राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रस्तावित तबादला नीति को लेकर प्रदेश के शिक्षक
सरकार से खफा हैं। शिक्षक महासंघ ने इस मसले पर विभाग की कार्यप्रणाली पर
ही सवाल उठाए हैं। आरोप है कि शिक्षा महकमे ने नीति बनाने से पहले गहन
अध्ययन नहीं किया।
महासंघ से जुडे़ 22 संगठनों से जुड़े करीब 40 हजार शिक्षक नीति के विरोध में खड़े हो गए हैं। तीन दिन पहले शिक्षा निदेशालय में कई संगठनों के साथ हुई बैठक में भी संगठनों के पदाधिकारियों ने तीखे तेवर दिखाए थे। अब महासंघ स्कूलों में शिक्षकों के बीस इस मुद्दे पर चर्चा करवाएगा। इसके जरिये शिक्षक वर्ग के बीच सरकार के खिलाफ माहौल पैदा किया जाएगा। इसके प्रदेशाध्यक्ष डॉ. प्रेम शर्मा, महासचिव लायक राम शर्मा, पवन मिश्रा, कार्यलय सचिव महेंद्र चौहान, वित्त सचिव संजय कुमार, जिला शिमला के प्रधान सुरेश ठाकुर ने कहा कि तबादला नीति सभी कर्मचारियों के लिए बननी चाहिए। केवल शिक्षकों को लिए ही ऐसी नीति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि 1977-78 में गठित नारायण स्वामी कमेटी की सिफारिशों को भी ध्यान में रखा जाए। उस कमेटी के कई बिंदुओं का फिर से अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विभाग ने खुद इस बारे में अध्ययन नहीं किया है। नीति में प्रस्तावित ए से लेकर ई तक के क्षेत्र भ्रमित करने वाले हैं। इसे लेकर हरियाणा, उत्तराखंड और महाराष्ट्र का अनुसरण नहीं किया जाना चाहिए। वहां की व्यवस्थाएं विकट भौगोलिक हालातों वाले हिमाचल प्रदेश में नहीं थोपा जाना चाहिए। पदाधिकारियों ने कहा कि वह प्रस्तावित नीति को शिक्षकों के बीच ले जाएंगे। उन्होंने दावा जताया कि महासंघ से 22 संगठन जुड़े हैं और इसके माध्यम से करीब 40 हजार शिक्षकों की सदस्यता की गई है।
महासंघ से जुडे़ 22 संगठनों से जुड़े करीब 40 हजार शिक्षक नीति के विरोध में खड़े हो गए हैं। तीन दिन पहले शिक्षा निदेशालय में कई संगठनों के साथ हुई बैठक में भी संगठनों के पदाधिकारियों ने तीखे तेवर दिखाए थे। अब महासंघ स्कूलों में शिक्षकों के बीस इस मुद्दे पर चर्चा करवाएगा। इसके जरिये शिक्षक वर्ग के बीच सरकार के खिलाफ माहौल पैदा किया जाएगा। इसके प्रदेशाध्यक्ष डॉ. प्रेम शर्मा, महासचिव लायक राम शर्मा, पवन मिश्रा, कार्यलय सचिव महेंद्र चौहान, वित्त सचिव संजय कुमार, जिला शिमला के प्रधान सुरेश ठाकुर ने कहा कि तबादला नीति सभी कर्मचारियों के लिए बननी चाहिए। केवल शिक्षकों को लिए ही ऐसी नीति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि 1977-78 में गठित नारायण स्वामी कमेटी की सिफारिशों को भी ध्यान में रखा जाए। उस कमेटी के कई बिंदुओं का फिर से अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विभाग ने खुद इस बारे में अध्ययन नहीं किया है। नीति में प्रस्तावित ए से लेकर ई तक के क्षेत्र भ्रमित करने वाले हैं। इसे लेकर हरियाणा, उत्तराखंड और महाराष्ट्र का अनुसरण नहीं किया जाना चाहिए। वहां की व्यवस्थाएं विकट भौगोलिक हालातों वाले हिमाचल प्रदेश में नहीं थोपा जाना चाहिए। पदाधिकारियों ने कहा कि वह प्रस्तावित नीति को शिक्षकों के बीच ले जाएंगे। उन्होंने दावा जताया कि महासंघ से 22 संगठन जुड़े हैं और इसके माध्यम से करीब 40 हजार शिक्षकों की सदस्यता की गई है।