प्रदेश के सरकारी
स्कूलों से गायब रहने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई
है। सरकार ने सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण को गठित निरीक्षण निदेशालय
में बीस प्रिंसिपलों की नियुक्ति की है।
कांगड़ा जिले में तीन, शिमला, मंडी, सिरमौर,
कुल्लू, हमीरपुर, चंबा में दो-दो और सोलन, ऊना, बिलासपुर, लाहौल-स्पीति और
किन्नौर जिले में एक-एक प्रिंसिपल को नियुक्त किया है। अब ड्यूटी में
कोताही बरतने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लापरवाह शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बजट भाषण में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निरीक्षण निदेशालय गठित करने की घोषणा की थी। 27 मई, 2016 को मंत्रिमंडल ने निरीक्षण निदेशालय के गठन को मंजूरी दी थी।
अगस्त 2016 में शिक्षा विभाग ने निदेशालय के गठन की अधिसूचना जारी की थी। निरीक्षण निदेशालय के तहत 80 अफसरों और कर्मचारियों को शामिल किया गया है। शिमला स्थित शिक्षा निदेशालय से ही निरीक्षण निदेशालय काम करेगा।
सरकार ने निदेशालय के तहत 12 उपनिदेशकों, 20 प्रधानाचार्यों, 20 खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों, 13 अधीक्षक ग्रेड वन और वरिष्ठ सहायकों, 14 कनिष्ठ कार्यालय सहायकों और एक स्टेनो को शामिल किया है। ये अफसर और कर्मचारी स्कूलों के औचक निरीक्षण का जिम्मा संभालेंगे।
लापरवाह शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बजट भाषण में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निरीक्षण निदेशालय गठित करने की घोषणा की थी। 27 मई, 2016 को मंत्रिमंडल ने निरीक्षण निदेशालय के गठन को मंजूरी दी थी।
अगस्त 2016 में शिक्षा विभाग ने निदेशालय के गठन की अधिसूचना जारी की थी। निरीक्षण निदेशालय के तहत 80 अफसरों और कर्मचारियों को शामिल किया गया है। शिमला स्थित शिक्षा निदेशालय से ही निरीक्षण निदेशालय काम करेगा।
सरकार ने निदेशालय के तहत 12 उपनिदेशकों, 20 प्रधानाचार्यों, 20 खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों, 13 अधीक्षक ग्रेड वन और वरिष्ठ सहायकों, 14 कनिष्ठ कार्यालय सहायकों और एक स्टेनो को शामिल किया है। ये अफसर और कर्मचारी स्कूलों के औचक निरीक्षण का जिम्मा संभालेंगे।