ब्यूरो/अमर उजाला, शिमला हिमाचल सरकार से मंजूरी लिए बिना दूसरे विभागों में भेजे गए हजारों अफसरों और कर्मचारियों का डेपुटेशन (सेकेंडमेंट) रद्द कर दिया गया है। बुधवार को सरकार ने आदेश जारी कर ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की तनख्वाह जारी करने पर भी रोक लगा दी है।
प्रदेश में कई विभागों ने अपने स्तर पर ही हजारों अफसरों और कर्मचारियों को एडजस्ट किया है। बता दें कि प्रदेश में लोनिवि, आईपीएच, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और वन विभाग में डेपुटेशन के सबसे ज्यादा मामले हैं।
कार्मिक विभाग के मुताबिक सरकार ने डेपुटेशन के लिए कई नियम निर्धारित किए हैं। अगर डेपुटेशन के लिए किसी पद के भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी) नियम एक समान हों तो ऐसे मामलों को मंजूरी दे दी जाती है।
आरएंडपी नियम अलग हों तो अधिकृत अथॉरिटी की मंजूरी के बाद ही डेपुटेशन होते हैं। ऐसे मामलों में वित्त और कार्मिक विभाग की सलाह भी ली जाती है।
प्रदेश सरकार ने अब इस तरह के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए बिना मंजूरी किए गए सभी डेपुटेशन रद्द करने के आदेश दिए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब वेतन अपने मूल विभाग में लौटने के बाद ही दिया जाएगा।
प्रदेश में कई विभागों ने अपने स्तर पर ही हजारों अफसरों और कर्मचारियों को एडजस्ट किया है। बता दें कि प्रदेश में लोनिवि, आईपीएच, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और वन विभाग में डेपुटेशन के सबसे ज्यादा मामले हैं।
कार्मिक विभाग के मुताबिक सरकार ने डेपुटेशन के लिए कई नियम निर्धारित किए हैं। अगर डेपुटेशन के लिए किसी पद के भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी) नियम एक समान हों तो ऐसे मामलों को मंजूरी दे दी जाती है।
आरएंडपी नियम अलग हों तो अधिकृत अथॉरिटी की मंजूरी के बाद ही डेपुटेशन होते हैं। ऐसे मामलों में वित्त और कार्मिक विभाग की सलाह भी ली जाती है।
प्रदेश सरकार ने अब इस तरह के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए बिना मंजूरी किए गए सभी डेपुटेशन रद्द करने के आदेश दिए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब वेतन अपने मूल विभाग में लौटने के बाद ही दिया जाएगा।