रवक्ता वर्ग की ग्रेड पे 5400 रुपए थी। मगर नए वेतन आयोग ने इस 400 रुपए के फासले को मूल वेतन में ही 4900 रुपए मासिक कर दिया है । डीए बढ़ाने के साथ यह फासला अगले वेतन आयोग तक करीब दस हजार रुपए मासिक हो जाएगा । ऐसे में कम स्केल मिलने के चलते टीजीटी वर्ग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। मौजूदा वेतन आयोग में टीजीटी को वर्ष 2009 की तय 3600 ग्रेड पे और प्रवक्ता वर्ग को 2009 की तय 4200 ग्रेड पे मिल रही है।उसके अनुसार टीजीटी का आरंभिक वेतन 38100 रुपए व प्रवक्ता का आरंभिक वेतन 43000 रुपए है यानी टीजीटी को 400 रुपए के ग्रेड पे के अंतर की जगह प्रवक्ता से 4900 रुपए कम वेतन मिलेगा । अगर हायर ग्रेड लाभ मिला तो प्रवक्ता का मूल वेतन 53600 रुपए और टीजीटी वर्ग का 48700 रुपए होगा यानी 4900 रुपए का फासला आरंभिक वेतन में यथावत रहेगा । वर्ष 2009 में अधिसूचित वेतन आयोग के स्केल देखें तो टीजीटी का आरंभिक वेतन 18450 रुपए और प्रवक्ता का आरंभिक वेतन 20300 रुपए मासिक था यानी वर्ष 2009 में आरंभिक वेतन का फासला 1850 रुपए था जो अब बढ़कर 4900 रुपए हो गया। टीजीटी कला संघ महासचिव विजय हीर ने कहा कि वेतन आयोग ने शिक्षकों को 2009 और 2012 के स्केल में उलझाया है और मौजूदा लाभ नाममात्र हैं। इस बारे संघ ने विस्तृत ज्ञापन वित्त सचिव और मुख्य सचिव को भेजा है ।