- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: शिक्षकों ने परोल स्कूल को बनाया स्मार्ट, दोगुने कर दिए विद्यार्थी शिक्षकों ने परोल स्कूल को बनाया स्मार्ट, दोगुने कर दिए विद्यार्थी

शिक्षकों ने परोल स्कूल को बनाया स्मार्ट, दोगुने कर दिए विद्यार्थी

 हमीरपुर। निजी स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के कारण प्राथमिक पाठशाला परोल दूसरों के लिए मिसाल बन गई है। स्कूल के केंद्रीय मुख्य शिक्षक किशोरी लाल और शिक्षकों की मेहनत से बच्चों की संख्या 74 से बढ़ाकर 185 हो गई है।

यही नहीं स्कूल में निजी स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए गाड़ी की भी सुविधा है। शिक्षक स्कूल में करवाए उत्थान कार्य और सुविधाओं के पंफ्लेट्स अभिभावकों को बांटकर बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कई अभिभावकों ने स्कूल में सुविधाओं को देखते हुए अपने बच्चों को निजी से हटाकर परोल स्कूल में दाखिल करवाया है।

स्कूल में पांच कच्चे कमर थे। इसको लेकर स्कूल के सीएचटी रहे किशोरी लाल ने सरकार से पत्राचार किया। इसके बाद जन सहयोग से आठ नए कमरों का निर्माण करवाया। यही नहीं स्कूल में दो स्मार्ट कक्ष बनाए गए हैं। यहां बच्चों को एलईडी और इंटरनेट की अच्छी स्पीड के साथ कनेक्टिविटी की सुविधा दी गई है। स्कूल परिसर में एक लाख रुपये से बैडमिंटन कोर्ट बनवाया गया है। स्कूल की प्रार्थना सभा और अन्य कार्यक्रमों के लिए भव्य मंच बनवाया गया है। इसके साथ ही स्कूल परिसर में टाइलें, एल्युमिनियम की रेलिंग लगवाकर इसे सुंदर बनाया गया है।
किशोरी लाल ने अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर स्कूल के चार किलोमीटर क्षेत्र में पंफ्लेट्स बांटकर स्कूल में मिल रही आधुनिक सुविधाओं के बारे में अभिभावकों को जागरूक किया। यही कारण है कि बच्चों की संख्या दोगुनी हुई है। शिक्षक की मेहनत की क्षेत्रवासी मिसाल दे रहे हैं। अब किशोरी लाल पदोन्नत होकर बीईईओ निरीक्षण विंग हमीरपुर नियुक्त हो गए हैं।
किशोरी लाल ने कहा कि सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने और अभिभावकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने स्टाफ के साथ गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया। साथ ही स्कूल में पक्के कमरों, बैडमिंटन कोर्ट, मंच आदि का निर्माण करवाया। स्मार्ट क्लासरूम में बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाया जा रहा है। स्कूल के परिणाम भी बेहतरीन रहे। अभिभावक प्रभावित हुए और बच्चों को इस स्कूल में दाखिल करवाया। हाल ही में उनकी पदोन्नति हुुई है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने और अभिभावकों को जागरूक रखने के लिए वह निरंतर प्रयासरत हैं।

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