शिमला सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद भरने
के लिए चल रहे केस में अब जेबीटी की बैचवाइज भर्ती फंस गई है। करीब 750
पदों के लिए जारी इस भर्ती में जम्मू-कश्मीर से ईटीटी यानी एलीमेंटरी टीचर
ट्रेनिंग करने वाले भी पात्र माने गए थे। वीरवार को हुई केस की सुनवाई के
दौरान हाईकोर्ट में हिमाचल से जेबीटी करने वाले अभ्यर्थी बतौर इंटरवीनर पेश
हुए और ईटीटी की भर्ती का विरोध किया।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि जेबीटी पदों के खिलाफ
जम्मू-कश्मीर से ईटीटी का कोर्स करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति न्यायालय
द्वारा पारित किए जाने वाले आदेशों पर निर्भर करेगी। मामले पर सुनवाई 29
अगस्त को होगी।
इधर लगभग सभी जिलों में ये भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई है और प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने कुछ तकनीकी पहलुओं पर क्लेरिफिकेशन के लिए इस भर्ती के रिजल्ट को होल्ड किया था। लेकिन अब ये केस भी कोर्ट में उलझ गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किये।
राज्य सरकार ने हालांकि 9 जुलाई को 1331 और 1036 शिक्षकों के पदों को भरने के लिए कदम उठाए हैं, जबकि उनके मुताबिक 14354 पद अभी तक रिक्त पड़े हैं। कोर्ट मित्र ने न्यायालय को यह भी बताया था कि प्रधान सचिव न्यायालय को रिक्त पदों के बारे में स्पष्ट ब्यौरा देने में नाकाम रहे हैं। उनके अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से जो कदम उठाए गए हैं, वह पर्याप्त नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप उठाए गए कदम नाकाफी हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव शिक्षा को शपथ पत्र के माध्यम से रिक्त पदों का स्पष्ट ब्यौरा देने को कहा था। इसके अलावा प्रदेश उच्च न्यायालय ने कोर्ट मित्र द्वारा न्यायालय के समक्ष रखी दलीलों और कोर्ट में दायर नोट के दृष्टिगत शिक्षा सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने के लिए 1 अगस्त तक का समय दिया था। शिक्षा सचिव ने इस बाबत अतिरिक्त समय देने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दाखिल किया है। जिस पर उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।
इधर लगभग सभी जिलों में ये भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई है और प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने कुछ तकनीकी पहलुओं पर क्लेरिफिकेशन के लिए इस भर्ती के रिजल्ट को होल्ड किया था। लेकिन अब ये केस भी कोर्ट में उलझ गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किये।
स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों की तैनाती विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से होगी
पिछली सुनवाई के दौरान प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया था कि प्रधान सचिव शिक्षा द्वारा दायर किया शपथ पत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के मुताबिक नहीं है। विशेषतया जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों की तैनाती विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से होगी।राज्य सरकार ने हालांकि 9 जुलाई को 1331 और 1036 शिक्षकों के पदों को भरने के लिए कदम उठाए हैं, जबकि उनके मुताबिक 14354 पद अभी तक रिक्त पड़े हैं। कोर्ट मित्र ने न्यायालय को यह भी बताया था कि प्रधान सचिव न्यायालय को रिक्त पदों के बारे में स्पष्ट ब्यौरा देने में नाकाम रहे हैं। उनके अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से जो कदम उठाए गए हैं, वह पर्याप्त नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप उठाए गए कदम नाकाफी हैं।
आयोग बताए, भर्ती में कितना समय लगेगा?
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के मामले में हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष को व्यक्तिगत शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा कि शिक्षकों के पदों को भरने हेतु कितने दिनों में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। न्यायालय ने एक सप्ताह में शपथ पत्र दाखिल करने को कहा। आयोग ने बताया कि भाषा अध्यापक के 122, ड्राइंग मास्टर के 77 और शास्त्री के 234 पदों को भरने के लिए सिफारिश भेज दी गई है। उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह इस बावत जल्द प्रक्रिया पूरी करें।शिक्षा सचिव से अब दो हफ्ते में मांगा ब्यौरा
पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव शिक्षा को शपथ पत्र के माध्यम से रिक्त पदों का स्पष्ट ब्यौरा देने को कहा था। इसके अलावा प्रदेश उच्च न्यायालय ने कोर्ट मित्र द्वारा न्यायालय के समक्ष रखी दलीलों और कोर्ट में दायर नोट के दृष्टिगत शिक्षा सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने के लिए 1 अगस्त तक का समय दिया था। शिक्षा सचिव ने इस बाबत अतिरिक्त समय देने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दाखिल किया है। जिस पर उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।