शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी का पदनाम दिलवाने के लिए लड़ाई अब तेज हो गई है। बुधवार को हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर
और प्रधान शिक्षा सचिव रजनीश से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मांग उठाई है कि शास्त्री व भाषा अध्यापकों को जल्द से जल्द टीजीटी का पदनाम दिया जाए। इस दौरान पदनाम देने हेतु ज्ञापन सौंपा। उन्होंने चेताया है कि अगर एक महीने के अंदर उनकी मांग पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता हैं, तो फिर उन्हें सख्त कदम उठाना पड़ेगा। परिषद के प्रदेशाध्यक्ष मनोज शैल का कहना है कि शास्त्री एवं भाषा अध्यापकों की यह मांग 90 के दशक से चली आ रही हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार की ओर से उनकों पूरा नहीं किया गया है।- शिक्षकों की Batch wise भर्ती शुरू,1950 पद Batch से और 1950 ही Direct भर्ती से भरे जाएंगे
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उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को इस बात से भी अवगत करवाया गया कि कई अवसरों पर परिषद ने उनसे इस मांग के बारे में अवगत कराया हैं, लेकिन उसके बावजूद यह मांग पूरी नहीं हो पाई है। सरकार से आश्वासन मिला था कि वित्तीय-वर्ष 2021-22 के बजट सत्र में शास्त्री एवं भाषा अध्यापकों की चिरलंिबत मांग पूरी करके उन्हें टीजीटी पदनाम दिला दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रतिनिधिमंडल में परिषद के महासचिव डा. अमित शर्मा, शास्त्री एवं भाषाध्यापकों की संयुक्त समिति के संगठन मंत्री नरेश कुमार, आईटी संयोजक डा. अमनदीप शर्मा, शिमला क्षेत्र के उपाध्यक्ष अनमोल शर्मा, बलदेव, विश्वनाथ, उपेंद्र, राकेश रघुवंशी, नरेंद्र राणा, उरेंद्र, नरेश, भागचंद शर्मा आदि मौजूद रहे।