शिमला। प्रदेश के 1271 स्कूलों में सेवाएं दे रहे 1458 कंप्यूटर शिक्षकों पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। ये आउटसोर्सिंग आधार पर कार्यरत हैं। नौवीं से जमा दो कक्षा तक कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने वर्ष 2001 से यह प्रक्रिया शुरू की थी, जो वर्तमान में भी जारी है।
प्रदेश सरकार अपने आधार पर कंप्यूटर शिक्षकों को वेतन भी नहीं देता है। यानी जिस कंपनी के साथ सरकार ने एमओयू हस्ताक्षर किए हैं वही कंपनी कंप्यूटर शिक्षकों को वेतन जारी करती है।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001-02 में प्रदेश के 234 स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा प्रारंभ की थी। जो आज 1271 स्कूलों में चल रही है। शरुआती दौर में 234 स्कूलों में 234 अध्यापक ही सेवाएं दे रहे थे। सरकार से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत कंप्यूटर शिक्षक आउटसोर्सिंग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं। टेंडर के आधार पर चयनित कंपनियों को ही कंप्यूटर शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। बताया गया कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवाएं दे रहे कंप्यूटर शिक्षकों को अनुबंध या नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भर्ती एवं पदोन्नति नियम-2010 का संशोधन 27 जून 2015 को किया गया, जिसके अनुसार सीधी भर्ती द्वारा स्नातकोत्तर अध्यापक के पदों पर चयन करते समय हिमाचल प्रदेश की पाठशालाओं में कंप्यूटर शिक्षक के रूप में पांच-पांच वर्ष से अधिक का अध्यापकन अनुभव रखने वालों को ही प्राथमिकता दी जाती है। उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2001-02 में प्रदेश के 234 स्कूलों में 234 अध्यापक तैनात किए गए। उसके बाद 2002-03 में 260 स्कूलों में 260 अध्यापक, 2003-04 में भी 260 स्कूलों में 260 अध्यापक, 2004 से 2008 तक 588 स्कूलों में 588 अध्यापक, 2008-09 में 805 स्कूलों में 805 अध्यापक, 2009-10 में 903 स्कूलों में 1133 अध्यापक, 2010-11 में 968 स्कूलों में 1272 अध्यापक, 2011 से 2013 में 968 स्कूलों में 1329 अध्यापक, 2013-14 में 1232 स्कूलों में 1578 अध्यापक, 2014-15 में 1231 स्कूलों में 1495 अध्यापक तथा 2015-16 में प्रदेश के 1271 स्कूलों में 1458 कंप्यूटर अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं।
नाइलेट कंपनी के साथ जुलाई तक एग्रीमेंट
प्रदेश सरकार ने नाइलेट कंपनी को जुलाई माह तक के लिए आउटसोर्स का जिम्मा सौंपा है। यही कंपनी वर्ष 2013 से टेंडर ले चुकी है। पहली बार 2001 में प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को आउटसोर्स किया था, जो तीन सालों के लिए एग्रीमेंट किया गया था। उसके बाद 2003 से 2008 तक डोएक एजुकेशन लिमिटेड, 2008 से 2013 तक एवरॉन तथा वर्तमान में नाइलेट कंपनी को सरकार ने आउटसोर्स किया है।
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प्रदेश सरकार ने नाइलेट कंपनी को जुलाई माह तक के लिए आउटसोर्स का जिम्मा सौंपा है। यही कंपनी वर्ष 2013 से टेंडर ले चुकी है। पहली बार 2001 में प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को आउटसोर्स किया था, जो तीन सालों के लिए एग्रीमेंट किया गया था। उसके बाद 2003 से 2008 तक डोएक एजुकेशन लिमिटेड, 2008 से 2013 तक एवरॉन तथा वर्तमान में नाइलेट कंपनी को सरकार ने आउटसोर्स किया है।