जेएनएन, जालंधर। पलों की चादर में लिपटकर, ये साल भी गुजर गया, लम्हा भी तज़ुर्बा लिए, वक्त के पन्नों में जम गया।।
यह साल लम्हा-लम्हा तजुर्बे समेटने वाला रहा। लोगों ने अपने जीवन में ऐसी महामारी देखी, जिसने जीने और सोचने का नजरिया बदल दिया। कोरोना के कारण इस वर्ष को सभी ने बहुत कोसा। यहां तक कहा जाने लगा कि इसे कैलेंडर से ही हटा देना चाहिए। लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी। सारा साल उथल-पुथल मची रही, लेकिन इन सारी परेशानियों के बावजूद कुछ ऐसे प्रयास हुए जो इस साल को बेहतर बनाने में कामयाब हुए।
यह समय ऐसे प्रयासों का शुक्रिया अदा करने का है। आभार जताने का है। इस साल ने हमें अपनी क्षमता परखने का मौका दिया। कई सबक सिखाए और चुनौतियों से लड़ना भी सिखाया। बहुत कुछ ऐसा भी सिखा दिया जिसे आपदा में अवसर या उपलब्धि के तौर पर गिना जा सकता है। हर क्षेत्र में कुछ न कुछ नवाचार हुआ। एक नजर ऐसे प्रयासों व अवसरों पर जिनकी बदौलत यह साल मुश्किलों में भी मुस्कुराने की वजहें दे गया..
कृषि किसान की चिंता
कृषि कानूनों के कारण भले ही किसान विरोध में डटे हुए हैं, लेकिन खेती को बेहतर बनाने के लिए नए-नए शोध होते रहे। कोरोना काल में वैज्ञानिकों ने अपना काम जारी रखा। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना के वीसी डा. बलदेव सिंह ढिल्लों के अनुसार इस साल अनाज व सब्जियों की कई किस्में तैयार की गईं। इनमें धान की पीआर 128 व 129, मक्की की जेसी 12, बाजरा की पीसीबी 165, सरसों की पीजीएसएच 1707, ओट्स की ओएल 13 व ओएल 14 किस्में जारी की गईं। बैंगन की पीबीएल 234, चैरी टमाटर की पंजाब सोना, कद्दू की पीपी 225 किस्म तैयार की गई। चारे में पंजाब राईग्रास टू भी तैयार की गई। पीएयू ने फूड टेस्टिंग किट, कद्दू के बीज का आटा व मच्छर दूर भगाने वाला कपड़ा भी तैयार किया।
800 से ज्यादा यूट्यूब चैनलों ने संभाली शिक्षा की बागडोर
आनलाइन शिक्षा के रूप में शिक्षकों व विद्यार्थियों को नया अनुभव मिला। इस क्षेत्र में भी नए-नए प्रयोग हुए। अभिभावकों, शिक्षकों व विद्यार्थियों ने करीब 800 यूट्यूब चैनल शुरू किए। जालंधर के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल लद्देवाली में तैनात शिक्षक धर्मपाल सिंह का यूट्यूब चैनल ‘मैथेमेटिक्स लवर्स’ काफी कारगर साबित हुआ। वहीं गुरदासपुर के धर्मकोट बंगा के गणित शिक्षक बलजीत सिंह का चैनल ‘सरकारी मैथ मास्टर बलजीत सिंह’ भी डीडी पंजाबी के जरिए लाखों विद्यार्थियों तक पहुंचा। लुधियाना के बीसीएस स्कूल की डांस टीचर ने भी यूट्यूब चैनल से विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया। वहीं, आइपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह भी शिक्षक के रूप में नजर आए। जालंधर के एपीजे कालेज की लेक्चरर अनु साही के यूट्यूब चैनल से दो हजार से अधिक विद्यार्थी जुड़े। जालंधर की ही किरणदीप ने अंग्रेजी विषय के 500 से ज्यादा वीडियो रिकाíडड लेक्चर तैयार किए।
करीब आए परिवार
लाकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, तो लोगों ने ज्यादा से ज्यादा समय घरों में बिताया। इसका फायदा यह हुआ कि परिवारों के सदस्यों को आपसी संवाद का खूब मौका मिला। पंजाबी अभिनेता जस्सी गिल समेत कई हस्तियों ने परिवार के साथ अपनी फोटो इंटरनेट मीडिया पर शेयर की। सरकारी नौकरी करने वाली लुधियाना की श्वेता शर्मा के अनुसार उन्होंने इस समय का इस्तेमाल बच्चों के लिए किया। जालंधर के इलेक्ट्रानिक कारोबारी विपिन चड्ढा के अनुसार परिवार के साथ समय बिताकर यूं लगा जैसे कोई खोई हुई चीज मिल गई। चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गल्र्स में समाजशास्त्र विभाग के हेड डॉ. रंजय वर्धन ने ऑनलाइन सर्वे किया। इसके अनुसार इस मुश्किल घड़ी में परिवारों में एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का मौका मिला।
