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DPE प्राध्यापकों की नौकरी को खतरा

धर्मशाला: प्रदेश भर के विद्यार्थियों का खिलाड़ी बनने का सपने अब स्कूल प्रबंधन समिति, पंचायत प्रतिनिधि तथा स्कूल प्रशासन के हाथों में आ गया है। अब स्कूल प्रबंधन समिति, पंचायत प्रतिनिधि तथा स्कूल प्रशासन खेल प्रतिभा को निखारने पर निर्णय लेंगे। शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश भर में इस वर्ष अपग्रेड हुए स्कूलों पर बनाए गए नियमों से यह प्रतीत हो रहा है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में इस साल कई स्कूल हाई से सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में अपग्रेड हुए हैं। इन अपग्रेड स्कूलों में विषयों को लेकर ऐसा अनुपात बना दिया है कि शारीरिक विषय का चुनाव नहीं हो सकता है। नए अपग्रेड स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी व आई.पी. विषय को अनिवार्य कर दिया है।

स्कूल में 2 विषय कौन से पढ़ाए जाएंगे, इसका चुनाव करने का अधिकार एस.एम.सी., पंचायत प्रतिनिधि व स्कूल प्रशासन करेंगे। उक्त कक्षाओं में राजनीतिक शास्त्र, शारीरिक शिक्षा, अर्थशास्त्र तथा इतिहास में विद्यार्थियों की संख्या अधिक होती है। ऐसे में 2 विषयों के चुनाव की स्थिति में शारीरिक विषय का आना संभव नहीं है। विदित रहे कि जमा एक व जमा दो में कुल 5 विषयों का चुनाव विद्यार्थियों  को करना होता है।

डी.पी.ई. प्राध्यापकों की नौकरी को खतरा
वर्तमान स्थिति को लेकर डी.पी.ई. प्राध्यापकों की नौकरी को खतरा पैदा हो गया है। यदि शारीरिक शिक्षा विषय को किसी स्कूल में पढ़ाना है या नहीं, चुनाव पर निर्भर हो गई है। ऐसे में डी.पी.ई. बनने का सपना संजोय रखे प्राध्यापकों को यह झटका है। अब तक हर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में एक शारीरिक शिक्षा अध्यापक होता था, लेकिन इन स्कूलों में एक भी डी.पी.ई. की तैनाती चुनाव पर निर्भर हो गई है।
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