चुनाव
से पहले की रैलियों और घोषणापत्रों में किए गए वादों को याद कीजिए तो याद
आएगा कि चुनावी समर में राजनीतिक दल प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार के
बड़े बड़े वादे करकेोसत्ता हासिल कर जाती हैं। लेकिन सरकारें बनते ही
प्रदेश के रोजगारों के मौकों पर राजनीति का अडंगा लग चुका होता है।
बेरोजगारों के साथ ये खिलवाड़ हर पांच साल बाद सत्ता बदलने पर हो रहा है।
इस बार भी सरकार बनीं तो प्रदेश में 3 हजार पदों को भरने का प्रोसेस चल रहा
था।
दावेदार लिखित परीक्षा देने के बाद होने वाले इंटरव्यू की तारीख घोषित होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन सत्ता बदली तो इन हजारों बेरोजगारों की भर्तियों पर राजनीति ने अड़ंगा लगा दिया। अब प्रदेश में 3 हजार पदों पर होने वाली भर्तियां रुकी पड़ी हैं। कांस्टेबल की भर्तियां 10 महीने बाद भी नहीं हो पाईं। कंडक्टरों की 1300 पोस्ट के लिए 3800 बेरोजगार इंटरव्यू देने के बाद रिजल्ट निकलने का इंतजार कर रहे हैं।
400 पोस्ट की भर्ती लटकीअगस्त 2017 को कॉलेज कैडर के 400 टीचरों के पद विज्ञापित किए गए थे। इनमें से 12 पोस्ट को भरने का प्रोसेस शुरू हो पाया। इन 12 पोस्ट के लिए भी 200 दावेदारों ने एप्लाई किया। बाकी पदों को भरने का प्रोसेस आचार संहिता लागू होने के बाद रुक गया। लेकिन अब नई सरकार बने भी दो महीने होने जा रहे हैं। लेकिन कॉलेजों में खाली पोस्ट को भरने की प्रक्रिया ये सरकार भी शुरू नहीं कर पा रही।
1200 पोस्ट पर चर्चा तक नहींप्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल के करीब 1200 पदों को भरने के लिए अप्रैल 2017 में प्रोसेस शुरू हुआ। 10 महीने से ज्यादा वक्त हो चुका है लेकिन ग्राउंड टेस्ट और लिखित परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी भर्ती का प्रोसेस रोक दिया गया है। पिछली सरकार ने तृतीय श्रेणी पदों के लिए पर्सनल इंटरव्यू खत्म कर दिए थे। लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट में पर्सनल इंटरव्यू के 15 अंकों की शर्त है। इस शर्त को लेकर पूर्व सरकार ने न तो क्लेरीफिकेशन दी और न ही विभाग को पर्सनल इंटरव्यू की इजाजत दी थी। सत्ता बदली तो अब भाजपा सरकार भी कॉन्स्टेबल भर्ती पूरा करके बेरोजगारों को राहत देने के लिए गंभीर नहीं है। नई सरकार की कैबिनेट चार कैबिनेट बैठकें कर चुकी हैं। लेकिन रोजगार की बात तक करना जरूरी नही समझा गया। सरकार से इंटरव्यू की इजाजत न मिलने से अभ्यर्थी भी परेशान हैं। 1200 पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा में 57 हजार अभ्यर्थी बैठे थे। 27 हजार अभ्यर्थी उतीर्ण हैं।सरकार के उपेक्षित रवैये से जहां भर्ती प्रोसेस लटका है, वहीं ये अभ्यर्थी भी मंझधार में फंसकर ही रह गए हैं।
450 क्लर्कों का टाइपिंग टेस्ट नहीं हुआपिछली सरकार में अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के माध्यम से लिपिकों के पद भरने की प्रक्रिया भी अधूरी लटकी है। बोर्ड के माध्यम से करीब 87 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 10 हजार बेरोजगारों ने आवेदन के बाद लिखित परीक्षा दी। लेकिन अब 450 ने ये परीक्षा क्लीयर की। लेकिन अब इनकी भर्ती भी टाइपिंग टेस्ट न होने से रुकी हुई है।
तीस हजार पद खालीविभिन्न विभागों में तीस हजार से ज्यादा पद खाली हैं। इसमें से जिन पदों को कैबिनेट से भरने की मंजूरी भी मिल चुकी है, वह भी राजनीतिक सरकारों की अदला बदली में लटके हैं।
कांग्रेस ने रिव्यू किया था2012 में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद धूमल सरकार के छह महीने के फैसलों को रिव्यू किया था। अधिकतर फैसले रद्द किए थे। नियुक्तियों को लेकर काफी विवाद रहा। छह महीने तक एक हजार से ज्यादा पदों को भरने का मामला टेस्ट होने के बावजूद लटका रहा। शिक्षकों, बिजली बोर्ड से लेकर राजस्व विभाग की भर्तियां शामिल थी। बाद में इन पदों को भरने का फैसला लिया था। इससे दो शिक्षकों को दो सौ पद तो ऐसे थे, जिनके साक्षात्कार भी हो चुके थे।
1300 पदों पर 3800 को इंतजारपिछली कांग्रेस सरकार में राज्य पथ परिवहन निगम में टीएमपीए (कंडक्टर) के करीब 1300 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। कंडक्टरों के 1300 पदों के लिए लिखित परीक्षा भी ली गई। पिछले साल सितंबर में 28 हजार ने एंट्रेंस दिया। 3800 अभ्यर्थियों ने एंट्रेंस क्लीयर किया। बेरोजगारों को रोजागार के साथ भर्ती प्रोसेस पूरा होने पर निगम में कंडक्टरों की कमी पूरी होनी थी। कई रूटों पर चालकों को टिकट बनाने का काम स्वयं करना पड़ता है। भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही फैसला लिया कि अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर, पब्लिक सर्विस कमीशन के अलावा प्रदेश में जितनी भी भर्तियां शुरू की गई, वे रद्द कर दी जाएगी। परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर खुद भी कह चुके हैं कि कंडक्टरों के 1300 पदों को भरने को नए सिरे से भर्ती प्रोसेस शुरू किया जाएगा।