कोई खोई चीज मिल गई
कोरोना काल ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति बेहद सजग कर दिया। लोग उपचार के पुराने तरीकों की ओर लौटे। आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा बढ़ा। खान-पान के तरीकों में बहुत बदलाव आया। फिटनेस के लिए लोगों ने योग को अपनाया। आनलाइन योग क्लासिज का चलन बढ़ा। पैट्रन फिजीशियन फोरम, जालंधर के डा. विजय महाजन के अनुसार फिटनेस के प्रति लोगों की सजगता से दिल, शुगर व बीपी की बीमारियों के मरीजों की संख्या में दस फीसद तक की गिरावट आई। डॉक्टरों ने भी खुद को अपडेट किया। जो सुविधाएं 20 साल से नहीं थीं, वो भी शुरू हो गईं। कोरोना ने स्वास्थ्य सेवाओं को पांच साल आगे पहुंचा दिया है। मेडिकल साइंस के लिए यह वर्ष आपदा को अवसर में बदलने वाला रहा और हम इसमें काफी कामयाब भी रहे।
कोरोना को हराने में दिन-रात जुटे रहे हमारे वैज्ञानिक
इस मुश्किल दौर में जब हर कोई संक्रमण से बचने में लगा रहा, तो हमारे वैज्ञानिक हमारी जिंदगी को सुरक्षित बनाने में जुटे थे। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एनआइटी) जालंधर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. जतिंदर कुमार रत्न ने खास किस्म का एयर प्यूरीफायर तैयार किया। यह प्यूरीफायर कोरोना संक्रमण को कम करने में मददगार है।
टेक्सटाइल टेक्नोलाजी एंड रिसर्च विभाग के प्रो. विनय मिड्डा ने ईजी ब्रीथ फेस मास्क व बायो टेक्नोलाजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. महेश झा ने फुल बाडी पीपीई किट बनाई। वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी रोपड़ में विकसित डोफिंग यूनिट के माडल ने बड़ी राहत पहुंचाई। यहां डाक्टर पीपीई किट पहन व उतार या सैनिटाइज कर सकते हैं। यहां बने दस अन्य उपकरण कोरोना से लड़ने में कारगर हुए। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हरउपजीत सिंह ने पानी में जहरीले तत्वों का पता लगाने वाला पोर्टेबल यंत्र तैयार किया।
स्वाद और सेहत..
इस वर्ष किसी चीज को लेकर यदि सबसे अधिक सतर्कता बरती गई, तो वह है खान-पान। होटल-रेस्टोरेंट बंद हुए तो रसोई ही प्रयोगशाला बन गई। महिलाओं के साथ घर के पुरुषों व बच्चों ने भी किचन में हाथ आजमाया। दिलजीत दोसांझ जैसी कई बड़ी हस्तियों ने तरह-तरह के पकवान बनाकर इंटरनेट मीडिया पर शेयर किए। कुछ महिलाओं ने तो यूट्यूब चैनल शुरू कर कुकरी क्लासिज शुरू कर दीं और कमाई का रास्ता ढूंढ़ लिया। इन यूट्यूब चैनलों ने कई महिलाओं को घर बैठे पाक कला में निपुण बना दिया। किचन के मेन्यू में इम्युनिटी बढ़ाने वाले व्यंजन शामिल हुए। हाईजीन का खास ख्याल रखा जाने लगा। अमृतसर में गोलगप्पे और गन्ने की रेहड़ी का कारोबार करने वाले युवाओं ने आधुनिक मशीनें खरीदीं, जिनसे बिना हाथ लगाए सर्विस संभव हो पाई।
जब आंखों पर नहीं हुआ ऐतबार, जालंधर से दिखा धौलाधार
इस साल का एक नजारा शायद ही जालंधरवासी कभी भूल पाएंगे। इसकी चर्चा जालंधर से कनाडा तक रही। चार अप्रैल की सुबह लोगों को कुछ पल के लिए अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, जब उन्हें 125 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश की धौलाधार रेंज का दीदार हुआ। लोग इस यादगार पल को कैमरों में कैद करने लगे। इमारतों की छत पर चढ़ कर लोग इस दुर्लभ नजारे को निहारते रहे। ऐसा संभव हो पाया साफ पर्यावरण से।
