नाहन: 10वीं व 12वीं कक्षा के नतीजों का ग्राफ गिरने
के बाद सरकार हरकत में है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नतीजों से प्रभावित
स्कूलों के प्रमुखों की क्लास ले चुके हैं। खराब रिजल्ट देने वाले 150 से
ज्यादा स्कूलों के प्रमुखों से जवाब तलब किया जा रहा है।
ऐसे में नियमित शिक्षक कह रहे हैं कि क्या खराब रिजल्ट के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। प्रदेश के हजारों स्कूलों में करीब 7500 से ज्यादा शिक्षक एस.एम.सी. के माध्यम से रखे गए हैं। क्या खराब रिजल्ट के लिए इन शिक्षकों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।
एस.एम.सी. के माध्यम से रखे गए शिक्षकों को प्रति पीरियड के आधार पर पढ़ाने का कार्य सौंपा गया है। सीधे ये विभाग के नियंत्रण में भी नहीं है। एस.एम.सी. ने ये शिक्षक मामूली वेतन पर रखे हैं। ऐसे में ये शिक्षक कितनी जिम्मेदारी से शिक्षण कार्य कर रहे हैं यह तो सरकार बेहतर जानती है जबकि नियमित शिक्षकों पर खराब रिजल्ट को लेकर शिकंजा कसा जा रहा है। जानकारी के अनुसार 25 फीसदी रिजल्ट देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की बात की जा रही है। अभी तक सरकार ने यह नहीं कहा कि एस.एम.सी. के तहत रखे गए शिक्षकों पर कैसे शिकंजा कसेगा।
शिक्षकों की भर्ती के मामले में सरकार की कई अपनी नीतियां रही हैं। सरकार स्कूल खोलने में मस्त रही और जैसे कैसे शिक्षकों की भर्ती करने में, ऐसे में गुणात्मक शिक्षा का सपना धरे का धरा रह गया। खासतौर से अंग्रेजी भाषा व गणित के ज्ञान में 10वीं कक्षा तक के छात्र फिसड्डी रहे हैं जबकि निजी स्कूलों के छात्र इस मामले में बेहतर रहे हैं। यूं भी अब ज्यादातर अभिभावक अपने नौनिहालों को निजी स्कूलों में ही पढ़ाने में प्राथमिकता देते हैं। यह सिलसिला पिछले 2 दशकों से जारी है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ऐसे में नियमित शिक्षक कह रहे हैं कि क्या खराब रिजल्ट के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। प्रदेश के हजारों स्कूलों में करीब 7500 से ज्यादा शिक्षक एस.एम.सी. के माध्यम से रखे गए हैं। क्या खराब रिजल्ट के लिए इन शिक्षकों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।
एस.एम.सी. के माध्यम से रखे गए शिक्षकों को प्रति पीरियड के आधार पर पढ़ाने का कार्य सौंपा गया है। सीधे ये विभाग के नियंत्रण में भी नहीं है। एस.एम.सी. ने ये शिक्षक मामूली वेतन पर रखे हैं। ऐसे में ये शिक्षक कितनी जिम्मेदारी से शिक्षण कार्य कर रहे हैं यह तो सरकार बेहतर जानती है जबकि नियमित शिक्षकों पर खराब रिजल्ट को लेकर शिकंजा कसा जा रहा है। जानकारी के अनुसार 25 फीसदी रिजल्ट देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की बात की जा रही है। अभी तक सरकार ने यह नहीं कहा कि एस.एम.सी. के तहत रखे गए शिक्षकों पर कैसे शिकंजा कसेगा।
शिक्षकों की भर्ती के मामले में सरकार की कई अपनी नीतियां रही हैं। सरकार स्कूल खोलने में मस्त रही और जैसे कैसे शिक्षकों की भर्ती करने में, ऐसे में गुणात्मक शिक्षा का सपना धरे का धरा रह गया। खासतौर से अंग्रेजी भाषा व गणित के ज्ञान में 10वीं कक्षा तक के छात्र फिसड्डी रहे हैं जबकि निजी स्कूलों के छात्र इस मामले में बेहतर रहे हैं। यूं भी अब ज्यादातर अभिभावक अपने नौनिहालों को निजी स्कूलों में ही पढ़ाने में प्राथमिकता देते हैं। यह सिलसिला पिछले 2 दशकों से जारी है।
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