शिमला। यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने की मांग को लेकर विवि और कॉलेजों के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। विश्वविद्यालय और कॉलेजों के शिक्षकों ने संयुक्त कार्य समिति की बैठक में यह मांग उठाई।
शिक्षकों ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि प्रदेश सरकार ने 7वें यूजीसी वेतनमान को लागू नहीं किया है। यूजीसी ने जनवरी 2018 में इसे पहले ही अधिसूचित कर दिया है, देशभर के कई भाजपा शासित प्रदेशों में इस वेतनमान को लागू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश सरकार अभी तक इसे लागू करने की बात नहीं कर रही है। इसको लेकर शिक्षकों ने रोष प्रकट किया है।समिति के अध्यक्ष डॉ. राम लाल शर्मा, हिमाचल प्रदेश विवि के शिक्षक कल्याण संघ के सचिव डॉ. जोगेंद्र सकलानी ने कहा कि यूजीसी वेतनमान के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेना चाहिए। अब तक विवि और कॉलेजों के शिक्षक चुप थे क्योंकि राज्य में अन्य कर्मचारियों को उनके वेतनमान नहीं मिले थे। अब राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए वेतनमान अधिसूचित कर दिया है लेकिन दुर्भाग्य से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 7वें यूजीसी वेतनमानों को अधिसूचित करना भूल गए हैं। राज्य में यूजीसी अधिसूचना के लगभग 4 साल पहले ही पूरे हो चुके हैं।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि संयुक्त कार्रवाई समिति का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर सीएम और शिक्षा मंत्री से मुलाकात करेगा और इस मांग को प्रमुखता से उठाएगा। सकलानी ने कहा कि यूजीसी वेतन आयोग, विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षकों के लिए एक स्वतंत्र वेतन आयोग है। इसका अन्य राज्यों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि फरवरी के पहले सप्ताह तक लगभग सभी संस्थानों में छुट्टियां हैं, इसलिए संयुक्त कार्रवाई समिति इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाएगी। शिक्षक नेताओं ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों ने यूजीसी वेतन आयोग के निर्देशों और सिफारिशों को पहले ही लागू कर दिया है। इसलिए प्रदेश में भी इसे लागू किया जाए।