लाकडाउन के कारण गाड़ियां और फैक्टियां बंद थीं। इस अवधि में प्रदूषण न के बराबर रहा। एक्यूआइ लेवल 34 तक पहुंच गया। दोआबा कॉलेज में भूगोलशास्त्र के विभाग प्रमुख प्रो. दलजीत सिंह ने बताया कि वायुमंडल में धूलकणों की मात्र न के बराबर होने के कारण इतनी दूर से भी पहाड़ साफ दिख सके। कुछ बुजुर्गो ने बताया कि 35-40 साल पहले ऐसा नजारा दिखता था। उद्योगों से प्रदूषित पानी न छोड़े जाने के कारण नदियों व दरियाओं का पानी भी निर्मल हो गया।
आनलाइन शापिंग का चलन
आनलाइन शापिंग के चलन में कोरोना काल ने असीम संभावनाएं पैदा कर दीं। चाय की दुकान से लेकर बड़े उद्योगों तक आनलाइन बिजनेस का असर दिखा। सारा बाजार जैसे मोबाइल पर सिमट गया। घर से शा¨पग बढ़ी तो व्यापारियों, उद्योगपतियों ने अलग से डिजिटल प्लेटफार्म तैयार कर कारोबार को आगे बढ़ाया। एसोचैम के एक आंकड़े के अनुसार पंजाब में कोरोना काल में 2700 करोड़ का कारोबार हुआ। कुछ संस्थाओं का दावा है कि यह आंकड़ा इससे ज्यादा है। सिर्फ लुधियाना में ही 1200 करोड़ से अधिक का कारोबार हो चुका है। रेडीमेड गारमेंट्स व हौजरी कंपनियों ने लगभग 600 करोड़ व साइकिल इंडस्ट्री में 200 करोड़ के कारोबार का अनुमान है। फूड प्रोसेसिंग में भी रिटेल किराना व होलसेल बाजार ने 650 करोड़ रुपये का कारोबार किया है।
आल इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम केे अध्यक्ष बदीश जिंदल का कहना है कि डिजिटल का बाजार तेजी से अग्रसर हो रहा है, लेकिन इसके लिए सभी को तेजी से कई बदलाव करने होंगे। ट्रेनिंग व डिजिटल मार्केटिंग के साथ-साथ बेहतर डिस्पले एक अहम पहलू है। डिजिटल प्लेटफार्म में कोविड के बाद तत्परता बढ़ी है, जो ग्लोबल व्यापार के लिए एक अच्छा कदम है। जो कारोबारी डिजिटल प्लेटफार्म से दूर रहते उन्होंने भी इस दौरान इसका भरपूर इस्तेमाल किया। इसमें असीमित संभावना छिपी है।
उद्योगों ने हार नहीं मानी
कोरोना काल में लाकडाउन के कारण औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया, लेकिन उद्योगपतियों ने हार नहीं मानी। हौजरी इंडस्ट्री ने आपदा के बीच हेल्थ सेक्टर में अवसर ढूंढ़ लिया। लुधियाना की शाल निर्माता कंपनी शिंगोरा ने पीपीई किट बनाने की शुरुआत की। इसे टेक्सटाइल मंत्रलय से मंजूरी मिलते ही देशभर से मांग आने लगी। कई और कंपनियां भी पीपीई किटें बनाने में जुट गईं। लुधियाना के मोचपुरा की लघु इकाइयों से लेकर ट्राइडेंट जैसे बड़े ग्रुप भी इसमें कूद गए। हौजरी इंडस्ट्री को देश-विदेश से 50 लाख से ज्यादा पीपीई किटों के आर्डर मिले। लीक से हटकर काम में जुटी इंडस्ट्री देश-विदेश की मांग पूरी कर रही है। कई छोटी-बड़ी इकाइयों ने मास्क व सैनिटाइजर बनाने शुरू किए और संकट की घड़ी में भी कारोबार को डूबने नहीं दिया।
शिंगोरा शाल की एमडी मृदुला जैन का कहना है कि इंडस्ट्री को पीपीई किट उत्पादन में अग्रणी बनाने में प्रदेश सरकार की भूमिका अहम रही। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक महेश खन्ना ने शुरुआत की और मुख्य सचिव की मदद से इसे मंजूरी मिली। हमने इस नई संभावना को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक नई सीख मिली कि पारंपरिक कारोबार से हटकर कुछ किया जाए, तो नतीजे कई गुना बेहतर रहते हैं। इस कदम ने आने वाले समय में हमें और इनोवेशन के लिए प्रेरित किया है।