शिमला. हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों की ट्रांसफर
(Teacher’s Transfer in Himachal) को लेकर दो साल से बन रही ट्रांसफर
पॉलिसी (Transfer Policy) अब जाकर अंजाम तक पहुंची है. सूत्रों से मिली
जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग (Education Department) ने पॉलिसी तैयार
कर ली है. अब आगामी कैबिनेट बैठक में इसे ले जाया जा सकता है. हालांकि,
अगली बैठक 17 फरवरी को होनी है और उससे पहले शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज
(Education Minister Suresh Bhardwaj) भी पॉलिसी का अध्ययन कर सकते हैं.
ऐसे में इस बैठक में पॉलिसी नहीं लाई गई तो बजट सत्र के दौरान होने वाली
कैबिनेट बैठक में पॉलिसी का लाया जाना तय है.
पैरामीटर तय होते ही अधिसूचना
राज्य सचिवालय में भी पॉलिसी को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. कैबिनेट बैठक में पॉलिसी ले जाने का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की ट्रांसफर को लेकर पैरामीटर तय करना है. पैरामीटर तय होते ही पॉलिसी को अधिसूचित किया जाना है.
एनआईसी ट्रांसफर साफ्टवेयर तैयार
फिलहाल, एनआईसी ट्रांसफर साफ्टवेयर तैयार कर रही है. इसमें शिक्षकों का डाटा भी अपलोड होगा. ट्रांसफर के लिए शिक्षकों का डाटा पीएमआईएस से लिया गया है, जहां शिक्षकों की सैलरी का रिकार्ड रहता है. हिमाचल में स्थाई-अस्थाई शिक्षकों की संख्या करीब 1 लाख है. हालांकि, ट्रांसफर पॉलिसी के दायरे में केवल रेगुलर शिक्षक ही आएंगे. पीटीए, पैरा और अनुबंध शिक्षक इससे बाहर रहेंगे. क्योंकि ट्रांसफर के लिए न्यूनतम 3 साल एक ही स्थान पर सेवा का नियम हैं. अनुबंध शिक्षक तीन साल तक ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं.
शिक्षा विभाग में सबसे अधिक तबादलेबहरहाल, ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर शिक्षक कितना संतुष्ट होते हैं. यह भी देखने वाली बात होगी. लेकिन हिमाचल में शिक्षा विभाग केवल ट्रांसफर करने वाला विभाग बनकर रह गया है. शिक्षक भी पढ़ाना छोड़ अपनी ट्रांसफर और घर के नजदीक एडजेस्टमेंट में लगे रहते हैं. गौरतलब है कि हरियाणा में भी शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी है जहां एक क्लिक पर ट्रांसफर होती है, लेकिन हिमाचल सरकार ने इस पॉलिसी को अपना आधार इसलिए नहीं बनायास, क्योंकि हरियाणा और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं.
शिक्षकों की रिटायरमेंट की डेट भी होगी फिक्स
हिमाचल में वैसे तो शिक्षकों की ट्रांसफर साल में एक बार ही होती है. 31 मार्च निर्धारित है, जिस दिन शिक्षक रिटायर होंगे. इसके नियम भी ट्रांसफर पॉलिसी में निर्धारित किए जाएंगे. 31 मार्च से पहले 58 साल पूरा करने वाले शिक्षकों को भी 31 मार्च को ही रिटायर किया जाता है और उसके बाद 58 साल पूरा करने वाले शिक्षकों को सेवा विस्तार देते हुए अगले 31 मार्च को रिटायर किया जाता है, लेकिन इस दौरान शिक्षक प्रोमोशन के लायक हो जाते हैं और फिर प्रोमोशन का पेच फंस जाता है. सूत्रों के मुताबिक, एक्सटेंशन पीरियड को भी प्रोमोशन में कंसीडर न करने का फैसला भी सरकार ले सकी है.
पैरामीटर तय होते ही अधिसूचना
राज्य सचिवालय में भी पॉलिसी को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. कैबिनेट बैठक में पॉलिसी ले जाने का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की ट्रांसफर को लेकर पैरामीटर तय करना है. पैरामीटर तय होते ही पॉलिसी को अधिसूचित किया जाना है.
एनआईसी ट्रांसफर साफ्टवेयर तैयार
फिलहाल, एनआईसी ट्रांसफर साफ्टवेयर तैयार कर रही है. इसमें शिक्षकों का डाटा भी अपलोड होगा. ट्रांसफर के लिए शिक्षकों का डाटा पीएमआईएस से लिया गया है, जहां शिक्षकों की सैलरी का रिकार्ड रहता है. हिमाचल में स्थाई-अस्थाई शिक्षकों की संख्या करीब 1 लाख है. हालांकि, ट्रांसफर पॉलिसी के दायरे में केवल रेगुलर शिक्षक ही आएंगे. पीटीए, पैरा और अनुबंध शिक्षक इससे बाहर रहेंगे. क्योंकि ट्रांसफर के लिए न्यूनतम 3 साल एक ही स्थान पर सेवा का नियम हैं. अनुबंध शिक्षक तीन साल तक ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं.
शिक्षा विभाग में सबसे अधिक तबादलेबहरहाल, ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर शिक्षक कितना संतुष्ट होते हैं. यह भी देखने वाली बात होगी. लेकिन हिमाचल में शिक्षा विभाग केवल ट्रांसफर करने वाला विभाग बनकर रह गया है. शिक्षक भी पढ़ाना छोड़ अपनी ट्रांसफर और घर के नजदीक एडजेस्टमेंट में लगे रहते हैं. गौरतलब है कि हरियाणा में भी शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी है जहां एक क्लिक पर ट्रांसफर होती है, लेकिन हिमाचल सरकार ने इस पॉलिसी को अपना आधार इसलिए नहीं बनायास, क्योंकि हरियाणा और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं.
शिक्षकों की रिटायरमेंट की डेट भी होगी फिक्स
हिमाचल में वैसे तो शिक्षकों की ट्रांसफर साल में एक बार ही होती है. 31 मार्च निर्धारित है, जिस दिन शिक्षक रिटायर होंगे. इसके नियम भी ट्रांसफर पॉलिसी में निर्धारित किए जाएंगे. 31 मार्च से पहले 58 साल पूरा करने वाले शिक्षकों को भी 31 मार्च को ही रिटायर किया जाता है और उसके बाद 58 साल पूरा करने वाले शिक्षकों को सेवा विस्तार देते हुए अगले 31 मार्च को रिटायर किया जाता है, लेकिन इस दौरान शिक्षक प्रोमोशन के लायक हो जाते हैं और फिर प्रोमोशन का पेच फंस जाता है. सूत्रों के मुताबिक, एक्सटेंशन पीरियड को भी प्रोमोशन में कंसीडर न करने का फैसला भी सरकार ले सकी है.