जागरण संवाददाता, मंडी : प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय उच्च
शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत छठे सेमेस्टर की परीक्षाओं के पेपरों का कॉलेज
स्तर पर मूल्यांकन करने का फरमान जारी करने का राजकीय कॉलेज प्राध्यापक
एसोसिएशन ने विरोध किया है।

एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. राजेश यादव ने बुधवार को मंडी में पत्रकारों से कहा कि पेपरों का मूल्यांकन पहले से तय नियमों के आधार पर हो। रूसा के तहत अंतिम सत्र की परीक्षाएं तीन मई से पूरे प्रदेश में शुरू हो रही हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार मई से ही कॉलेज स्तर पर पेपरों का मूल्यांकन करने का फरमान जारी किया है, जो तर्कसंगत नहीं है। इससे पेपर मूल्यांकन करने वाले प्राध्यापकों पर भी सवाल उठ सकते हैं। प्रदेश सरकार, उच्च शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय प्रशासन आए दिन रूसा के तहत नए-नए फैसले ले रहे हैं। इससे शिक्षकों व छात्रों को दिक्कतें हो रही है। सरकार प्राध्यापकों की मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है। अगर सरकार ने तीन मई तक लंबित मांगे नहीं मानी तो चार मई से प्राध्यापक आंदोलन शुरू कर देंगे। प्रदेश के किसी भी कॉलेज में पेपर मूल्यांकन का कोई काम नहीं किया जाएगा। इस आंदोलन में प्रदेश के सभी गैर सरकारी कालेजों के प्राध्यापक भी एसोसिएशन का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कॉलेज प्राध्यापकों की पिछले कई साल से रोकी वेतन वृद्धि जारी करने, शोध कार्य न करवाने, यूजीसी नियमों के तहत 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने, अनुबंध प्राध्यापकों को तकनीकी शिक्षा विभाग के शिक्षकों की तर्ज पर 35000 रुपये मासिक वेतनमान देने की मांग की।
राजेश यादव ने कहा कि इन मांगों को लेकर एसोसिएशन पिछले दो माह में मुख्यमंत्री से दो बार मिल चुकी है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। एसोसिएशन की मंडी इकाई के अध्यक्ष जेपी ¨सह ने कहा कि प्रदेश सरकार का उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। रूसा के कारण प्रदेश के हजारों छात्रों का भविष्य प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंधकार में डाल दिया है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. राजेश यादव ने बुधवार को मंडी में पत्रकारों से कहा कि पेपरों का मूल्यांकन पहले से तय नियमों के आधार पर हो। रूसा के तहत अंतिम सत्र की परीक्षाएं तीन मई से पूरे प्रदेश में शुरू हो रही हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार मई से ही कॉलेज स्तर पर पेपरों का मूल्यांकन करने का फरमान जारी किया है, जो तर्कसंगत नहीं है। इससे पेपर मूल्यांकन करने वाले प्राध्यापकों पर भी सवाल उठ सकते हैं। प्रदेश सरकार, उच्च शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय प्रशासन आए दिन रूसा के तहत नए-नए फैसले ले रहे हैं। इससे शिक्षकों व छात्रों को दिक्कतें हो रही है। सरकार प्राध्यापकों की मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है। अगर सरकार ने तीन मई तक लंबित मांगे नहीं मानी तो चार मई से प्राध्यापक आंदोलन शुरू कर देंगे। प्रदेश के किसी भी कॉलेज में पेपर मूल्यांकन का कोई काम नहीं किया जाएगा। इस आंदोलन में प्रदेश के सभी गैर सरकारी कालेजों के प्राध्यापक भी एसोसिएशन का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कॉलेज प्राध्यापकों की पिछले कई साल से रोकी वेतन वृद्धि जारी करने, शोध कार्य न करवाने, यूजीसी नियमों के तहत 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने, अनुबंध प्राध्यापकों को तकनीकी शिक्षा विभाग के शिक्षकों की तर्ज पर 35000 रुपये मासिक वेतनमान देने की मांग की।
राजेश यादव ने कहा कि इन मांगों को लेकर एसोसिएशन पिछले दो माह में मुख्यमंत्री से दो बार मिल चुकी है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। एसोसिएशन की मंडी इकाई के अध्यक्ष जेपी ¨सह ने कहा कि प्रदेश सरकार का उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। रूसा के कारण प्रदेश के हजारों छात्रों का भविष्य प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंधकार में डाल दिया है।
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