हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
वर्ष 2005-06 में पीटीए के तहत स्कूलों में हुई शास्त्री शिक्षकों की भर्ती पर सवाल उठाए गए हैं। बेरोजगार शास्त्री संघ के प्रधान ने ये शिकायत प्रारंभिक शिक्षा निदेशक से की है। संघ के प्रधान रोशन लाल ने आरोप लगाए हैं कि वर्ष 2005-06 में जो शास्त्री, प्रदेश के स्कूलों में पीटीए के तहत लगाए गए हैं, उसमें धांधली हुई है।
प्रधान का आरोप है कि नियम के तहत जिस अभ्यर्थी ने शास्त्री पास की होती है। उसे ही पीटीए के तहत लगाया जाता है लेकिन जिनकी भर्तियां हुई हैं, ये लोग मात्र संस्कृत में ग्रेज्युएट हैं।
प्रधान का कहना है कि भर्ती में धांधली का आरोप उन्होंने आरटीआई की रिपोर्ट मेंं हुए खुलासे के बाद लगाया है। मंडी, सिरमौर और कांगड़ा से पांच ऐसे अभ्यर्थियों के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मिली है, जिन्हें लाभ देने के चक्कर में नियमों को तोड़ा गया है। बाकी जिलों की आरटीआई की रिपोर्ट आने वाली है।
रोशन लाल का कहना है कि आरएंडपी रूल्स के मुताबित ऐसी भर्तियां नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि शास्त्री डिग्री के लिए 4 विषय संस्कृत के पढऩे पड़ते हैं। साथ ही दो विषय अतिरिक्त वैकल्पिक विषय भी रहते हैं। जबकि बीए में साधारण संस्कृत सहित 4 विषय ही पढऩे पड़ते थे। बीए संस्कृत को शास्त्री के पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन फिर भी पीटीए में न केवल ऐसे अभ्यर्थी शास्त्री पद पर लगे हैं, बल्कि इन्हें अब तक हटाया नहीं गया है।
वर्ष 2005-06 में पीटीए के तहत स्कूलों में हुई शास्त्री शिक्षकों की भर्ती पर सवाल उठाए गए हैं। बेरोजगार शास्त्री संघ के प्रधान ने ये शिकायत प्रारंभिक शिक्षा निदेशक से की है। संघ के प्रधान रोशन लाल ने आरोप लगाए हैं कि वर्ष 2005-06 में जो शास्त्री, प्रदेश के स्कूलों में पीटीए के तहत लगाए गए हैं, उसमें धांधली हुई है।
प्रधान का आरोप है कि नियम के तहत जिस अभ्यर्थी ने शास्त्री पास की होती है। उसे ही पीटीए के तहत लगाया जाता है लेकिन जिनकी भर्तियां हुई हैं, ये लोग मात्र संस्कृत में ग्रेज्युएट हैं।
प्रधान का कहना है कि भर्ती में धांधली का आरोप उन्होंने आरटीआई की रिपोर्ट मेंं हुए खुलासे के बाद लगाया है। मंडी, सिरमौर और कांगड़ा से पांच ऐसे अभ्यर्थियों के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मिली है, जिन्हें लाभ देने के चक्कर में नियमों को तोड़ा गया है। बाकी जिलों की आरटीआई की रिपोर्ट आने वाली है।
रोशन लाल का कहना है कि आरएंडपी रूल्स के मुताबित ऐसी भर्तियां नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि शास्त्री डिग्री के लिए 4 विषय संस्कृत के पढऩे पड़ते हैं। साथ ही दो विषय अतिरिक्त वैकल्पिक विषय भी रहते हैं। जबकि बीए में साधारण संस्कृत सहित 4 विषय ही पढऩे पड़ते थे। बीए संस्कृत को शास्त्री के पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन फिर भी पीटीए में न केवल ऐसे अभ्यर्थी शास्त्री पद पर लगे हैं, बल्कि इन्हें अब तक हटाया नहीं गया है।