राज्यसरकार सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने का दावा करती है। लेकिन
हकीकत इस से कोसों दूर है। सूबे के सरकारी स्कूलों में तैनात प्रिंसिपल,
हैडमास्टर सहित टीजीटी साइंस और पीजीटी मेडिकल और नॉन मेडिकल कोई भी ऐसा
नहीं है जिस ने 5 सालों तक लगातार 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में 90
फीसदी इस से अच्छा रिजल्ट दिया हो। इन चार कैटेगरी की संख्या 20 हजार के
करीब है।
उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान योजना के लिए मांगे गए आवेदनों में ये खामी सामने आई है। योजना के तहत साइंस, मैथ और अंग्रेजी विषयों में बेहतर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को सम्मानित कर उन्हें सेवा विस्तार दिया जाना था। पहले 100 फीसदी रिजल्ट की शर्त लगाई गई थी। लेकिन बाद में इसमें बदलाव इसे 90 फीसदी किया गया। बदलाव के बावजूद कोई भी शिक्षक इसके लिए पात्र नहीं हुआ। हैरानी की बात ये है कि पूरे प्रदेश से महज एक ही आवेदन विभाग के पास पहुंचा। उसमें भी खामी पाई गई। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि अभी आवेदन करने की तिथि 30 जून तक है। उसके बाद ही स्थिति क्लियर हो पाएगी। -शेष पेज9 पर
एजुकेशन को बढ़ावा देने का दावा करती है। बावजूद इसके स्कूलों में अच्छे रिजल्ट नहीं पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों में लगातार अच्छे रिजल्ट रहे हैं। जानकारों की माने तो यही वजह है जिसके कारण स्टूडेंट सरकारी के बजाए निजी स्कूलों में ज्यादा दाखिला ले रहे हैं।
पांच साल लगातार 90 फीसदी रिजल्ट देने पर एक साल का सेवा विस्तार दिया जाना था। यदि टीचर लगातार 10 साल तक ऐसा प्रदर्शन करता है तो उसे दो साल एक्सटेंशन मिलनी थी। तीसरी बार ऐसा करने पर 11 हजार नकद, शॉल टोपी और मफलर से सम्मानित होगा।
ये थे नियम | स्कूलमें 10वीं और 12वीं कक्षा का ओवरऑल रिजल्ट 5 साल तक 90% होना चाहिए। सभी स्टूडेंट की पास परसेंटेज 60 फीसदी इससे ज्यादा होनी चाहिए थी। जबकि टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के सब्जेक्ट का रिजल्ट 90 फीसदी इससे अधिक होना चाहिए था। क्लास में सभी बच्चें साठ फीसदी से ज्यादा अंक लेकर पास होने चाहिए थे। यदि शिक्षक 5 साल तक एक ही स्कूल में रहा है तो पूरी सर्विस उस स्कूल में काउंट की जाएगी।
प्रिंसिपल, हैडमास्टर सहित टीजीटी साइंस और पीजीटी साइंस चार कैटेगरी के शिक्षकों के लिए ये शर्त लागू होनी थी। इस कैटेगरी की स्ट्रेंथ 20 हजार से ज्यादा हैं जो रेगुलर आधार पर कार्यरत है। राज्य में 1700 के करीब प्रिंसिपल है, 900 के करीब हैडमास्टर और 16 हजार पीजीटी, और बीस हजार से ज्यादा टीजीटी का कैडर है। टीजीटी मेडिकल और पीजीटी मेडिकल नॉन मेडिकल कैटेगरी ही इसके आवेदन करने के लिए पात्र थे। प्रदेश में 2500 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं।
{पूरे प्रदेश से सिर्फ एक ही शिक्षक ने किया आवेदन, उसमें भी खामी पाई गई
उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान योजना के लिए मांगे गए आवेदनों में ये खामी सामने आई है। योजना के तहत साइंस, मैथ और अंग्रेजी विषयों में बेहतर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को सम्मानित कर उन्हें सेवा विस्तार दिया जाना था। पहले 100 फीसदी रिजल्ट की शर्त लगाई गई थी। लेकिन बाद में इसमें बदलाव इसे 90 फीसदी किया गया। बदलाव के बावजूद कोई भी शिक्षक इसके लिए पात्र नहीं हुआ। हैरानी की बात ये है कि पूरे प्रदेश से महज एक ही आवेदन विभाग के पास पहुंचा। उसमें भी खामी पाई गई। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि अभी आवेदन करने की तिथि 30 जून तक है। उसके बाद ही स्थिति क्लियर हो पाएगी। -शेष पेज9 पर
एजुकेशन को बढ़ावा देने का दावा करती है। बावजूद इसके स्कूलों में अच्छे रिजल्ट नहीं पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों में लगातार अच्छे रिजल्ट रहे हैं। जानकारों की माने तो यही वजह है जिसके कारण स्टूडेंट सरकारी के बजाए निजी स्कूलों में ज्यादा दाखिला ले रहे हैं।
पांच साल लगातार 90 फीसदी रिजल्ट देने पर एक साल का सेवा विस्तार दिया जाना था। यदि टीचर लगातार 10 साल तक ऐसा प्रदर्शन करता है तो उसे दो साल एक्सटेंशन मिलनी थी। तीसरी बार ऐसा करने पर 11 हजार नकद, शॉल टोपी और मफलर से सम्मानित होगा।
ये थे नियम | स्कूलमें 10वीं और 12वीं कक्षा का ओवरऑल रिजल्ट 5 साल तक 90% होना चाहिए। सभी स्टूडेंट की पास परसेंटेज 60 फीसदी इससे ज्यादा होनी चाहिए थी। जबकि टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के सब्जेक्ट का रिजल्ट 90 फीसदी इससे अधिक होना चाहिए था। क्लास में सभी बच्चें साठ फीसदी से ज्यादा अंक लेकर पास होने चाहिए थे। यदि शिक्षक 5 साल तक एक ही स्कूल में रहा है तो पूरी सर्विस उस स्कूल में काउंट की जाएगी।
प्रिंसिपल, हैडमास्टर सहित टीजीटी साइंस और पीजीटी साइंस चार कैटेगरी के शिक्षकों के लिए ये शर्त लागू होनी थी। इस कैटेगरी की स्ट्रेंथ 20 हजार से ज्यादा हैं जो रेगुलर आधार पर कार्यरत है। राज्य में 1700 के करीब प्रिंसिपल है, 900 के करीब हैडमास्टर और 16 हजार पीजीटी, और बीस हजार से ज्यादा टीजीटी का कैडर है। टीजीटी मेडिकल और पीजीटी मेडिकल नॉन मेडिकल कैटेगरी ही इसके आवेदन करने के लिए पात्र थे। प्रदेश में 2500 से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं।
{पूरे प्रदेश से सिर्फ एक ही शिक्षक ने किया आवेदन, उसमें भी खामी पाई गई