- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: छात्र बढ़े, पर शिक्षक नहीं, अध्यापकों की कमी के चलते सैकड़ों विद्यालय बंद होने की कगार पर छात्र बढ़े, पर शिक्षक नहीं, अध्यापकों की कमी के चलते सैकड़ों विद्यालय बंद होने की कगार पर

छात्र बढ़े, पर शिक्षक नहीं, अध्यापकों की कमी के चलते सैकड़ों विद्यालय बंद होने की कगार पर

 राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली होने से सरकारी स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक हिमाचल के 15398 सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 69268

शिक्षक हैं जो वर्ष 2019-20 में आठ लाख 25 हजार 368 बच्चों को पढ़ा रहे थे। मगर सत्र 2020-21 में सात लाख 93 हजार 358 बच्चे ही सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए जबकि निजी स्कूलों का नामांकन पांच लाख 39 हजार 957 हो गया। कोविड के कारण निजी स्कूल छोड़कर आए करीब 25 हजार विद्यार्थी और पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए नामांकन में जुड़े 28 हजार विद्यार्थी मिला लें तो सत्र 2019-20 में सरकारी स्कूलों का सकल नामांकन आठ लाख 51 हजार 783 के समीप हो जाता है।

अगर सरकारी स्कूलों का सकल नामांकन देखें तो वर्ष 2003 में कुल दस लाख 86 हजार 819 में से नौ लाख 71 हजार 323 विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे। वर्ष 2013 में कुल 14 लाख 95 हजार 396 में से सरकारी स्कूलों में दस लाख 49 हजार 816 विद्यार्थी पढ़ते थे और निजी स्कूलों में नामांकन चार लाख 45 हजार 580 हो गया जो कि वर्ष 2008 में दो लाख 44 हजार 620 और वर्ष 2003 में मात्र एक लाख 15 हजार 496 था । वर्ष 2016 में कुल 14 लाख सात हजार 49 विद्यार्थियों में से आठ लाख 90 हजार 137 ही सरकारी स्कूलों में दाखिल रहे और भारी पलायन निजी स्कूलों की ओर होने से प्राइवेट स्कूलों का नामांकन पांच लाख 16 हजार 912 हो गया । इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शिक्षक संघों ने भी सरकार से बच्चों के पलायन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है।

इस साल इतने छात्र हुए हैं एनरोल

कक्षा जमा दो में 81678, जमा एक में 74362, 10वीं में 85777, नौवीं में 66977, आठवीं में 67286, सातवीं में 67527, छठीं में 66188, पांचवीं में 61794, कक्षा चार में 58500, कक्षा तीन में 59065, कक्षा दो में 56416 और प्रथम कक्षा में 47788 विद्यार्थी दाखिल हैं । इससे साफ पता चल रहा है कि पहली कक्षा में 12 साल पहले नामांकन 81 हजार से अधिक था जो कि अब करीब 48 हजार तक सीमित है । इस तरह अनेक स्कूल बंद हो गए और सैकड़ों बंद होने के कगार पर हैं ।

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