राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल में बेचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) की डिग्री अब चार साल की होगी। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इसकी शुरुआत होगी।
बारहवीं
कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बच्चे इसमें दाखिला लेने के लिए पात्र होंगे।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शिक्षा विभाग ने इसका प्रारूप तैयार करना शुरू
कर दिया है। शिक्षा विभाग ने एचपीयू को इसके लिए पाठ्यक्रम को अंतिम रूप
देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसका
प्रावधान है।
जून 2025 में कॉलेजों में शुरू होगा नया सत्र
हिमाचल ने करीब दो साल पहले इस पर काम शुरू कर दिया था। जून 2025 से कॉलेजों में नया सत्र शुरू होगा जिससे इसे लागू कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते रोज शिमला जिला के कोटी में इसकी घोषणा भी की थी।हिमाचल में मौजूदा समय में बीएड की डिग्री 2
साल की होती है। अभी तक बीएड में दाखिला स्नातक डिग्री पूरी होने के बाद
मिलता है। निदेशक उच्च शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि इसको लेकर
विभाग ने काम शुरू कर दिया है। नए सत्र से इस व्यवस्था को लागू कर दिया
जाएगा।
इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत होगी वह मुहैया करवा दिया जाएगा। शुरुआत
कुछेक कॉलेजों से की जाएगी। चरणबद्ध तरीके से इसे सभी कॉलेजों में लागू
किया जाएगा।
बदलने होंगे भर्ती एवं पदोन्नति नियम, मंथन जारी
राष्ट्रीय
शिक्षा नीति के अनुसार वर्ष 2030 के बाद शिक्षक भर्ती के लिए पात्रता 4
वर्षीय डिग्री कोर्स की ही होगी। टीजीटी व स्कूल लेक्चरर के लिए भर्ती एवं
पदोन्नति नियमों में भी बदलाव करना पड़ेगा। क्योंकि अभी तक इसके लिए दो साल
की बीएड डिग्री ही मान्य है।
साल 2030 से पहले 2 साल की बीएड डिग्रीधारक बेरोजगारों को नौकरी कैसे मिलेगी इस पर मंथन जारी है। राज्य सरकार बीच का रास्ता निकालने जा रही है। इसके लिए इन्हें ब्रिज कोर्स करवाया जा सकता है। विधि विभाग की राय भी ली जा रही है। इसमें विधि विभाग से पूछा गया है कि डिग्रीधारकों की संख्या काफी ज्यादा है, इन्हें कैसे पात्र बनाया जाए। क्या ब्रिज कोर्स करवाया जा सकता है या फिर केंद्र से ही नियमों में छूट मांगी जाए।
साल 2030 से पहले 2 साल की बीएड डिग्रीधारक बेरोजगारों को नौकरी कैसे मिलेगी इस पर मंथन जारी है। राज्य सरकार बीच का रास्ता निकालने जा रही है। इसके लिए इन्हें ब्रिज कोर्स करवाया जा सकता है। विधि विभाग की राय भी ली जा रही है। इसमें विधि विभाग से पूछा गया है कि डिग्रीधारकों की संख्या काफी ज्यादा है, इन्हें कैसे पात्र बनाया जाए। क्या ब्रिज कोर्स करवाया जा सकता है या फिर केंद्र से ही नियमों में छूट मांगी जाए।