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हिमाचल: चुनाव आचार संहिता में फंस सकता है अनुबंध कर्मियों का नियमितीकरण, शिक्षक संघ ने विभाग से उठाई ये मांगें

 बड़सर, संवाद सहयोगी। Himachal Employees News, दो साल का अनुबंध पूर्ण करने वाले शिक्षकों की सेवाएं नियमितीकरण की प्रक्रिया इस बार आचार संहिता में फंसने के आसार साफ नज़र आने लगे हैं।

अक्टूबर में आचार संहिता लगना तय ही है और अब तक शिक्षा विभाग में दो साल सेवाकाल पूर्ण करने वाले शिक्षकों का विवरण तलब नहीं किया गया है। अगर 30 सितंबर को दो साल कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मचारियों का डाटा अक्टूबर माह में मांगा गया तो डाटा एकत्रित होकर आने तक आचार संहिता लागू हो जाएगी, जबकि आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग से विशेष आज्ञा लेकर ही नियमितीकरण संभव होगा।

इस स्थिति से बचने के लिए 30 सितंबर तक 2 साल सेवाकाल पूर्ण कर रहे अनुबंध कर्मचारियों का डाटा अविलंब तलब किया जाए । यह मांग राजकीय टीजीटी कला संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कौशल व महासचिव विजय हीर ने प्रारंभिक व उच्च शिक्षा निदेशक से की है। संघ ने कहा कि टीजीटी से हेडमास्टर पदोन्नति सूची और सीएंडवी से टीजीटी प्रमोशन प्रक्रिया अति शीघ्र जारी की जाए, जबकि जेबीटी से टीजीटी पदोन्नति प्रक्रिया भी दो सप्ताह में पूर्ण की जाए।

शिक्षा विभाग सभी शिक्षक संघों के साथ होने वाली सालाना बैठकें भी इसी माह आयोजित करे, अन्यथा आचार संहिता के दौरान इनका आयोजन भी नहीं हो पाएगा। इस समय शिक्षा बोर्ड को भी शिक्षक संघों से विविध मामलों में चर्चा कर लेनी चाहिए, जिसके अभाव में सेमेस्टर सिस्टम में मौजूद खामियों का निवारण नहीं होगा। कक्षा 3 , 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा 100 प्रतिशत की बजाय अन्य कक्षाओं की तर्ज़ पर 50 प्रतिशत पाठ्यक्रम से ही लेनी चाहिए, क्योंकि टर्म परीक्षा, एफए 1-4 लेने का कोई औचित्य शेष नहीं रहेगा। अगर इन प्रारंभिक कक्षाओं का पाठ्यक्रम वार्षिक परीक्षा में भी 100 प्रतिशत डाला जाए।

कक्षा 9 और 11 के टर्म परीक्षा सिस्टम को खत्म करने को संघ ने सकारात्मक कदम बताया और एफ ए 3और 4 को भी इसी तर्ज़ पर समाप्त करने की अपील एसएसए निदेशक से की है। संघ के अनुसार एफ ए 1 और 2 ही पर्याप्त हैं, जिससे बच्चों के लिए पढ़ाई के अधिक दिन बचेंगे। वर्तमान पद्धति में पढ़ाई के दिन कम होते जा रहे हैं और परीक्षाओं में अप्पर प्राथमिक स्तर पर 48 कार्य दिवस खर्च हो रहे हैं, यानि 2 माह तो परीक्षाओं में जा रहे हैं। स्कूली सालाना और अन्य विविध अवकाश भी मिलाकर 3 माह स्कूल बंद रहते हैं। ऐसे में अन्य गतिविधियों और खेलकूद आदि के बाद शिक्षण के लिए ही समर्पित दिनों की संख्या कम हो जाती है, क्योंकि वार्षिक परीक्षा के बाद भी एक दो सप्ताह समय इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे में परीक्षाएं बार-बार लेने की बजाय पढ़ाई के लिए दिन बढ़ाने चाहिएं।

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