एक तरफ सरकार प्राथमिक स्कूलों में नई से नई योजनाओं को सफल बनाकर
शिक्षा का स्तर उठाने के लिए नीतियां बना रही है दूसरी ओर सरकारी स्कूलों
में शिक्षकों के खाली पदों को भरने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सरकार स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे बिना ही मात्र योजनाओं के दम पर ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना चाह रही है। अगर स्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए गुरुजी ही नहीं होंगे तो सरकार कैसे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की दशा सुधार पाएगी।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले के 499 प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 68 पद खाली चल रहे हैं। जिला में 56 स्कूल ऐसे हैं जो एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं तो वहीं, 17 स्कूलों में जेबीटी शिक्षकों के पद खाली पड़े है और 20 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमें स्कूल हेड टीचर ही नहीं है।
गौरतलब है कि जिले तीन प्राथमिक स्कूल सनोह, डीहर व झोड़ोवाल में साढ़े तीन वर्ष से कोई भी शिक्षक नहीं है। हैरानी है कि जिले में एक शिक्षकों पर दो-दो स्कूलों की भी जिम्मेदारी डाली गई है।
लेकिन सरकार की ओर से शिक्षकों की भर्ती पर जोर कम और नई से नई योजनाओं को शुरू करने के लिए ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
सरकार स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे बिना ही मात्र योजनाओं के दम पर ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना चाह रही है। अगर स्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए गुरुजी ही नहीं होंगे तो सरकार कैसे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की दशा सुधार पाएगी।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले के 499 प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 68 पद खाली चल रहे हैं। जिला में 56 स्कूल ऐसे हैं जो एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं तो वहीं, 17 स्कूलों में जेबीटी शिक्षकों के पद खाली पड़े है और 20 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमें स्कूल हेड टीचर ही नहीं है।
गौरतलब है कि जिले तीन प्राथमिक स्कूल सनोह, डीहर व झोड़ोवाल में साढ़े तीन वर्ष से कोई भी शिक्षक नहीं है। हैरानी है कि जिले में एक शिक्षकों पर दो-दो स्कूलों की भी जिम्मेदारी डाली गई है।
लेकिन सरकार की ओर से शिक्षकों की भर्ती पर जोर कम और नई से नई योजनाओं को शुरू करने के लिए ज्यादा जोर दिया जा रहा है।