राज्य ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिक्षा विभाग में
रिक्त पदों को एक वर्ष के भीतर भरने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि
शिक्षा में गुणवत्ता लाने और रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग को
अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी तो वह भी दिया जाएगा।
विधानसभा में शिक्षा विभाग को लेकर विपक्ष के कटौती प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व धूमल सरकार और पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान के कार्यकाल में वर्ष 2012 में शिक्षा विभाग में 15,816 पद रिक्त थे। इसमें से शिक्षकों के 9,947 और गैर शिक्षकों के 5,669 पद खाली थे। कांग्रेस सरकार ने 13 हजार से अधिक शिक्षकों व गैर शिक्षकों के पदों को भरा है। प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षण संस्थानों विशेष रूप से स्कूल और कॉलेजों के खुलने से उनमें लड़कियों की संख्या में चार गुणा वृद्धि हुई है। उन्होंने एसएमसी की भर्ती को लेकर स्पष्ट किया कि इसमें एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी चयन करती है। इसमें प्रधानाचार्य और एसएमसी अध्यक्ष आदि कमेटी के सदस्य होते हैं। आरक्षित वर्ग के लिए अलग से अंकों का प्रावधान है।
अधिकांश पब्लिक स्कूलों में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षण स्टाफ है। इसके विपरीत अधिकांश गैर सरकारी पब्लिक स्कूलों में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है। अभिभावक देखादेखी और वहां की ड्रेस से प्रभावित होकर अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। सरकारी शिक्षकों द्वारा अपने बच्चों को पब्लिक स्कूल में पढ़ाने से समाज में सरकारी स्कूलों के प्रति दुष्प्रचार हो रहा है। प्रदेश में क्रियाशील शिक्षण संस्थानों में 10,744 प्राथमिक स्कूल, 2154 मिडल स्कूल, 880 उच्च स्कूल, 1610 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, 89 कॉलेज व पांच संस्कृत कॉलेज हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
विधानसभा में शिक्षा विभाग को लेकर विपक्ष के कटौती प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व धूमल सरकार और पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान के कार्यकाल में वर्ष 2012 में शिक्षा विभाग में 15,816 पद रिक्त थे। इसमें से शिक्षकों के 9,947 और गैर शिक्षकों के 5,669 पद खाली थे। कांग्रेस सरकार ने 13 हजार से अधिक शिक्षकों व गैर शिक्षकों के पदों को भरा है। प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षण संस्थानों विशेष रूप से स्कूल और कॉलेजों के खुलने से उनमें लड़कियों की संख्या में चार गुणा वृद्धि हुई है। उन्होंने एसएमसी की भर्ती को लेकर स्पष्ट किया कि इसमें एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी चयन करती है। इसमें प्रधानाचार्य और एसएमसी अध्यक्ष आदि कमेटी के सदस्य होते हैं। आरक्षित वर्ग के लिए अलग से अंकों का प्रावधान है।
अधिकांश पब्लिक स्कूलों में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षण स्टाफ है। इसके विपरीत अधिकांश गैर सरकारी पब्लिक स्कूलों में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है। अभिभावक देखादेखी और वहां की ड्रेस से प्रभावित होकर अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। सरकारी शिक्षकों द्वारा अपने बच्चों को पब्लिक स्कूल में पढ़ाने से समाज में सरकारी स्कूलों के प्रति दुष्प्रचार हो रहा है। प्रदेश में क्रियाशील शिक्षण संस्थानों में 10,744 प्राथमिक स्कूल, 2154 मिडल स्कूल, 880 उच्च स्कूल, 1610 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, 89 कॉलेज व पांच संस्कृत कॉलेज हैं।
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