राज्य ब्यूरो, शिमला : शिक्षा विभाग में पांच साल से अनुबंध पर काम कर
रहे शिक्षकों को नियमितीकरण का तोहफा मिला है। 31 मार्च को पांच साल पूरे
करने वाले अनुबंध आधार पर बतौर पीजीटी सेवाएं दे रहे 917 कर्मचारियों को
नियमित करने की सूची उच्च शिक्षा निदेशालय ने जारी की है। वहीं, 68
असिस्टेंट लाइब्रेरियन के भी नियमितीकरण के आदेश बुधवार को हुए हैं।
शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए बीएड की शर्त लगने से 46 पीजीटी इस लाभ से वंचित हुए हैं। इसका स्कूल प्रवक्ता संघ व अनुबंध शिक्षक महासंघ ने विरोध किया है। छह साल पहले कमीशन के माध्यम से तैनात इन शिक्षकों के लिए नियुक्ति के दौरान बीएड जरूरी नहीं थी। जब नियमितीकरण का समय आया तो विभाग ने बीएड की शर्त रखी जिससे शिक्षक खफा हैं। संघों का कहना है कि विभाग बीएड करने के लिए समय भी दे सकता था। जिस समय अनुबंध आधार पर ये शिक्षक लगे थे, उस समय बतौर लेक्चरर तैनाती हुई थी। अब नियमित होने वाले इन शिक्षकों को पीजीटी नाम दिया जा रहा है। साथ ही बीएड अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि इस संबंध में कोई जानकारी शिक्षकों को नहीं थी और न ही विभाग की तरफ से बीएड करने के लिए कोई दिशानिर्देश हुए थे। स्कूल प्रवक्ता संघ के महासचिव भूपेंद्र ने कहा कि जो बिना बीएड के प्रवक्ता नियमित नहीं किए गए हैं, उन्हें भी जल्द नियमित किया जाए। लेक्चरर्स की नियुक्ति लेक्चरर्स के तौर पर की गई थी। उस समय बीएड जरूरी नहीं थी लेकिन अब बीएड की शर्त लगाना ठीक नहीं है। करीब 176 शिक्षक ऐसे हैं जिनका नॉन बीएड व मेडिकल लीव अधिक काटने के कारण नियमितीकरण नहीं हुआ है। अनुबंध शिक्षक महासंघ के महासचिव राजेश वर्मा ने कहा कि कार्मिक विभाग ने जब नियमितीकरण करने के लिए अधिसूचना जारी की थी तो इसमें स्पष्ट लिखा था कि कर्मचारी की फर्स्ट अप्वाइंटमेंट के समय के ही आरएंडपी रूल लागू होंगे। अब शिक्षा विभाग नॉन बीएड को नियमितीकरण से कैसे वंचित कर सकता है। अनुबंध पर तैनात होने के दौरान ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं थी।
टीजीटी की सूची नहीं हुई जारी
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय अब तक पांच साल पूरे करने वाले टीजीटी को नियमित नहीं कर पाया है। बुधवार को भी प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने नियमित होने वाले अध्यापकों की सूची जारी नहीं की। प्रारंभिक शिक्षा के तहत करीब 1300 टीजीटी ऐसे हैं जिनके अनुबंध के पांच साल 31 मार्च व इससे पहले पूरे हो चुके हैं।
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शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए बीएड की शर्त लगने से 46 पीजीटी इस लाभ से वंचित हुए हैं। इसका स्कूल प्रवक्ता संघ व अनुबंध शिक्षक महासंघ ने विरोध किया है। छह साल पहले कमीशन के माध्यम से तैनात इन शिक्षकों के लिए नियुक्ति के दौरान बीएड जरूरी नहीं थी। जब नियमितीकरण का समय आया तो विभाग ने बीएड की शर्त रखी जिससे शिक्षक खफा हैं। संघों का कहना है कि विभाग बीएड करने के लिए समय भी दे सकता था। जिस समय अनुबंध आधार पर ये शिक्षक लगे थे, उस समय बतौर लेक्चरर तैनाती हुई थी। अब नियमित होने वाले इन शिक्षकों को पीजीटी नाम दिया जा रहा है। साथ ही बीएड अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि इस संबंध में कोई जानकारी शिक्षकों को नहीं थी और न ही विभाग की तरफ से बीएड करने के लिए कोई दिशानिर्देश हुए थे। स्कूल प्रवक्ता संघ के महासचिव भूपेंद्र ने कहा कि जो बिना बीएड के प्रवक्ता नियमित नहीं किए गए हैं, उन्हें भी जल्द नियमित किया जाए। लेक्चरर्स की नियुक्ति लेक्चरर्स के तौर पर की गई थी। उस समय बीएड जरूरी नहीं थी लेकिन अब बीएड की शर्त लगाना ठीक नहीं है। करीब 176 शिक्षक ऐसे हैं जिनका नॉन बीएड व मेडिकल लीव अधिक काटने के कारण नियमितीकरण नहीं हुआ है। अनुबंध शिक्षक महासंघ के महासचिव राजेश वर्मा ने कहा कि कार्मिक विभाग ने जब नियमितीकरण करने के लिए अधिसूचना जारी की थी तो इसमें स्पष्ट लिखा था कि कर्मचारी की फर्स्ट अप्वाइंटमेंट के समय के ही आरएंडपी रूल लागू होंगे। अब शिक्षा विभाग नॉन बीएड को नियमितीकरण से कैसे वंचित कर सकता है। अनुबंध पर तैनात होने के दौरान ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं थी।
टीजीटी की सूची नहीं हुई जारी
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय अब तक पांच साल पूरे करने वाले टीजीटी को नियमित नहीं कर पाया है। बुधवार को भी प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने नियमित होने वाले अध्यापकों की सूची जारी नहीं की। प्रारंभिक शिक्षा के तहत करीब 1300 टीजीटी ऐसे हैं जिनके अनुबंध के पांच साल 31 मार्च व इससे पहले पूरे हो चुके हैं।
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