शिमला: एक माह के भीतर बनने वाली पॉलिसी हजारों आऊटसोर्स कर्मचारियों और कम्प्यूटर शिक्षकों का भविष्य तय करेगी। ऐसे में सरकार द्वारा बनाई जाने वाली पॉलिसी के दायरे में सभी आऊटसोर्स कर्मचारी और कम्प्यूटर शिक्षक आएंगे या नहीं उसको लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों के अंतर्गत करीब 35 हजार कर्मचारी आऊसोर्स पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और इनमें से अधिकतर कर्मचारियों को निजी कंपनियों के माध्यम से रखा गया है। इसी के चलते सरकार निजी कंपनियों को ही इनके वेतन का भुगतान करती है और उसके उपरांत निजी कंपनियों द्वारा अपना कमीशन काटने के बाद कर्मचारियों के वेतन की अदायगी की जाती है।
कर्मचारियों को नियमितीकरण की उम्मीद जगी
कर्मचारियों का आरोप है कि ऐसा होने से उनका लगातार शोषण हो रहा है। इसकी शिकायत समय-समय पर सरकार के समक्ष भी आती रही है जिसे देखते हुए सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए नीति बनाने का ऐलान किया है। इसके अलावा कम्प्यूटर टीचर भी अपने लिए नीति बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से हड़ताल पर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आगामी वित्त वर्ष के बजट में एक माह के अंदर आऊटसोर्स कर्मचारियों के साथ-साथ कम्प्यूटर शिक्षकों को भी समुचित पॉलिसी बनाने की घोषणा की है जिससे उक्त कर्मचारियों को नियमितीकरण की उम्मीद जगी है। हालांकि पॉलिसी के दायरे में सभी आएंगे या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पहले अनुबंध पर फिर नियमित
सरकार सभी विभागों से आऊटसोर्स कर्मचारियों की जानकारी मांग चुकी है। इसके साथ ही विभागाध्यक्षों से भी सुझाव देने को भी कहा गया है। माना जा रहा है कि सरकार पहले इन्हें अनुबंध पर लाएगी तथा उसके बाद इन्हेंं नियमित किया जाएगा। अनुबंध पर लाने के लिए भी आऊटसोर्स कर्मचारी पर सेवाकाल की शर्त तय होगी और उसी शर्त के अनुरूप उन्हें अनुबंध पर लाया जाएगा। अनुबंध पर आने के लिए आऊटसोर्स के रूप में कितने वर्ष की सेवाएं अनिवार्य की जाएंगी, इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही सरकार के समक्ष सबसे बड़ा पेंच रोस्टर का भी होगा। ऐसा में देखना है कि सरकार इसका तोड़ कैसे निकालती है।
देश का रोल मॉडल बनेगा हिमाचल
युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति तैयार कर हिमाचल प्रदेश देश का रोल मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री बजट में पॉलिसी बनाने की बात कह चुके हैं और अब जल्द ही पॉलिसी सभी के सामने होगी।
राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों के अंतर्गत करीब 35 हजार कर्मचारी आऊसोर्स पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और इनमें से अधिकतर कर्मचारियों को निजी कंपनियों के माध्यम से रखा गया है। इसी के चलते सरकार निजी कंपनियों को ही इनके वेतन का भुगतान करती है और उसके उपरांत निजी कंपनियों द्वारा अपना कमीशन काटने के बाद कर्मचारियों के वेतन की अदायगी की जाती है।
कर्मचारियों को नियमितीकरण की उम्मीद जगी
कर्मचारियों का आरोप है कि ऐसा होने से उनका लगातार शोषण हो रहा है। इसकी शिकायत समय-समय पर सरकार के समक्ष भी आती रही है जिसे देखते हुए सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए नीति बनाने का ऐलान किया है। इसके अलावा कम्प्यूटर टीचर भी अपने लिए नीति बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से हड़ताल पर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आगामी वित्त वर्ष के बजट में एक माह के अंदर आऊटसोर्स कर्मचारियों के साथ-साथ कम्प्यूटर शिक्षकों को भी समुचित पॉलिसी बनाने की घोषणा की है जिससे उक्त कर्मचारियों को नियमितीकरण की उम्मीद जगी है। हालांकि पॉलिसी के दायरे में सभी आएंगे या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पहले अनुबंध पर फिर नियमित
सरकार सभी विभागों से आऊटसोर्स कर्मचारियों की जानकारी मांग चुकी है। इसके साथ ही विभागाध्यक्षों से भी सुझाव देने को भी कहा गया है। माना जा रहा है कि सरकार पहले इन्हें अनुबंध पर लाएगी तथा उसके बाद इन्हेंं नियमित किया जाएगा। अनुबंध पर लाने के लिए भी आऊटसोर्स कर्मचारी पर सेवाकाल की शर्त तय होगी और उसी शर्त के अनुरूप उन्हें अनुबंध पर लाया जाएगा। अनुबंध पर आने के लिए आऊटसोर्स के रूप में कितने वर्ष की सेवाएं अनिवार्य की जाएंगी, इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही सरकार के समक्ष सबसे बड़ा पेंच रोस्टर का भी होगा। ऐसा में देखना है कि सरकार इसका तोड़ कैसे निकालती है।
देश का रोल मॉडल बनेगा हिमाचल
युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति तैयार कर हिमाचल प्रदेश देश का रोल मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री बजट में पॉलिसी बनाने की बात कह चुके हैं और अब जल्द ही पॉलिसी सभी के सामने होगी।