हिमाचल प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों पर उच्च और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय का शिकंजा कसने के बाद शिक्षकों ने अपने सांविधानिक अधिकारों का तर्क देते हुए हाईकोर्ट में तबादला आदेशों को चुनौती देने का फैसला लिया है।
तबादलों से नाराज शिक्षक हाईकोर्ट जाने
की तैयारी में हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले
शिक्षकों पर उच्च और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय का शिकंजा कसने के बाद
शिक्षकों ने अपने सांविधानिक अधिकारों का तर्क देते हुए हाईकोर्ट में
तबादला आदेशों को चुनौती देने का फैसला लिया है। उधर, संशोधित वेतनमान
मामले में संयुक्त कर्मचारी महासंघ के दो और पदाधिकारियों के तबादले कर दिए
गए हैं। महासंघ के राज्य सचिव सुनील चौहान को रोहड़ू से ढली स्कूल तथा
महासंघ के सदस्य रमेश चंद को टिक्कर से मशोबरा स्कूल स्थानांतरित किया गया
है।
सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शिक्षकों को चंबा, शिमला और सिरमौर जिले के दूरदराज क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया है। प्रदेश के विभिन्न विभागों की कर्मचारी यूनियनों ने संशोधित वेतनमान लेने के लिए महासंघ का गठन किया है। महासंघ में शिक्षक संगठनों के कई पदाधिकारी शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने सबसे पहले महासंघ के इन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए इन्हें प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया है। इन शिक्षकों के तबादलों की एडजस्टमेंट अब सरकार की ओर से नहीं की जाएगी। ऐसे में इनके पास आखिरी विकल्प हाईकोर्ट का बचा है।
तबादलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए शिक्षकों ने अधिवक्ताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है। उधर, संयुक्त कर्मचारी महासंघ के मुख्य समन्वयक कुलदीप खरवाड़ा ने कहा कि कर्मचारी नेताओं के खिलाफ प्रताड़ित करने के इरादे से की गई एफआईआर वापस ली जाए और तबादले भी रद्द किए जाएं। पंजाब की तर्ज पर वेतनमान दिया जाए। ऐसा न होने पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ दमनकारी नीति के खिलाफ आंदोलन को तेज करेगा। जब शिमला में प्रदर्शन करने वालों को रोकने के लिए पंजाब एक्ट लागू किया गया तो मुख्यमंत्री का आभार जताने के लिए पहुंचने वाली भीड़ पर उस एक्ट को क्यों लागू नहीं किया गया।
सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शिक्षकों को चंबा, शिमला और सिरमौर जिले के दूरदराज क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया है। प्रदेश के विभिन्न विभागों की कर्मचारी यूनियनों ने संशोधित वेतनमान लेने के लिए महासंघ का गठन किया है। महासंघ में शिक्षक संगठनों के कई पदाधिकारी शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने सबसे पहले महासंघ के इन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए इन्हें प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया है। इन शिक्षकों के तबादलों की एडजस्टमेंट अब सरकार की ओर से नहीं की जाएगी। ऐसे में इनके पास आखिरी विकल्प हाईकोर्ट का बचा है।
तबादलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए शिक्षकों ने अधिवक्ताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है। उधर, संयुक्त कर्मचारी महासंघ के मुख्य समन्वयक कुलदीप खरवाड़ा ने कहा कि कर्मचारी नेताओं के खिलाफ प्रताड़ित करने के इरादे से की गई एफआईआर वापस ली जाए और तबादले भी रद्द किए जाएं। पंजाब की तर्ज पर वेतनमान दिया जाए। ऐसा न होने पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ दमनकारी नीति के खिलाफ आंदोलन को तेज करेगा। जब शिमला में प्रदर्शन करने वालों को रोकने के लिए पंजाब एक्ट लागू किया गया तो मुख्यमंत्री का आभार जताने के लिए पहुंचने वाली भीड़ पर उस एक्ट को क्यों लागू नहीं किया गया।