ब्यूरो/अमर उजाला, शिमला राजकीय अध्यापक संघ तीन मार्च से प्रदेश में शुरू होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं का बहिष्कार करने की तैयारी में है। संघ के पदाधिकारियों ने पहली मार्च तक स्कूल शिक्षा बोर्ड को मांगें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है। कहा कि अगर मांगों को पूरा नहीं किया गया तो शिक्षक परीक्षा केंद्रों में ड्यूटियां नहीं देंगे। संघ का आरोप है कि शिक्षकों से बिना आप्शन लिए ही परीक्षा केंद्रों में ड्यूटियां लगाई गई हैं।
बोर्ड प्रबंधन ने वादे के मुताबिक तय हुआ मेहनताना भी नहीं बढ़ाया है। शिक्षक संघ ने निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी नहीं लगाने पर भी नाराजगी जताई है। संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, महासचिव नरेश महाजन, मुख्य प्रेस सचिव कैलाश ठाकुर, वित्त सचिव मुकेश शर्मा, मुख्य संरक्षक अजीत चौहान, संरक्षक अरुण गुलेरिया, सुनील वर्मा और नरोत्तम वर्मा ने बताया कि स्कूल शिक्षा बोर्ड प्रबंधन अपने वादे से मुकर रहा है।
बोर्ड की कार्य प्रणाली शिक्षक विरोधी है। बोर्ड अध्यक्ष ने संघ के साथ हुई बैठक में लिए गए फैसलों को पूरा नहीं किया है। चौहान ने बताया कि दो फरवरी को बोर्ड अध्यक्ष के साथ धर्मशाला में बैठक हुई थी। बैठक में मुख्य तौर पर उठाई गईं मांगों को माना गया था। इन मांगों में इसी सत्र से बोर्ड परीक्षाओं के मेहनताना एवं पेपर चेकिंग की दरें बढ़ाना, संघ के पदाधिकारियों को यात्रा भत्ता देने तथा निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य को शामिल किया गया था।
बैठक में हुए फैसलों के विपरीत अभी तक मेहनताना में वृद्धि की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। यात्रा भत्ता भी नहीं दिया गया है। निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा रहे हैं। जिलों के सरकारी स्कूलों में चुन-चुन कर स्कूलों में कैमरे लगाए जा रहे हैं। बोर्ड की इस कार्यप्रणाली के चलते सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है।
चौहान ने कहा कि इस साल अधीक्षकों और उप अधीक्षकों की परीक्षा केंद्रों में ड्यूटियां बिना आप्शन लिए ही लगाई गई हैं। कई शिक्षकों को सौ किलोमीटर दूर तक भेजा गया है। उन्होंने ड्यूटी चार्ट बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर पहली मार्च तक मांगों को पूरा कर अधिसूचना जारी नहीं की गई तो कोई भी शिक्षक परीक्षा केंद्रों में ड्यूटी नहीं देगा। बोर्ड प्रबंधन इसके लिए जिम्मेवार होगा। वीरेंद्र चौहान ने बताया बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव को इस बाबत अवगत करवा दिया गया है।
बोर्ड प्रबंधन ने वादे के मुताबिक तय हुआ मेहनताना भी नहीं बढ़ाया है। शिक्षक संघ ने निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी नहीं लगाने पर भी नाराजगी जताई है। संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, महासचिव नरेश महाजन, मुख्य प्रेस सचिव कैलाश ठाकुर, वित्त सचिव मुकेश शर्मा, मुख्य संरक्षक अजीत चौहान, संरक्षक अरुण गुलेरिया, सुनील वर्मा और नरोत्तम वर्मा ने बताया कि स्कूल शिक्षा बोर्ड प्रबंधन अपने वादे से मुकर रहा है।
बोर्ड की कार्य प्रणाली शिक्षक विरोधी है। बोर्ड अध्यक्ष ने संघ के साथ हुई बैठक में लिए गए फैसलों को पूरा नहीं किया है। चौहान ने बताया कि दो फरवरी को बोर्ड अध्यक्ष के साथ धर्मशाला में बैठक हुई थी। बैठक में मुख्य तौर पर उठाई गईं मांगों को माना गया था। इन मांगों में इसी सत्र से बोर्ड परीक्षाओं के मेहनताना एवं पेपर चेकिंग की दरें बढ़ाना, संघ के पदाधिकारियों को यात्रा भत्ता देने तथा निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य को शामिल किया गया था।
बैठक में हुए फैसलों के विपरीत अभी तक मेहनताना में वृद्धि की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। यात्रा भत्ता भी नहीं दिया गया है। निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा रहे हैं। जिलों के सरकारी स्कूलों में चुन-चुन कर स्कूलों में कैमरे लगाए जा रहे हैं। बोर्ड की इस कार्यप्रणाली के चलते सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है।
चौहान ने कहा कि इस साल अधीक्षकों और उप अधीक्षकों की परीक्षा केंद्रों में ड्यूटियां बिना आप्शन लिए ही लगाई गई हैं। कई शिक्षकों को सौ किलोमीटर दूर तक भेजा गया है। उन्होंने ड्यूटी चार्ट बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर पहली मार्च तक मांगों को पूरा कर अधिसूचना जारी नहीं की गई तो कोई भी शिक्षक परीक्षा केंद्रों में ड्यूटी नहीं देगा। बोर्ड प्रबंधन इसके लिए जिम्मेवार होगा। वीरेंद्र चौहान ने बताया बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव को इस बाबत अवगत करवा दिया गया है।