शिमला। हिमाचल (Himachal) सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले दो और शिक्षकों का तबादला हो गया है। पिछले कल छह पदाधिकारियों के ट्रांसफर ऑर्डर (Transfer Order) हुए थे।
तबादलों से नाराज शिक्षक हाईकोर्ट (High Court) की शरण में जाने के लिए तैयार हैं। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों पर उच्च और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय का शिकंजा कसने के बाद शिक्षकों (Teachers) ने अपने सांविधानिक अधिकारों का तर्क देते हुए हाई कोर्ट में तबादला आदेशों को चुनौती देने का फैसला लिया है। महासंघ के राज्य सचिव सुनील चौहान को रोहड़ू से ढली स्कूल तथा महासंघ के सदस्य रमेश चंद को टिक्कर से मशोबरा स्कूल स्थानांतरित किया गया है।इन जगहों पर किया ट्रांसफर
सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शिक्षकों को चंबा (Chamba), शिमला और सिरमौर जिला के दूरदराज क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया है। प्रदेश के विभिन्न विभागों की कर्मचारी यूनियनों ने संशोधित वेतनमान लेने के लिए महासंघ का गठन किया है। महासंघ में शिक्षक संगठनों के कई पदाधिकारी शामिल हैं। शिक्षा विभाग (Education Department) ने सबसे पहले महासंघ के इन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए इन्हें प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया है। इन शिक्षकों के तबादलों की एडजस्टमेंट अब सरकार की ओर से नहीं की जाएगी। ऐसे में इनके पास आखिरी विकल्प हाई कोर्ट का बचा है।
कर्मचारियों को चुनाव लड़ने का सीएम का बयान निंदनीयरू सीटू
सीटू राज्य कमेटी ने कर्मचारियों पर एफआईआर (FIR) दर्ज करने, तबादले करने की निंदा की है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने सरकार की कार्रवाई को तानाशाही करार दिया है। उन्होंने चेताया है अगर कर्मचारियों के उत्पीड़न पर रोक न लगी तो प्रदर्शन किया जाएगा। दोनों ने कहा कि सीएम (CM) अपने पद की गरिमा का ध्यान रखें। वे कर्मचारियों की पेंशन बहाली के बजाए चुनाव लड़कर पेंशन हासिल करने की संवेदनहीन बात कह रहे हैं। सीएम और सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने और नवउदारवादी नीतियों को कर्मचारियों और आम जनता पर थोप रहे हैं।
सीएम जयराम ठाकुर को कर्मचारियों की वॉर्निंग
उन्होंने सीएम को याद दिलाया है कि वर्ष 1992 में इसी तरीके की कर्मचारी विरोधी बयानबाजी, वेतन कटौती जैसे काम तत्कालीन सीएम शांता कुमार (Shanta Kumar) ने किया था। उन्होंने कर्मचारियों पर तानाशाही नो वर्क नो पे लागू किया था। उस सरकार का हश्र सबको मालूम है। शांता कुमार दोबारा शिमला में सीएम के रूप में कभी वापसी नहीं कर पाए। विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग, छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने और आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने की बात की सीएम खिल्ली उड़ा रहे हैं।